भारत में अगली जनगणना 2027 में कराई जाएगी। केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। देश के अधिकतर हिस्सों में जनगणना के लिए 1 मार्च, 2027 को आधार माना जाएगा, जबकि बर्फबारी से प्रभावित क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर, 2026 तय की गई है। जनगणना के साथ ही जातिगत गणना भी कराई जाएगी।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के तहत यह प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके साथ ही वर्ष 2018 की पुरानी अधिसूचना को निरस्त कर दिया गया है। गौरतलब है कि देश में 16 साल बाद जनगणना होने जा रही है। पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी। लेकिन वर्ष 2021 में महामारी के कारण जनगणना स्थगित कर दी गई थी।
गृह मंत्री ने की तैयारियों की समीक्षा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक में जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक में गृह सचिव, भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त (RG&CCI) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
केंद्र शासित लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के अलावा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के हिमपात प्रभावित क्षेत्रों के लिए जनगणना की संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी, जबकि शेष भारत में यह 1 मार्च 2027 रहेगी। यह भारत की अब तक की 16वीं जनगणना और स्वतंत्रता के बाद आठवीं जनगणना होगी।
जाति गणना भी होगी शामिल
गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस जनगणना में पहली बार जातिगत गणना भी की जाएगी। इस कार्य में 34 लाख गणनाकर्मी और पर्यवेक्षक तथा लगभग 1.3 लाख कर्मचारी शामिल होंगे, जो अत्याधुनिक मोबाइल डिजिटल उपकरणों का उपयोग करेंगे।
इस बार जनगणना में हर व्यक्ति को अपनी जाति बताने का विकल्प दिया जाएगा। 1931 के बाद यह पहली बार होगा जब जातिगत गणना को आधिकारिक जनगणना का हिस्सा बनाया गया है। विपक्षी दल जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे थे। यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा था, जिसे देखते हुए अप्रैल में केंद्र सरकार ने जातिगत गणना कराने की घोषणा की थी।
दो चरणों में होगी जनगणना
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हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO): इसमें मकानों की स्थिति, सुविधाएं और अन्य भौतिक जानकारियाँ एकत्र की जाएंगी।
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जनसंख्या गणना (PE): प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय जानकारी एकत्र की जाएगी।
डिजिटल जनगणना और डेटा सुरक्षा
इस बार की जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से की जाएगी, जिसमें मोबाइल ऐप का उपयोग होगा। नागरिकों को स्वयं गणना (Self-enumeration) की सुविधा भी दी जाएगी। डेटा के संग्रहण, प्रसारण और भंडारण के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठोर उपाय किए जाएंगे। यह भारत की अब तक की 16वीं जनगणना और स्वतंत्रता के बाद आठवीं जनगणना होगी।
परिसीमन और महिला आरक्षण
आगामी जनगणना नए परिसीमन के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होने जा रही है। जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों के नए परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी। उसके बाद संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान लागू किया जाएगा।
हालांकि, दक्षिण भारत के राज्यों में आबादी के आधार पर परिसीमन को लेकर आवाजें उठ रही हैं। क्योंकि वहां जनसंख्या वृद्धि उत्तर भारत की तुलना में धीमी रही है। नए परिसीमन से उत्तर और दक्षिण भारत के बीच राजनीतिक विवाद बढ़ सकता है।
क्यों जरूरी है जनगणना?
देश में कितनी जनसंख्या है, लोगों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति कैसी है, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं का क्या स्तर है, इन जानकारियों के लिए जनगणना कराना जरूरी है। जनगणना में आबादी के आंकड़े के अलावा आयु, लिंग, भाषा, धर्म, व्यवसाय और निवास आदि से जुड़ी अहम जानकारियां जुटाई जाती है। ये आंकड़े देश में नीति निर्धारण, कल्याणकारी योजनाओं और शासन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं।
कौन करता है जनगणना?
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाला रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर, भारत (RGCCI) देश में जनगणना करवाता है। भारत में जनगणना अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के तहत जनगणना कराई जाती है। देश में 1872 से जनगणना हो रही है।