वैश्विक कमोडिटी बाजार गिरावट के एक और साल की ओर बढ़ रहे हैं। विश्व बैंक ने 2025 और 2026, दोनों में कीमतों में 7% की गिरावट का अनुमान लगाया है क्योंकि कमजोर मांग के साथ आपूर्ति पर्याप्त बनी हुई है। यह पूर्वानुमान भारतीय उपभोक्ताओं के लिए तो राहत की बात है, लेकिन वैश्विक खाद्य और उर्वरक कीमतों में गिरावट के बीच कृषि आय को लेकर चिंता भी है।
इस सप्ताह जारी विश्व बैंक के कमोडिटी प्राइस आउटलुक के अनुसार यह गिरावट ऊर्जा से लेकर कृषि तक लगभग सभी श्रेणियों में फैली हुई है। तेल और धातुओं के साथ-साथ अधिकांश खाद्य वस्तुओं के दाम 2026 तक नरम रहने की उम्मीद है, जबकि सुरक्षित निवेश की मांग के कारण सोना और चांदी में अलग रुख रह सकता है।
विश्व बैंक ने कहा कि प्रमुख उत्पादक देशों में विशेष रूप से अनाज, तेल और अन्य खाद्य पदार्थों में मजबूत आपूर्ति की स्थिति कीमतों को नियंत्रित रखेगी। खाद्य पदार्थों की कीमतों में मामूली उतार-चढ़ाव की उम्मीद है। अनाज, खाद्य तेल और अन्य कृषि उपज 2024 के स्तर के आसपास स्थिर होंगे।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव का केंद्र रहे सोयाबीन के स्थिर रहने का अनुमान है। कॉफी और कोको जैसे पेय पदार्थों की कीमतें अगले साल मौसम की स्थिति में सुधार के साथ 7% गिर सकती हैं। हालांकि उर्वरकों की कीमतें - जो इस साल 21% बढ़ी हैं - 2026 में 5% की मामूली गिरावट के बावजूद ऊंची बनी रह सकती हैं।
वैश्विक खाद्य कीमतों में नरमी
विश्व बैंक के विश्लेषण के अनुसार कम मांग, अच्छी फसल और ऊर्जा लागत में कमी से दुनिया भर में कीमतों पर दबाव कम होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दक्षिण अमेरिका में बंपर फसल और एशिया में बेहतर पैदावार के कारण स्टॉक आरामदायक बना हुआ है।
विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में खुदरा व्यापार के रुझानों में यह पहले ही दिखाई देने लगा है। भारत में पिछली तिमाही में सब्ज़ियों और दालों की कीमतों में भारी गिरावट आई है। क्रिसिल की नवीनतम रोटी-चावल दर रिपोर्ट में प्याज, आलू और दालों के सस्ते होने से घर में बनी शाकाहारी थाली की कीमत में 10% की गिरावट देखी गई है।
बैंक ऑफ बड़ौदा का आवश्यक वस्तु सूचकांक - जो घरेलू कीमतों के रुझानों का एक बैरोमीटर है - लगातार छह महीनों से गिर रहा है। यह इसकी शुरुआत से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। टमाटर, प्याज और आलू की कीमतें भारी अपस्फीति (deflation) के दौर में पहुंच गई हैं।
किसानों के लिए बुरी खबर
भारत के लिए अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 1% से नीचे आ जाएगी। वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कम कीमतें आयात बिल को कम करने के साथ भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी मौजूदा ब्याज दर नीति को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद कर सकती हैं।
हालांकि, ग्रामीण इलाकों में इसका दूसरा पहलू भी सामने आ रहा है। अनाज, तिलहन और दलहन की गिरती कीमतों से कृषि आय में कमी आने का खतरा है। ठीक उसी तरह जैसे उर्वरक और डीजल की बढ़ती कीमतें मुनाफे को कम करती हैं। एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के कृषि नीति विश्लेषक ने कहा, "हम एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रहे हैं जहां उपभोक्ताओं को मुद्रास्फीति से राहत मिलने से किसानों की आय पर असर पड़ सकता है।"
ऊर्जा और उर्वरक के रुझानों पर नजर
विश्व बैंक को उम्मीद है कि चीन और बेलारूस द्वारा निर्यात प्रतिबंधों के साथ-साथ रूसी उत्पादों पर यूरोपीय यूनियन के नए टैरिफ के कारण उर्वरक की कीमतें 2015-19 के औसत से ऊपर रहेंगी। ऊर्जा बाजार अस्थिर बने हुए हैं। ब्रेंट क्रूड का दाम 2025 में औसतन 68 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है। इलेक्ट्रिक वाहनों और रिन्यूएबल ऊर्जा के कारण 2026 में मांग में कमी आने से यह और गिरकर 60 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है।
भारत के लिए नाज़ुक संतुलन
भारत के नीति निर्माताओं के लिए वैश्विक बाजार में नरमी एक अवसर और चेतावनी दोनों लाती है। सस्ता आयात और कम खाद्य मुद्रास्फीति राजकोषीय घाटे को कम रखने और उपभोक्ताओं का तनाव कम करने में मदद कर सकती है। लेकिन कृषि-वस्तुओं की कीमतों में लगातार कमजोरी से ग्रामीण क्षेत्र की मांग कम हो सकती है, जो व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण विकास इंजन है।
विश्लेषकों का कहना है कि दालों और खाद्य तेल जैसे क्षेत्रों में संकट को रोकने के लिए सरकार को खरीद बढ़ाने या निर्यात बाजारों का विस्तार करने की आवश्यकता हो सकती है। ग्रामीण मुद्रास्फीति के रुझानों पर नजर रखने वाले एक अर्थशास्त्री ने कहा, "यह बफर स्टॉक के पुनर्निर्माण का एक अवसर है, आराम करने का नहीं।"
जैसे-जैसे 2026 नजदीक आ रहा है, यह स्पष्ट हो रहा है कि दुनिया को वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का एक और साल झेलना पड़ेगा। यह वैश्विक आर्थिक सुस्ती और प्रचुर आपूर्ति का संकेत है। भारत के लिए इसका मतलब मुद्रास्फीति से राहत है, लेकिन एक बड़ा सवाल है कि उपभोक्ता राहत और कृषि आजीविका के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।