संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन का आह्वान किया

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भारत के सभी किसानों से देश भर में “राजभवन मार्च” आयोजित करने और संबंधित राज्यपालों के माध्यम से “भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन” सौंपने का आह्वान किया। एसकेएम ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। सरकार आंदोलन के कारण इन तीन कानून को वापस ले लिया था।  संगठन ने अपने आंदोलन के भविष्य की  रूपरेखा तय करने के लिए 8 दिसंबर को एक बैठक बुलाई है और सभी घटक संगठनों को देश भर में संघर्ष को और तेज करने के लिए तैयार रहने की सलाह दी है

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गुरुवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर 26 नवंबर 2022 को देश के सभी किसानों से देश भर में राजभवन मार्चआयोजित करने और संबंधित राज्यपालों के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापनसौंपने का आह्वान किया। एसकेएम ने केंद्र  सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। दोलन के कारण सरकार ने इन  कानूनों को वापस ले लिया था। संगठन ने अपने आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा तय करने के लिए 8 दिसंबर को एक बैठक बुलाई है और सभी घटक संगठनों को देश भर में संघर्ष को और तेज करने के लिए तैयार रहने की सलाह दी है।

एसकेएम ने कहा किसान 19 नवंबर को "फतेह दिवस" ​​​​या "विजय दिवस" ​​के रूप में भी मनाएंगे क्योंकि केंद्र ने पिछले साल इसी तारीख को उनके आंदोलन के बाद नए कृषि कानूनों को रद्द करने का आदेश दिया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस को दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, युधवीर सिंह, अविक साहा और अशोक धवले ने संबोधित किया।

एसकेएम नेता दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1 दिसंबर से 11 दिसंबर तक सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों और सभी राज्य विधानसभाओं के नेताओं और विधायकों के कार्यालयों तक मार्च निकाला जाएगा। उन सभी को कॉल-टू-एक्शनपत्र प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मांग की जाएगी कि वह किसानों की मांगों के मुद्दे को संसद और विधानसभाओं में उठाएं और इन मुद्दों पर बहस और समाधान के लिए दवाब बनाएं।

प्रेस क्रांफ्रेस में कहा गया कि मोदी सरकार द्वारा 9 दिसंबर 2021 को लगभग एक वर्ष पहले, कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी, बिजली बिल की वापसी आदि के लिखित आश्वासनों को लागू नहीं कर किसानों को धोखा देने की कड़ी निंदा की। बैठक में सभी घटक संगठनों को देश भर में संघर्ष को और तेज करने के लिए तैयार रहने की सलाह देने का संकल्प लिया गया। किसानों के मोर्चे ने दावा किया कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति का गठन किया गया और न ही आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए "झूठे" मामले वापस लिए गए। किसान संगठन ने आरोप लगाया कि सरकार से एमएसपी पर कानूनी गारंटी पर विचार करने के लिए तैयार नहीं होने का भी आरोप लगाया।

किसानों संगठन की सबसे बड़ी मांग है कि सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत सीटू+50 फीसदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), (2) एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति (3) बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लेना (4) लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई (5) प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना (6) सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को प्रति माह 5,000 रुपये की किसान पेंशन (7) किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लेना (8) किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान शामिल है।