चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान, मैन्यूफैक्चरिंग की गति धीमी कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर

चालू वित्त वर्ष (2022-23) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात फीसदी पर रहने का अनुमान है जो इसके पहले साल 8.7 फीसदी रही थी। नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) द्वारा चालू वित्त वर्ष के आर्थिक विकास दर के लिए जारी पहले आरंभिक अनुमानों में यह जानकारी दी गई है। अर्थव्यवस्था के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहने का अनुमान है जबकि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का प्रदर्शन काफी कमजोर रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में कृषि और सहयोगी क्षेत्र की वृद्दि दर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल कृषि क्षेत्र की वृद्दि दर तीन फीसदी रही थी। वहीं मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि  दर मात्र 1.6 फीसदी रहने का अनुमान है जो पिछले साल 9.9 फीसदी की दर से बढ़ा था

चालू वित्त वर्ष (2022-23) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात फीसदी पर रहने का अनुमान है जो इसके पहले साल 8.7 फीसदी रही थी। नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) द्वारा चालू वित्त वर्ष के आर्थिक विकास दर के लिए जारी पहले आरंभिक अनुमानों में यह जानकारी दी गई है। अर्थव्यवस्था के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहने का अनुमान है जबकि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का प्रदर्शन काफी कमजोर रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में कृषि और सहयोगी क्षेत्र की वृद्दि दर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल कृषि क्षेत्र की वृद्दि दर तीन फीसदी रही थी। वहीं मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि  दर मात्र 1.6 फीसदी रहने का अनुमान है जो पिछले साल 9.9 फीसदी की दर से बढ़ा था।

पिछले साल की 8.7 फीसदी की वृद्धि दर से चालू साल में जीडीपी की वृद्दि दर के घटकर सात फीसदी पर आने के चलते भारत सबसे तेज गति से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था का टैग खो सकता है। 

हालांकि कृषि क्षेत्र की वृद्दि दर चालू साल में 3.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है लेकिन इसके बावजूद किसानों की वित्तीय स्थिति बहुत मजबूत नहीं है क्योंकि सकल उत्पाद वृद्धि दर पूरे क्षेत्र की वृद्धि दर के सामान नहीं है। वहीं बड़ी संख्या में लोगों के कृषि पर निर्भर होने के बावजूद जीडीपी में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी कम होती जा रही है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का कहना है कि भारत में कृषि क्षेत्र में सुधार नहीं हो पा रहे हैं और यह 1991 के आर्थिक सुधारों से समय से ही लंबित हैं वहीं चीन ने 1978 में ही कृषि क्षेत्र में सुधारों को लागू कर दिया था। भारत में 1991 में जो आर्थिक सुधार लागू किये गये थे वह वाह्य क्षेत्र और औद्योगिक उदारीकरण से संबंधित थे लेकिन उनको कृषि क्षेत्र में लागू नहीं किया जा सका। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक साल 20250 तक भारत की आबादी 160 करोड़ पर पहुंच जाएगी जबकि चीन की आबादी 130 करोड़ होगी।

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की नामिनल ग्रोथ पचास साल के सबसे कम स्तर पर रह सकती है जो सातवें दशक और कोविड महामारी के पहले साल (2018-19) के बीच की अवधि है। 

एनएसओ के ताजा आंकड़ों के मुताबिक होटल, ट्रेड, कम्यूनिकेशन  सेक्टर की वृद्धि दर चालू साल में 13.7 फीसदी रहेगी। जो पिछले साल 11.1 फीसदी रही थी। फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विस सेक्टर की वृद्दि दर पिछले साल की 4.2 फीसदी से बढ़कर चालू साल में 6.4 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है। 

सरकार ने पहले जीडीपी की वृद्दि दर आठ से 8.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था, ताजा आंकड़े उससे कम हैं हालांकि यह भारतीय रिजर्व बैंक के 6.8 फीसदी की वृद्दि दर के अनुमान से अधिक हैं। ताजा अनुमान के मुताबिक भारत की जीडीपी वृद्धि दर सऊदी अरब की 7.6 फीसदी की वृद्धि दर से कम रहेगी। जुलाई से सितंबर की तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 फीसदी रही थी जबकि सऊदी अरब की आर्थिक वृद्धि दर उस अवधि में 8.7 फीसदी रही थी।

सरकार द्वारा अगले वित्त वर्ष के लिए पेश किये जाने वाले बजट के ठीक पहले आने वाली जीडीपी के पहले आरंभिक अनुमानों का उपयोग बजट आवंटन के लिए फैसले लेने के लिए किया जाता है। सरकार द्वारा आगामी एक फरवरी को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश किया जाएगा। रूसृ-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक स्तर पर दूसरे प्रतिकूल घटनाक्रम के बावजूद भारत की आर्थित वृद्धि दर को संतोषजनक माना जा सकता है। इसके साथ ही महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में 2.25 फीसदी की वृद्धि की। महंगाई दर के ताजा आंकड़े इस बात का संकेत दे रहे हैं कि उस पर नियंत्रण पाने के लिए रिजर्व बैंक की नीति काफी कारगर रही है। वहीं वैश्विक बाजार में भी खाद्य उत्पादों और कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी का इसमें फायदा मिला है। 

एनएसओ के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का वास्तविक स्तर (2011-12) के आधार वर्ष के मुताबिक 157.60 लाख करोड़ रुपये होगा जो इसके पहले साल 147.36 लाख करोड़ रुपये रहा था। जीडीपी किसी भी देश की सीमाओं के अंदर होने वाले कुल उत्पादन का अनुमान होता है लेकिन इसमें उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले सामान की खरीदारी को शामिल नहीं किया जाता है। जीडीपी में देश में खरीदे जाने वाले सभी उत्पादों को शामिल किया जाता है भले ही उत्पादन करने वाली कंपनी का मुख्यालय देश में नहीं हो।