अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क में किसी भी कटौती का विरोध करते हुए सेब उत्पादकों के संगठन एप्पल फार्मर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFFI) ने मांग की है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत में इस पर कोई मोलभाव नहीं होना चाहिए। इस सिलसिले में संगठन ने जम्मू-कश्मीर (J&K) और हिमाचल प्रदेश (HP) की सरकारों से अपील की है कि वे अपने मुख्यमंत्रियों को एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने भेजें।
AFFI के संयोजक और विधायक एम.वाई. तारिगामी तथा सह-संयोजक और पूर्व विधायक राकेश सिंघा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने शिमला में हिमाचल प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी से मुलाकात की। नेगी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से बात करेंगे। बता दें कि AFFI जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सेब उत्पादकों का साझा मंच है।
तारिगामी ने इसी मुद्दे पर श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के कृषि/बागवानी मंत्री और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सलाहकार नासिर असलम वानी से भी मुलाकात की। इन प्रतिनिधियों ने भी आयात शुल्क में कटौती का विरोध करने में समर्थन व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के आगामी जम्मू-कश्मीर दौरे के दौरान उनसे यह आग्रह किया जाएगा कि वे अमेरिकी सेब के मुकाबले देसी सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा करें।
दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त मुख्यमंत्री प्रतिनिधिमंडल भेजने के सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि 2023-24 में 5 लाख मीट्रिक टन सेब का आयात हुआ था, जबकि 2024-25 में यह 6 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है। यह तब है जब शुल्क में कोई कटौती नहीं हुई है।
2001 में जहां आयात मात्र 0.2 लाख टन था, वह अब बढ़कर 6 लाख टन हो गया है। यह घरेलू उत्पादन के 1.7% से बढ़कर अब 22.5% हो गया है। संगठन का कहना है कि अमेरिका और अन्य देशों से आ रहे सेब हमारे देसी फलों को बाजार में पीछे छोड़ रहे हैं, जिससे 8 लाख से अधिक सेब उत्पादक परिवारों की आजीविका संकट में पड़ गई है।