जीएम फ्री इंडिया गठबंधन ने कहा भारत को असुरक्षित जीएम सरसों की जरूरत नहीं

जीएम फ्री इंडिया गठबंधन ने कहा है कि जीएम सरसों का मामला देश के सभी नागरिकों के जीवन और आजीविका पर गंभीर प्रभाव डालेगा। हर्बीसाइड टॉलरेंट डीएम सरसों की व्यावसायिक खेती मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण, आजीविका और व्यापार सुरक्षा जैसे कई मोर्चों पर काफी खतरनाक साबित हो सकती है

जीएम फ्री इंडिया गठबंधन ने कहा है कि जीएम सरसों का मामला देश के सभी नागरिकों के जीवन और आजीविका पर गंभीर प्रभाव डालेगा। हर्बीसाइड टॉलरेंट डीएम सरसों की व्यावसायिक खेती मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण, आजीविका और व्यापार सुरक्षा जैसे कई मोर्चों पर काफी खतरनाक साबित हो सकती है। गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेस में गठबंधन ने कहा कि 29 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय में जीएम हर्बिसाइड टॉलरेंट सरसों की आवश्यकता और सुरक्षा, कोर्ट की तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) की सिफारिशों, डेटा की सत्यता और जैव सुरक्षा डोजियर के संबंध में पारदर्शिता, अनुमोदन प्रक्रियाओं और न्यायालय के रोक के बावजूद कम से कम छह स्थानों पर जीएम सरसों की बुआई पर सुनवाई हो सकती है। गठबंधन द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में यह बातें कही गई हैं। 

प्रेस रिलीज में कहा गया है कि भारत सरकार ने इस मामले से संबंधित सुनवाई के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय को दिए गए अपने वचन का उल्लंघन किया है और न्यायालय के आदेशों की अवमानना की है। गठबंधन का दावा है कि सरकार ने 1 नवंबर 2022 के आसपास छह स्थानों पर जीएम सरसों की बुआई होने दी। भारत सरकार द्वारा अदालत में बार-बार यह कहा गया था कि जीएम सरसों पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मगर अब, भारत सरकार, उसके नियामकों, पर्यावरण मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के तंत्रों द्वारा आनन फानन में बिना सुप्रीम कोर्ट को सूचित किये हुए जीएम सरसों पर निर्णय ले लिया है। एलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर (आशा) के कपिल शाह ने कहा कि जहां- जहां जीएम सरसों की बुआई हो गई है वहां लगभग एक हफ्ते के कम समय में, जीएम सरसों के पराग गैर-जीएम सरसों को पुरुष बांझपन और शाकनाशी सहिष्णु विशेषता सहित ट्रांसजीन से दूषित करना शुरू कर देंगे। इसलिए सरसों की विविधता को अपरिवर्तनीय और अपूरणीय क्षति से बचने के लिए, जो जीएम सरसों लगाई गई है, उसे तुरंत उखाड़ना अत्यंत आवयशक होगा। हम सर्वोच्च न्यायालय से भारत सरकार की कार्रवाइयों के प्रभाव के संदर्भ में इस मामले को अति गंभीरता से लेने का आग्रह करते हैं।

जीएम मुक्त भारत गठबंधन की कविता कुरुगंती ने कहा कि भारत सरकार जीएम सरसों पर असत्य और गलत बयानों के साथ भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह कर रही है। हम कम से कम पांच क्षेत्रों को सूचीबद्ध कर सकते हैं जहां सरकार भारत सक्रिय रूप से भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय को गलत जानकारी प्रदान कर रही है।

रेपसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय (डीआरएमआर) के पूर्व निदेशक डॉ. धीरज सिंह ने कहा कि भारत में रेपसीड-सरसों का उत्पादन पिछले एक दशक में लगभग 38 फीसदी बढ़ा है। जब सरसों के तेल की मांग और आपूर्ति की बात आती है तो हम आत्मनिर्भर हैं, यहां तक ​​कि भारत के खाद्य तेल की खपत का केवल 15 फीसदी ही सरसों से होता है। इसके अलावा, किसानों के पास पहले से ही बाजार में एक दर्जन से अधिक गैर-जीएम सरसों संकर के विकल्प मौजूद हैं जो जीएम संकर की तुलना में अधिक उपज देते हैं। 

गांधी पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि कृषि विकास के लिए हमारा दृष्टिकोण समग्र, वैज्ञानिक और किसानों के लिए वास्तविक स्वराज के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाने वाला होना चाहिए। वैज्ञानिक तथ्यों से छेड़छाड़ करना देश में वैज्ञानिक सोच में सुधार के लिए अच्छा नहीं है, और यह विभिन्न संस्थानों में वैज्ञानिक अखंडता से समझौता होगा। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से वास्तविक तथ्यों का संज्ञान लेने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि जहाँ जहाँ भी जीएम सरसों  की रोपाई हो चुकी है उसे तुरंत उखाड़ फेका जाए। किसान नेता धर्मवीर सिंह ने भारत भर से चालीस से अधिक किसान नेताओं द्वारा माननीय प्रधान मंत्री को भेजा गया पत्र साझा किया जिसमे किसान नेताओं ने जीएम एचटी सरसों के पर्यावरणीय रिलीज को रोकने का अनुरोध किया गया है।