पिछले पेराई सीजन का 95 फीसदी गन्ना मूल्य भुगतान हुआ

केंद्र सरकार ने दावा किया है कि चीनी मिलों ने किसानों को गन्ने के मूल्य का 95 फीसदी भुगतान कर दिया है। अब बकाया राशि पांच हजार करोड़ रुपए से कम है। खाद्य और उपभोक्ता राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि  विपणन साल  2020-21 के लिए देय कुल राशि 92,881 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 88,436 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।और सितंबर, 2021 में समाप्त होने वाले गन्ना सीजन 2020-21 का 4,445 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान अभी बकाया हैं

नई दिल्ली,

केंद्र सरकार के मुताबिक चीनी मिलों ने पिछले पेराई सीजन (2020-21) के लिए  किसानों को गन्ने के मूल्य का 95 फीसदी भुगतान कर दिया है। अब बकाया राशि पांच हजार करोड़ रुपए से कम है। राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में खाद्य और उपभोक्ता राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि पेराई सीजन  2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 6 दिसंबर तक, किसानों का गन्ना बकाया 4,445 करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि  विपणन साल  2020-21 के लिए देय कुल राशि 92,881 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 88,436 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। सितंबर में समाप्त होने वाले गन्ना सीजन 2020-21 के दौरान गन्ने की आपूर्ति के लिए 4,445 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है।

राज्य मंत्री ने कहा कि चीनी मिलों द्वारा गन्ना उत्पादकों को गन्ना मूल्य का भुगतान एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। गन्ना किसानों को चीनी सीजन 2016-17, 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में अखिल भारतीय स्तर पर भुगतान किया जाने वाला गन्ना मूल्य क्रमशः 55,340 करोड़ रुपये, 83,629 करोड़ रुपये, 86,617 करोड़ रुपये, 75,907 करोड़ रुपये और 92,881 करोड़ रुपये था।

सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों उके परिणामस्वरूप, चीनी सीजन 2016-17, 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए किसानों के 6 दिसंबर, 2021 तक  क्रमश: गन्ना बकाया को घटाकर 65 करोड़ रुपये, 135 करोड़ 365 करोड़ रुपये, 130 करोड़ रुपये और 4,445 करोड़ रुपये रहा। इन उपायों के परिणामस्वरूप, पिछले पांच वर्षों के दौरान देय गन्ना बकाया का 98 फीसदी से अधिक भुगतान किया गया है। 

गौरतलब है कि गन्ना किसानों के बकाया का मुद्दा हमेशा से ज्वलंत मुद्दा रहा है। आने वाले कुछ माह में त्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले विधान सभा चुनावों से पहले ही यह मामला गरमा रहा है। गन्ना मूल्य बकाया की किसानों की मांग को लेकर कई विपक्षी दल लगातार सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।