पंजाब के किसानों के खेत में पहली बार हाइब्रिड मक्का बीज उत्पादन के बेहतर परिणाम

इस प्रकार के प्रयास से बीज लागत में कमी आएगी, खेती की लागत घटेगी, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी। व्यावसायिक मक्का उत्पादन की तुलना में, बीज उत्पादन से लगभग दोगुना लाभ प्राप्त किया जा सकता है, जो प्रति हेक्टेयर लगभग तीन से ढाई से तीन लाख रुपये तक हो सकता है

आईसीएआर–भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIMR), लुधियाना ने पंजाब के एक किसान के खेत में पहली बार मक्का हाइब्रिड बीज उत्पादन का सफल परीक्षण किया गया। यह परीक्षण देर खरीफ मौसम (अगस्त बुवाई) के दौरान जिला मोगा के गांव गजियाना निवासी शरणवीर सिंह के खेत में संस्थान द्वारा विकसित मक्का की संकर किस्म DMRH 1308  के लिए किया गया।

पंजाब की परिस्थितियों में इस सफल बीज उत्पादन प्रदर्शन से यह स्पष्ट हो गया है कि देर खरीफ मौसम में भी मक्का के हाइब्रिड बीज का स्थानीय स्तर पर उत्पादन संभव है। इस पहल को आगामी वसंत ऋतु में भी विस्तारित किया जाएगा। देर खरीफ में उत्पादित बीज को बिना अधिक भंडारण लागत के सीधे वसंत मक्का की खेती में उपयोग किया जा सकता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा। आईसीएआर–भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है।

इस प्रकार के प्रयास से बीज लागत में कमी आएगी, खेती की लागत घटेगी, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी। व्यावसायिक मक्का उत्पादन की तुलना में, बीज उत्पादन से लगभग दोगुना लाभ प्राप्त किया जा सकता है, जो प्रति हेक्टेयर लगभग तीन से ढाई से तीन लाख रुपये तक हो सकता है।

मौजूदा समय में पंजाब में उपयोग होने वाले लगभग शतप्रतिशत मक्का हाइब्रिड बीजों का उत्पादन दक्षिण भारत में मुख्यतः तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में किया जाता है। पीक सीजन में जिनकी की कीमत लगभग 800 से1000 रुपये प्रति किलोग्राम होती है और उत्तर भारत के राज्यों में लाने में इस पर परिवहन खर्च भी अधिक हो जाता है  जिससे बीज तथा खेती की लागत बढ़ जाती है।

बुधवार को आईसीएआर-आईआईएमआर के निदेशक डॉ. एच. एस. जाट, वरिष्ठ मक्का प्रजनक डॉ. भूपेंद्र कुमार तथा शोध फेलो अनिशा ने उत्पादन वाले स्थान का दौरा किया जिन्होंने कटाई की समीक्षा की और उत्साहजनक परिणामों की सराहना की।

यह पहल पंजाब में मक्का हाइब्रिड बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल क्षेत्र के किसानों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि पंजाब एवं पड़ोसी राज्यों की गुणवत्तापूर्ण मक्का बीज की मांग को पूरा करने में भी सहायता मिलेगी।

आईसीएआर-आईआईएमआर अपने सहयोगी संस्थानों के साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल तथा असम राज्यों में भी इस प्रकार के प्रयोग कर रहा है, ताकि दक्षिण भारत के असावा देश के दूसरे हिससों में भी बीज उत्पादन का विविधीकरण किया जा सके।