अमेरिकी किसानों का ट्रंप प्रशासन से नए टैरिफ से बचने का आग्रह, लेकिन चीन पर कार्रवाई का समर्थन

अमेरिकी कृषि संगठनों ने चेताया है कि चीन पर नए टैरिफ लगाने से एक बार फिर ट्रेड वार जैसी स्थिति बन सकती है, जिससे सोयाबीन किसानों को भारी नुकसान हुआ था। हालांकि किसानों ने चीन द्वारा फेज-वन समझौते के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई का समर्थन भी किया है। अमेरिकी सोयाबीन के लिए चीन बेहद अहम बाजार है। चीन ने अमेरिका से एथेनॉल और डिस्टिलर्स ग्रेन्स का आयात भी लगभग बंद कर चुका है।

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौते की समीक्षा के लिए आयोजित एक सार्वजनिक सुनवाई में अमेरिकी कृषि संगठनों ने संतुलित रुख अपनाते हुए एक ओर नए टैरिफ से बचने की अपील की, वहीं दूसरी ओर चीन द्वारा व्यापार प्रतिबद्धताओं के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई का समर्थन किया। यह सुनवाई पांच साल पहले हुए अमेरिका-चीन फेज-वन समझौते के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी।

सोयाबीन क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि अतिरिक्त टैरिफ लगाने से पिछली व्यापार जंग जैसी स्थिति दोबारा पैदा हो सकती है, जिससे अमेरिकी किसानों को भारी नुकसान हुआ था। चीन अमेरिकी सोयाबीन का सबसे बड़ा विदेशी बाजार रहा है और कुल अमेरिकी सोयाबीन निर्यात का आधे से अधिक हिस्सा वहीं जाता था।

सुनवाई में पेश आंकड़ों के अनुसार 2018 में टैरिफ लागू होने के बाद चीन को अमेरिकी सोयाबीन निर्यात में तेज गिरावट आई। वर्ष 2016-17 में 361 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर से निर्यात घटकर 2017-18 में 282 लाख टन रह गया। इसके बाद 2018-19 में यह गिरकर 134 लाख टन और 2019-20 में 161 लाख टन तक ही पहुंच सका। सरकारी आकलन बताते हैं कि व्यापार युद्ध से अमेरिकी कृषि को हुए 27 अरब डॉलर से अधिक के वार्षिक नुकसान में 71% हिस्सेदारी अकेले सोयाबीन की थी।

चीन की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया गया कि 2023-24 में उसने वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं से लगभग 250 लाख टन सोयाबीन खरीदा। पिछले पांच वर्षों में वैश्विक सोयाबीन भंडार का औसतन 61% हिस्सा चीन ने खरीदा है। हालांकि 2018 में सेक्शन 301 टैरिफ लागू होने के बाद अमेरिकी किसानों ने इस बाजार में बड़ा हिस्सा खो दिया।

फेज-वन समझौते के तहत चीन ने दो वर्षों में अमेरिका से अतिरिक्त 200 अरब डॉलर के कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, ऊर्जा और सेवा उत्पाद खरीदने का वादा किया था। कृषि क्षेत्र के लिए 2020 में 2017 की तुलना में 12.5 अरब डॉलर और 2021 में 19.5 अरब डॉलर अधिक खरीद का लक्ष्य तय किया गया था। हालांकि उत्पाद के हिसाब से खरीद लक्ष्य स्पष्ट नहीं थे।

इन दो वर्षों में चीन ने अमेरिका से लगभग 620 लाख टन कृषि उत्पाद आयात किए, जो तय लक्ष्य का करीब 77% था। समझौते में यह भी प्रावधान था कि खरीद बाजार भाव और व्यावसायिक जरूरतों के आधार पर होगी, जिससे लक्ष्य पूरा न होने की गुंजाइश बनी रही। कृषि संगठनों का कहना है कि इस तरह की अस्पष्ट भाषा भविष्य के समझौतों में नहीं होनी चाहिए।

अमेरिकी एथेनॉल और डिस्टिलर्स ग्रेन्स का आयात बंद 
वहीं, नवीकरणीय ईंधन क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों ने सेक्शन 301 जांच का समर्थन किया और बताया कि चीन ने अमेरिकी एथेनॉल और डिस्टिलर्स ग्रेन्स का आयात लगभग पूरी तरह बंद कर दिया है। एक समय इन दोनों उत्पादों का बड़ा खरीदार रहा चीन अब कड़े टैरिफ और नीतिगत प्रतिबंधों के जरिए अपने घरेलू बायोफ्यूल उद्योग को बढ़ावा दे रहा है।

2016 में चीन अमेरिकी एथेनॉल का तीसरा सबसे बड़ा बाजार था और कुल निर्यात का 17% हिस्सा वहीं जाता था। लेकिन इसके बाद नीतियों में बदलाव से आयात लगभग शून्य हो गया। इसके बावजूद, कुल अमेरिकी एथेनॉल निर्यात 2024 में रिकॉर्ड 1.9 अरब गैलन तक पहुंच गया, जबकि डिस्टिलर्स ग्रेन्स का निर्यात सालाना लगभग 110 लाख टन बना रहा, जिसमें मेक्सिको, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ प्रमुख बाजार रहे।

कृषि और उद्योग संगठनों ने चेताया कि नए टैरिफ से चीन की जवाबी कार्रवाई हो सकती है और पहले से दबाव में चल रहे अमेरिकी किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्होंने मौजूदा प्रतिबद्धताओं को सख्ती से लागू करने और भविष्य के किसी भी नए समझौते में स्पष्ट, लागू करने योग्य और स्थायी बाजार पहुंच सुनिश्चित करने की मांग की।