वित्त वर्ष 2024-25 में ऑपरेटिव किसान क्रेडिट कार्ड की संख्या 2.7 प्रतिशत घट गई, इसके बावजूद केसीसी पर लिए गए कर्ज में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिजर्व बैंक ने 2024-25 की सालाना रिपोर्ट में ये आंकड़े दिए हैं।
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार ऑपरेटिव किसान क्रेडिट कार्ड 2023-24 में 298.1 लाख थे जो 2024-25 में घटकर 290.2 लाख रह गए। फिर भी इन पर बकाया फसल ऋण बढ़ा है। यह रकम 4,93,362 करोड़ रुपये से बढ़कर 5,07,821 करोड़ रुपये हो गई है। बकाया टर्म लोन 46,332 करोड़ से बढ़कर 55,047 करोड़ रुपये हुआ है। पशुपालन और फिशरीज के लिए कर्ज 35,279 करोड़ से बढ़कर 38,107 करोड़ रुपये रुपये हो गया। किसान क्रेडिट कार्ड पर कुल कर्ज 5,74,974 करोड़ से बढ़कर 6,00,975 करोड़ रुपये हो गया।
आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्र को बैंकों से मिलने वाले कर्ज में वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष में कम हुई है। वर्ष 2023-24 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र को बैंक कर्ज 20 प्रतिशत बढ़ा था। अप्रैल 2024 में इसकी वृद्धि दर 19.8 प्रतिशत और मई 2024 में 21.6 प्रतिशत थी। लेकिन उसके बाद 2024-25 के बाकी महीनों में यह दर घटती चली गई। मार्च 2025 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र को बैंक कर्ज में सिर्फ 10.4 प्रतिशत वृद्धि हुई। पूरे साल का औसत 15.69 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में 2024-25 के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए की गई प्रमुख नीतिगत पहल के बारे में भी बताया गया है। कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के जरिए लिए जाने वाले अल्प अवधि के कर्ज में ब्याज सब्सिडी वाली मॉडिफाइड इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम (MISS) को 2024-25 में जारी रखने का फैसला 6 अगस्त 2024 को लिया गया।
महंगाई और कृषि इनपुट लागत में वृद्धि को देखते हुए 6 दिसंबर 2024 को कोलैटरल मुक्त कृषि कर्ज की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसे 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये प्रति किसान किया गया। नई सीमा 1 जनवरी 2025 से लागू हुई। 2025-26 के बजट में MISS के तहत KCC पर कर्ज की लिमिट भी 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की गई है।