जैविक उत्पादों के निरीक्षण और प्रमाणन में अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने कड़ा रुख अख्तियार किया है।
जैविक उत्पादों को प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) के तहत मानक और प्रक्रियाएं तय की गई हैं। एनपीओपी के दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर छह प्रमाणन एजेंसियों और एक निर्यातक के खिलाफ हाल ही में जुर्माना और प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है। इनमें उत्तराखंड और बिहार राज्य जैविक प्रमाणन एजेंसियों के अलावा चार निजी एजेंसियां भी शामिल हैं।
एपीडा द्वारा जारी सरकुलर के अनुसार, एक्सेंट्रिक ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड की मान्यता समाप्त कर दी गई है, साथ ही इसके निदेशकों को तीन वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है। ग्लोबल सर्टिफिकेशन सोसाइटी (GCS), नेचुरल ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी (NOCA) और कृषि सर्टिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड की मान्यता एक वर्ष के लिए निलंबित करते हुए प्रत्येक पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
जैविक प्रमाणन में अनियमितताओं को लेकर बिहार और उत्तराखंड की सरकारी एजेंसियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी (BSSOCA) की मान्यता का दायरा केवल बिहार राज्य तक सीमित कर दिया गया है और उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
वहीं, उत्तराखंड राज्य जैविक प्रमाणन एजेंसी (USOCA) पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए उसकी मान्यता का दायरा केवल उत्तराखंड राज्य तक सीमित कर दिया गया है।
निर्यातक मेसर्स एड्रोइट इंडल्जेंस प्राइवेट लिमिटेड का एनपीओपी के तहत प्रमाणन, मामले की सुनवाई और अंतिम निर्णय आने तक निलंबित कर दिया गया है।
एपीडा के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के तहत निर्धारित प्रक्रिया का कड़ाई से पालन करवाया जाएगा। कुछ प्रमाणन एजेंसियों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है।
एनपीओपी के तहत गठित राष्ट्रीय प्रत्यायन निकाय (NAB) की उपसमिति ने पिछले महीने हुई बैठक में इन कार्रवाइयों की संस्तुति की थी। इससे पहले मार्च 2025 में भी 12 प्रमाणन एजेंसियों के खिलाफ जुर्माने आदि की कार्रवाई की गई थी, जिनमें मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तराखंड की राज्य एजेंसियां शामिल थीं।
देश में जैविक उत्पादों के बाजार और निर्यात की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिसके साथ उनका प्रमाणन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। मानकों पर खरे न उतरने के कारण विदेशों में कई भारतीय जैविक उत्पादों को रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है। खरीदारों का भरोसा बनाए रखने और वैश्विक मानकों पर खरा उतरने के लिए एपीडा प्रमाणन प्रक्रिया के सख्त अनुपालन पर जोर दे रहा है। हालिया कार्रवाई इसी दिशा में एक कड़ा संदेश मानी जा रही है।
हैरानी की बात है कि राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा भी जैविक प्रमाणन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं पाई जा रही हैं, जिसके चलते एपीडा को उनके खिलाफ भी जुर्माने और प्रतिबंध की कार्रवाई करनी पड़ी है।