पहली तिमाही में भारत का कृषि निर्यात 5.8% बढ़ा, लेकिन ट्रंप टैरिफ से नुकसान की आशंका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले से व्यापार के मोर्चे पर संकट की आहट महसूस की जा रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कृषि निर्यात 5.8% बढ़ा है, जबकि कुल निर्यात में मात्र 1.7% की वृद्धि हुई।

पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश के किसानों के हितों पर वह आंच नहीं आने देंगे, भले ही इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत कीमत क्यों न चुकानी पड़े। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी सीमा शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले के बाद प्रधानमंत्री ने यह बात कही। इससे संकेत मिलता है कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के अटकने की सबसे बड़ी वजह कृषि क्षेत्र है।

इस बीच, निर्यात के मोर्चे पर सकारात्मक खबर भी कृषि क्षेत्र से ही आई है। चालू वित्त वर्ष (2025-26) की पहली तिमाही में भारत का कृषि निर्यात 5.8 फीसदी बढ़ा है। वहीं, देश के कुल निर्यात की पहली तिमाही में वृद्धि दर मात्र 1.7 फीसदी रही है, और वह भी तब जबकि पिछले वित्त वर्ष का कुल निर्यात लगभग स्थिर ही रहा था। 2024-25 में देश का कुल निर्यात केवल 0.1 फीसदी बढ़कर 437.4 अरब डॉलर रहा, जबकि इसके पहले वर्ष यह 437.1 अरब डॉलर था। इसके उलट, कृषि और सहयोगी क्षेत्रों का निर्यात पिछले साल के 12.20 अरब डॉलर से 5.8 फीसदी बढ़कर इस साल अप्रैल-जून 2025 के दौरान 12.92 अरब डॉलर हो गया। वहीं, देश का कुल निर्यात इस साल पहली तिमाही में 112 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल के 110.1 अरब डॉलर से केवल 1.7 फीसदी अधिक है। ऐसे में, भले ही वाणिज्य मंत्री कह रहे हैं कि हमारा निर्यात ट्रैक पर है, लेकिन ट्रम्प टैरिफ के बाद यह पिछले साल के स्तर को पार कर पाएगा, यह कहना अभी मुश्किल है।

पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में कृषि निर्यात 51.9 अरब डॉलर रहा था, जो 2023-24 के 48.8 अरब डॉलर के मुकाबले 6.4 फीसदी अधिक था। यह आंकड़े एक ट्रेंड जरूर दिखा रहे हैं—कुल निर्यात में लगभग स्थिरता के बावजूद कृषि निर्यात में लगातार बेहतर वृद्धि दर्ज की जा रही है। हालांकि अभी तक कृषि निर्यात 2022-23 के 53.2 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर तक नहीं पहुंच पाया है। अगर इस साल परिस्थितियां सामान्य रहीं, तो यह पुराने रिकॉर्ड को पार कर सकता है। इसकी मुख्य वजह देश में बेहतर कृषि उत्पादन है, जो लगातार दो सामान्य मानसून के कारण संभव हुआ है। हालांकि, ट्रम्प द्वारा 50 फीसदी टैरिफ लगाने का असर कृषि निर्यात पर पड़ सकता है।

पिछले कुछ वर्षों में भारत के कृषि निर्यात की वृद्धि दर बहुत तेज नहीं रही है। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा घरेलू स्तर पर खाद्य उत्पादों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यात प्रतिबंध और न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू करने जैसे नीतिगत कदम रहे हैं। भारत से अधिकांश कृषि निर्यात कच्चे माल (कमोडिटी) के रूप में होता है, जबकि वैल्यू-एडेड उत्पादों की हिस्सेदारी इसमें काफी कम है। ऐसे में वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव और टैरिफ का असर सीधे इस पर पड़ता है। इन वजहों से ही कृषि निर्यात 2022-23 के 53.2 अरब डॉलर के स्तर को अब तक पार नहीं कर सका है। वहीं, 2002-03 से 2013-14 के दौरान भारत का कृषि निर्यात 7.5 अरब डॉलर से बढ़कर 43.3 अरब डॉलर तक पहुंचा था, लेकिन उसके बाद इसमें गिरावट आई और 2020-21 के बाद ही यह दोबारा पटरी पर लौटा।

भारत के बड़े कृषि निर्यातों में चावल, चीनी, समुद्री उत्पाद (मुख्य रूप से श्रिम्प), मसाले, तंबाकू, कॉफी, भैंस का मांस और फल-सब्जियां शामिल हैं। इनमें भी चीनी का निर्यात एक समय 5.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जो पिछले साल घटकर केवल 700 मिलियन डॉलर रह गया। वहीं, कपास में हम निर्यातक से शुद्ध आयातक बन गए हैं।

ट्रम्प के टैरिफ से सबसे अधिक नुकसान श्रिम्प निर्यात को हो सकता है, जो पिछले साल अमेरिका को 1.9 अरब डॉलर से अधिक था। लेकिन 50 फीसदी टैरिफ के चलते यह वेनेजुएला और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएगा।

जहां तक देश के कुल मर्चेंडाइज निर्यात का सवाल है, 2024-25 में भारत का व्यापार घाटा 282.8 अरब डॉलर रहा था। हालांकि कृषि उत्पादों के मामले में भारत को व्यापार अधिशेष (सरप्लस) है। पिछले साल भारत के वैश्विक कृषि व्यापार में 13.4 अरब डॉलर का सरप्लस था, हालांकि कृषि और खाद्य उत्पादों का आयात बढ़ने से यह घटा है। 2013-14 में यह अधिशेष 27.7 अरब डॉलर था। देश में खाद्य तेलों, दालों, फलों और सूखे मेवों का आयात लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल भारत ने 38.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया। इसमें अमेरिका से आयातित बादाम, पिस्ता और फलों की बड़ी हिस्सेदारी है। केवल सूखे मेवों का आयात ही 1 अरब डॉलर को पार कर गया है। वहीं, पिछले साल 5.5 अरब डॉलर की 73 लाख टन दालों का आयात किया गया।

इन आयातों के बावजूद, निर्यात में मौजूदा वृद्धि कृषि व्यापार को अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में बनाए हुए है। लेकिन अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ से कृषि निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है। हालांकि टैरिफ लागू होने की तारीख 27 अगस्त है, इसलिए स्थिति साफ होने का इंतजार करना होगा। दूसरी ओर, अमेरिका ने ब्राजील पर भी 50 फीसदी टैरिफ लगाया है और कई कृषि उत्पादों में ब्राजील भारत का प्रतिद्वंद्वी है। इसका असर अमेरिका के अलावा अन्य बाजारों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि ब्राजील उन बाजारों में अपने उत्पाद बेचेगा, जहां भारत भी बेचना चाहता है, जिससे कीमतें गिर सकती हैं। इन परिस्थितियों में, आने वाले दिनों में भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर क्या रुख अपनाते हैं, यही तय करेगा कि भारत का कृषि निर्यात नया रिकॉर्ड बनाएगा या प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण इस लक्ष्य से चूक जाएगा।