कोऑपरेटिव सशक्त बनें, तभी भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगी: अमित शाह

उन्होंने कहा कि विगत 25 वर्षों में दीर्घकालीन कृषि ऋण का हिस्सा 50 प्रतिशत से घटकर 25 प्रतिशत रह गया है, जिसे बढ़ाना कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों की प्राथमिकता होनी चाहिये। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि 90 वर्षों में कृषि और ग्रामीण फाइनेंसिंग निचले स्तर तक नहीं पहुंच सका है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए किसानों के लिए दीर्घ अवधि की फाइनेंसिंग की बाधाएं दूर करनी पड़ेगी

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सरकार सहकारिता क्षेत्र को सुविधाएं तो प्रदान कर सकती है, लेकिन इस क्षेत्र को खुद को सशक्त करना होगा। तभी वे देश को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने में योगदान कर सकती हैं। वे नेशनल कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर रूरल डेवलपमेंट बैंक्स फेडरेशन लि. की तरफ से आयोजित कृषि एवं ग्रामीण बैंकों (एआरडीबी) के राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने सिंचाई कोऑपरेटिव बनाने का भी सुझाव दिया जिनके लिए एआरडीबी फाइनेंसिंग कर सकते हैं। सम्मेलन में देश के कृषि ग्रामीण विकास बैंकों के 700 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए।

उन्होंने कहा कि विगत 25 वर्षों में दीर्घकालीन कृषि ऋण का हिस्सा 50 प्रतिशत से घटकर 25 प्रतिशत रह गया है, जिसे बढ़ाना कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों की प्राथमिकता होनी चाहिये। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि 90 वर्षों में कृषि और ग्रामीण फाइनेंसिंग निचले स्तर तक नहीं पहुंच सका है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए किसानों के लिए दीर्घ अवधि की फाइनेंसिंग की बाधाएं दूर करनी पड़ेगी। 

शाह ने कहा कि बैंकों का फोकस सिर्फ फाइनेंसिंग ना रहे बल्कि फाइनेंसिंग का मकसद कोऑपरेटिव बैंक को बहुद्देशीय बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआरडीबी ने 3 लाख ट्रैक्टर की फाइनेंसिंग की है लेकिन नया लक्ष्य 8 करोड़ का होना चाहिए ताकि आगे तेज विकास हो सके। इसी तरह अल्पावधि और मध्यम अवधि की फाइनेंसिंग 13 करोड़ किसानों तक पहुंचनी चाहिए। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नाबार्ड को सभी बैंकिंग संस्थाओं के लिए व्यापक नीति लानी चाहिए। बैंक सुधार सिर्फ बैंक विशेष ना हो बल्कि वह सेक्टर विशेष भी हो। दीर्घकालीन फाइनेंसिंग पर आने वाले दिनों में नाबार्ड, एनसीएआरडीबी फेडरेशन और कोऑपरेटिव संगठनों की एक संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी। 

उन्होंने कहा कि पैक्स के कामकाज में पारदर्शिता के लिए उनका डिजिटाइजेशन, राष्ट्रीय कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी के गठन का फैसला या कोऑपरेटिव को जीईएम पोर्टल पर लाने जैसे जो भी कदम उठाए गए हैं वह ऐतिहासिक हैं। ये कदम कोऑपरेटिव को नई ऊंचाई पर ले कर जाएंगे। शाह ने कहा कि हमारे पास फिशरीज कोऑपरेटिव, सिंचाई कोऑपरेटिव, पैक्स इत्यादि का कोई डेटा नहीं है। इसलिए कोऑपरेटिव का एक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। इससे उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी जहां सरकार या मंत्रालय को ध्यान देने की जरूरत है।

उन्होंने सभी राज्यों और कोऑपरेटिव सेक्टर के प्रतिनिधियों से पैक्स के मॉडल नियम के लिए सुझाव देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि डिजिटाइजेशन से पैक्स बहुद्देशीय बॉडी की तरह काम कर सकेंगे। ये कृषि इनपुट बिक्री करने, उर्वरकों और बीज का वितरण करने, सस्ते अनाज के लिए पीडीएस के तौर पर काम करने, कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध कराने, पेट्रोल पंप ऑपरेट करने जैसे कार्य कर सकते हैं। यहां तक कि इन्हें एफपीओ में भी बदला जा सकता है।

इस अवसर पर केन्द्रीय राज्य सहकारिता राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने कहा कि युवाओं को सहकारिता से जोड़ना बहुत आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों को अपनी आय को काफी मजबूत करना होगा ताकि वे सहकारिता में ’सहकार से समृद्धि’ के ध्येय को प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि हाल में रिजर्व बैंक ने शहरी ग्रामीण विकास बैंकों को काफी रियायतें दी हैं जिससे उन्हें काफी फायदा होगा।

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने हाल में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर सभी सहकारी समितियों से बहुराज्यीय सहकारी अधिनियम 2002 संशोधित ड्राफ्ट पर राय मांगी है। इसे सरकार को सौंपा जायेगा और सरकार को इसे गंभीरता से लेना होगा, ताकि सहकारिता की प्रजातांत्रिक प्रणाली और स्वायत्तता मजबूत रहे।

इस अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने चार सहकारी कृषि ग्रामीण विकास बैंकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया। वे बैंक हैं (1) केरल राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, (2) कर्नाटक राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, (3) गुजराज राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक और (4) पश्चिम बंगाल राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक। इसके अलावा चार 100 वर्ष पुराने बैंकों को भी पुरस्कृत किया गया, वे हैं- (1) अजमेर सहकारी भूमि विकास बैंक, (2) तमिलनाडु सहकारी राज्य कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, (3) त्रिसूर प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक और (4) बीरभूम सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक।