किसानों द्वारा किसानों के लिए विकसित अनोखे मोबाइल ऐप क्रॉपफिट 25 मई को लॉन्च होगा। लॉन्चिंग के पहले चरण में किसान इस ऐप पर सब्जियों, फल, फूल, मसाले, दालें, अनाज, फाइबर, वन उत्पाद और तिलहन जैसी वस्तुओं को सूचीबद्ध कर सकते हैं। इस ऐप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री नहीं होगी। इससे किसानों को उनकी उपज की सही कीमत मिल सकेगी।
रूरल वॉयस से बातचीत में क्रॉपफिट मोबाइल ऐप की सह-संस्थापक अश्विनी गणेशन कहती हैं, "कृषि-पारिस्थितिकी को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि उत्पादों को दो श्रेणियों जैविक या गैर-जैविक के तहत सूचीबद्ध किया जा सकता है। इन श्रेणियों के बारे में व्यापारियों द्वारा ग्रेड, स्थान और तारीख के आधार पर पूछताछ की जा सकती है। इसके अलावा, सभी श्रेणियां बोली लगाने के लिए उपलब्ध हैं।" नीलगिरि के सांसद ए राजा 25 मई को वर्चुअल रूप से इस ऐप को लॉन्च करेंगे।
अश्विनी गणेशन बताया कि उत्पादों के ग्रेड इनपुट अनिवार्य किए जाने से किसानों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों की खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। हमारा सिस्टम वास्तविक अच्छी गुणवत्ता वाले विक्रेताओं को ट्रैक करेगा और व्यापारियों की प्रतिक्रिया के माध्यम से निर्यात के अवसरों में उनकी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि प्रतिक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया के आधार पर हम सुविधाओं को ज्यादा से ज्यादा बेहतरीन बना सकेंगे।
थलावडी फार्मर्स फाउंडेशन के कन्नियन सुब्रमण्यम क्रॉपफिट के दूसरे सह-संस्थापक हैं। तमिलनाडु के इरोड जिले के थलावडी तालुका और पश्चिमी तमिलनाडु में इरोड के आसपास के कुछ जिलों में क्रॉपफिट को पायलट मोड पर चलाया जाएगा। बाद में इस ऐप का विस्तार किया जाएगा। सुब्रमण्यम ने रूरल वॉयस को बताया, "थलावडी के बाद हम इसे तमिलनाडु के सभी जिलों में और उसके बाद कर्नाटक और केरल में लॉन्च की योजना बना रहे हैं।"
यह ऐप इसलिए भी खास है कि बाकी एग्री ऐप मुख्य रूप से व्यापारियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और वे उन्हें और मंडियों को कैसे लाभान्वित कर सकते हैं इस पर उनका फोकस रहता है। जबकि क्रॉपफिट का मुख्य फोकस किसानों को लाभ पहुंचाना है। यह किसानों का ऐप है और किसानों द्वारा किसानों के लिए विकसित किया गया है। इसमें ऐसा अल्गोरिदम होगा कि कोई भी बोली लगाने वाला एमएसपी से नीचे बोली नहीं लगा सकेगा। यह ऐप यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को उनकी फसल की वाजिब कीमत मिले।
गणेशन कहती हैं, "यह मोबाइल ऐप किसानों और व्यापारियों को जोड़ने और एक बहुत ही स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए है। किसान ही इसके स्टेकहोल्डर्स हैं। क्रॉपफिट मोबाइल एप्लिकेशन एंड्रॉयड और आईओएस दोनों पर चल सकता है। दुर्भाग्य से हम आईओएस संस्करण को अभी तक लाइव नहीं ला सके हैं।" कन्नियन सुब्रमण्यम किसान आंदोलन की दक्षिण भारतीय समन्वय समिति के महासचिव भी हैं। वह कहते हैं, “इस तरह के सैकड़ों ऐप हैं लेकिन यह अनोखा है। हम कोशिश कर रहे हैं कि किसान जो कुछ भी पैदा करते हैं उसे इस पर सूचीबद्ध करें। किसान हमेशा विक्रेता ही नहीं होते, वे खरीदार भी हैं। इसके जरिये एक किसान दूसरे किसान से खरीद सकें, इसे हम बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा फसलें, अनाज और पशुधन सभी एक ही ऐप में हैं।
इस ऐप पर बोली भी लगाई जा सकेगी। यह इसकी एक और अनूठी विशेषता है। बोली एमएसपी से शुरू होगी।” इस बारे में अश्विनी कहती हैं, "एल्गोरिदम इस तरह से काम करता है कि कोई भी बोली लगाने वाला एमएसपी से नीचे बोली नहीं लगा सकता है।"
कन्नियन का मानना है कि पारदर्शिता इस ऐप का एक और प्लस प्वॉइंट है। उन्होंने कहा, "हम भविष्य में किसानों द्वारा लेनदेन के रिकॉर्ड रखने के लिए सुविधाओं को जोड़ना चाहते हैं। वर्तमान में किसानों को किसी भी प्रकार का बिलिंग वाउचर ठीक से नहीं मिलता है। कई जगहों पर ट्रेडिंग बिना किसी रिकॉर्ड के की जाती है क्योंकि यह टैक्स के दायरे में नहीं है। इसमें दूसरी तरह की पारदर्शिता भी होगी। वर्तमान में किसके पास क्या है यह अगले को नहीं पता होता है। यहां तक कि किसानों को भी नहीं पता होता है कि दूसरे किसान क्या उगा रहे हैं। नतीजतन, बिचौलिए आते हैं और लागत अधिक हो जाती है। यह ऐप उस अंतर को भी दूर करेगा। क्रॉपफिट ऐप के जरिए बैंकों से लेन-देन करना भी संभव होगा। पेमेंट गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट किया जाएगा।" थलावडी फार्मर्स फाउंडेशन कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी संगठन है। इस फाउंडेशन का मिशन बड़े पैमाने पर किसानों और व्यापारियों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करना है।
अश्विनी गणेशन को आईटी क्षेत्र का 12 वर्षों से ज्यादा का अनुभव है। कृषि के प्रति उनके जुनून ने 2019 में उन्हें कोपेनहेगन छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया जहां वह अच्छी सैलरी वाली नौकरी कर रही थीं। वह भारत आ गईं। उन्होंने देखा कि छोटी जोत वाले किसान और काश्तकार अभी भी दयनीय स्थिति में हैं। वह उनके समाधान का हिस्सा बनना चाहती थीं। उनका मानना है कि डिजिटलीकरण के साथ-साथ प्रौद्योगिकी की उन्नति कृषि को उत्पादकों के लिए अधिक लाभदायक बना सकती है। यह ऐप किसानों और व्यापारियों को कैसे जोड़ता है? इस बारे में उनका कहना है, “हम खरीदार और लीड बना रहे हैं और किसानों को सलाहकार सेवाएं दे रहे हैं। यहां खरीदारों के लिए क्रेडिट विकल्प हैं। हम पशुधन को ऑनलाइन बेचने की भी योजना बना रहे हैं।”