भारतीय किसान संघ की एग्री इनपुट पर जीएसटी हटाने और किसान सम्मान निधि बढ़ाने की मांग 

आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने मांग की है कि कृषि इनपुट पर जीएसटी खत्म किया जाना चाहिए। अजमेर में अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के दूसरे दिन बीकेएस ने यह मांग रखी। इसने यह भी कहा कि किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए।

बीकेएस महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा (फाइल फोटो)

आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने मांग की है कि कृषि इनपुट पर जीएसटी खत्म किया जाना चाहिए। अजमेर में अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के दूसरे दिन बीकेएस ने यह मांग रखी। इसने यह भी कहा कि किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए।

बैठक में बीकेएस महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा, "किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोतरी की जानी चाहिए। जीएम बीजों को जैविक पर प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए। बीज किसानों का अधिकार है। सरकारों को बाजारों में किसानों का शोषण रोकने की व्यवस्था करनी चाहिए।"

उन्होंने कहा कि अनाज की मार्केटिंग के लिए एक व्यापक नीति बनाई जानी चाहिए और किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए। किसान आंदोलन के प्रस्ताव पर चर्चा में देशभर से आए किसान प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए। बीकेएस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "किसानों ने कहा कि हमारे संगठन की नीति है कि किसानों का हित राष्ट्रीय हित के ढांचे के भीतर है। इसलिए हम हिंसक आंदोलनों का समर्थन नहीं करते हैं।"

मिश्रा ने कहा कि जब देश के किसान संगठन अनुशासित और शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली आकर अपनी समस्याओं और मांगों को रखते हैं तो सरकार उनसे बात करना उचित नहीं समझती है। उन्होंने कहा, "सरकार का यह रवैया कुछ हद तक खेदजनक है। इससे हिंसक आंदोलन को बढ़ावा मिलने की आशंका बढ़ जाती है।"

श्रीअन्न के संबंध में एक प्रस्ताव भी बैठक में जारी किया गया। इसमें कहा गया कि दुनिया को स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराने में भारत की दिशा भविष्य में वरदान साबित होगी। भारत सरकार भी श्रीअन्न को बढ़ावा देने के लिए अच्छा काम कर रही है। देश के सुरक्षा संस्थानों में कार्यरत सैन्यकर्मियों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की मंशा से सरकार ने भोजन में 25 फीसदी श्रीअन्न का योगदान दिया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है। 

प्रस्ताव के जरिए किसान संघ ने सुझाव दिया कि श्रीअन्न के पारंपरिक बीजों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए और इसका पर्याप्त उत्पादन और उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। किसान संघ ने अनाज की मार्केटिंग के लिए एक व्यापक नीति की भी मांग की है।