आईआईएम लखनऊ की मदद से होगा यूपी की कृषि उपज मंडियों का आधुनिकीकरण

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की कृषि उपज मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) लखनऊ के साथ मिलकर काम करेगी। इसके लिए राज्य सरकार आईआईएम के साथ एक समझौता करने जा रही है। हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई यूपी एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड की एक बैठक में यह फैसला लिया गया।

आईआईएम लखनऊ की मदद से होगा यूपी की कृषि उपज मंडियों का आधुनिकीकरण

लखनऊ. 21 फरवरी, 2021

  

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की कृषि उपज मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) लखनऊ के साथ मिलकर काम करेगी। इसके लिए राज्य सरकार आईआईएम के साथ एक समझौता करने जा रही है। हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई यूपी एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड की एक बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में तय किया गया कि आईआईएम लखनऊ राज्य सरकार के नॉलेज पार्टनर की तरह काम करेगा और मंडियों के आधुनिकीकरण व इनके जरिये राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी के लिए जरूरी कदमों के लिए रोडमैप तैयार करेगा। इस समय राज्य में 250 अधिसूचित मंडियां हैं और 2018-19 में उनके जरिये हो कहे कृषि कारोबार का स्तर 67 हजार करोड़ रुपये रहा था।

दिलचस्प बात यह है कि राज्य सरकार ने मंडियों के आधुनिकीकरण का रोडमैप तैयार करने के लिए आईआईएम को साथ लेने का यह कदम उस समय उठाया जब देशभर में किसान तीन नये केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार का दावा है कि उसके द्वारा लाये गये तीन नये कृषि कानून किसानों को एक नया मार्केटिंग विकल्प देंगे जो विभिन्न राज्यों द्वारा पहले से मौजूद एग्रीकल्चरल प्रॉड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) कानून के तहत स्थापित मंडियों के अतिरिक्त होगा।

वहीं आंदोलनरत किसानों और विपक्षी दलों का कहना है कि नये कानून मंडी व्यवस्था को कमजोर करेंगे जो आने वाले दिनों में किसानों के नुकसानदेह साबित होंगे। वहीं कृषि उत्पादों की खरीद व्यवस्था और कारोबार में यह कानून बड़े कारपोरेट की भूमिका को मजबूत करेंगे।

उत्तर प्रदेश मंडी परिषद के डायरेक्टर जेपी सिंह का कहना है कि आईआईएम के साथ समझौते की शर्तों और नियमों को जल्दी ही अंतिम रूप दिया जाएगा। जिनके तहत तय होगा कि आईआईएम लखनऊ एक तय व्यवसायिक शुल्क के आधार पर बोर्ड को अपनी सलाह और सुझाव देगा। उन्होंने कहा कि आईआईएम लखनऊ में एग्री बिजनेस पर पहले से ही एक विभाग है और इसका फायदा हम दोनों को मिलेगा। हम आपसी सहमति के जरिये आपसी साझेदारी के नियम और शर्तें तय करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि  मंडी परिषद के राजस्व में पिछले चार साल से लगातार बेहतर स्थिति बनी हुई है जो हमें आगे बढ़ने के लिए मजबूत आधार प्रदान करती है।

उत्तर प्रदेश के देश के सबसे बड़े खाद्यान्न और हार्टिकल्चर उत्पादन करने वाले राज्यों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां का कुल खाद्यान्न उत्पादन पांच करोड़ टन से अधिक है। राज्य के अधिकांश कृषि उत्पादों का विपणन अधिसूचित मंडियों के जरिये ही होता है। उत्तर प्रदेश मंडी परिषद ने आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए तीन हजार करोड़ रुपये का बजट बनाया है। इसमें 800 करोड़ रुपये के एक फंड के अलावा 845 करोड़ रुपये का निवेश मंडियों के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए चल रही परियोजनाओं और मंडियों के विस्तार पर किया जाएगा। बजटीय प्रावधान के आवंटन में आगामी रबी और खरीफ विपणन सीजन के दौरान राज्य में गेहूं और धान की सरकारी खरीद के लिए जरूरी वित्तीय संसाधनों को शामिल किया गया है। इसके अलावा मंडी परिषद वेयरहाउस, इंटीग्रेटेड पैक हाउसेज बनाने और पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन के साथ मंडियों में ढांचागत सुविधाओं को बेहतर करने पर भी व्यय करेगी। योगी आदित्यनाथ ने मंडी परिषद के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह राज्य के किसानों के फायदे के लिए मंडियों में आधुनिक सुविधाएं बढ़ाने पर काम करें। साथ मौजूदा माहौल में मंडियां किस तरह से प्रतिस्पर्धी बनी रहें इसे ध्यान में रखकर संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग करने की सलाह उन्होंने अधिकारियों को दी।

राजस्व में बढ़ोतरी के लिए राज्य सरकार की योजना मंडी परिसरों के व्यवसायिक उपयोग के लिए बढ़ावा देने की भी है। राज्य सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने पर काम कर रही है। इसके लिए अन्य कदमों के साथ सरकार ने  साल 2024 तक राज्य से कृषि निर्यात को 35 हजार करोड़ रुपये पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। मंडियों के आधुनिकीकरण की सरकार की योजना कृषि क्षेत्र के लिए ऐसा रोडमैप है जो राज्य में फार्म वैल्यू चेन को बढ़ावा देने और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विस्तार में सहायक साबित होगा।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने साल 2018 में यूपी एग्रीकल्चर प्रॉड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) एक्ट में संशोधन कर राज्य में प्राइवेट मंडियों के आपरेशन को अनुमति दे दी थी। इसके तहत प्राइवेट कंपनियां मौजूदा मंडियों के परिसरों के बाहर खरीद केंद्र स्थापित कर किसानों से सीधे उनके उत्पाद खरीद सकती हैं। सरकार ने कानून में यह बदलाव किसानों को उनके उत्पादों की खरीदारी के अधिक विकल्प देने और बेहतर कीमत मिलने की संभवनाओं को केंद्रित कर किये थे।  


(वीरेंद्र सिंह रावत लखनऊ में काम करने वाले जर्नलिस्ट हैं। वह  कृषि, इकोनॉमी, इंडस्ट्री , बजट और करेंट अफेर्स  जैसे  विषयों पर  लिखते हैं )

Subscribe here to get interesting stuff and updates!