नई आईटीआई से छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में स्किल के अंतर को पाटना संभव

युवा आबादी इंडस्ट्री 4.0 के मुताबिक तैयार हो सके, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें स्किल ट्रेनिंग दी जाए तथा कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, मेकाट्रॉनिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे विषयों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए। इसके साथ सॉफ्ट स्किल भी आवश्यक है।

इन दिनों भारत में स्किल ट्रेनिंग, स्किल बेहतर बनाने तथा नए सिरे से स्किल सिखाने जैसे कार्यक्रम कामकाजी प्रोफेशनल, फ्रेशर और नौकरी तलाश रहे युवाओं के लिए पहली प्राथमिकता बन गए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 लॉन्च की गई, जिसका मकसद लाखों युवाओं को नए जमाने के पाठ्यक्रमों के मुताबिक तैयार करना है। जुलाई 2023 में क्राफ्ट्समैन ट्रेनिंग स्कीम (सीटीएस) के तहत एक प्रमुख उपलब्धि हासिल की गई जब वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में 48 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) की स्थापना हुई। इन 48 जिलों में छत्तीसगढ़ के 9 ग्रामीण जिले शामिल हैं। यह हैं- दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, सरगुजा, राजनांदगांव, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोडागांव।

इन संस्थानों का प्राथमिक लक्ष्य विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र के लिए स्किल्ड वर्कफोर्स तैयार करना तथा इन क्षेत्रों के युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ाना है। आईटीआई के आधुनिकीकरण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ टाटा टेक्नोलॉजी का एमओयू युवाओं को उद्योग आधारित स्किल ट्रेनिंग देने का अच्छा उदाहरण है। युवा आबादी इंडस्ट्री 4.0 के मुताबिक तैयार हो सके, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें स्किल ट्रेनिंग दी जाए तथा कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, मेकाट्रॉनिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे विषयों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए। इसके साथ सॉफ्ट स्किल भी आवश्यक है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एक मांग आधारित स्कीम है। इसकी शुरुआत भारत के ग्रामीण जिलों में युवाओं को कम अवधि वाले प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है। बजट 2023 में ग्रामीण युवाओं तथा कामकाजी आबादी के लिए एक और कार्यक्रम लॉन्च किया गया था जिसका नाम है जन शिक्षण संस्थान। इसे ऐसे स्थानीय लोगों को व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया गया है जिन्होंने आठवीं कक्षा तक बेसिक शिक्षा हासिल की है अथवा 12वीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी है। यह कार्यक्रम मुख्य रूप से 15 से 45 आयु वर्ग के लोगों के लिए है। इसमें महिलाओं, अनुसूचित जनजाति, जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाती है। पिछले कुछ महीनों में इस कार्यक्रम को काफी लोकप्रियता मिली है। बड़ी संख्या में युवा स्किल सीखने और अपने लिए नौकरी के अवसर बेहतर करने के मकसद से इसमें आ रहे हैं।

स्किल की आवश्यकता पूरी करने के लिए इंडस्ट्री और सरकार में साझेदारी

स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रमों को इंडस्ट्री की मांग के मुताबिक तैयार किया जाना चाहिए। मांग आधारित औपचारिक स्किलिंग, जिसमें नियोक्ता के साथ युवाओं को जोड़ा जाए, तथा उद्यमिता स्कीमों तक पहुंच बढ़ाना आज की जरूरत है। जुलाई 2023 में टाटा टेक्नोलॉजीज ने छत्तीसगढ़ सरकार के साथ इंडस्ट्री 4.0 को प्रमोट करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है। इसका मुख्य लक्ष्य राज्य सरकार के स्वामित्व वाले 36 आईटीआई को अपग्रेड करना है। इस पर 1188.36 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है।

यह साझेदारी ग्रामीण विकास प्रोजेक्ट को समर्थन देने में उद्योग की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह सरकार की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसे राष्ट्रीय विकास कार्यक्रमों के पूरक के तौर पर काम करती है। इस तरह की पहल ऐसी वर्कफोर्स तैयार करने में मददगार साबित होगी जो इंडस्ट्री 4.0 के मुताबिक तथा रोजगार के काबिल होगी। इससे स्किल आधारित लर्निंग की सफलता सामने आएगी, साथ ही भारत के ग्रामीण क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास में मददगार बनेगी।

एमएसएमई को बढ़ावा देने के कदम

ग्रामीण जिलों में स्थापित होने वाले टेक्नोलॉजी सेंटर एमएसएमई के लिए इंडस्ट्रियल हब के तौर पर भी काम करेंगे। टाटा टेक्नोलॉजीज ने युवाओं के लिए स्किल आधारित पाठ्यक्रम लागू किए हैं। यह पाठ्यक्रम मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमेशन, इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स, मेकैनिकल इलेक्ट्रिक व्हीकल, वर्चुअल वेरिफिकेशन, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग तथा ऐसे अनेक क्षेत्रों के लिए है।

आईटीआई को अपग्रेड करने के लिए और अधिक इंडस्ट्री पार्टनर सामने आ सकते हैं तथा नए ट्रेड स्थापित कर सकते हैं। इंडस्ट्री 4.0 की जरूरतों को पूरा करने के लिए कम अवधि वाले कोर्स शुरू कर सकते हैं। यह केंद्र हर साल 10000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित करेंगे। प्रोडक्ट डिजाइन और डेवलपमेंट, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, मॉडर्न आटोमोटिव्स मेंटेनेंस-रिपेयर, बैटरी, इलेक्ट्रिक व्हीकल ट्रेनिंग तथा अन्य अनेक सेक्टर में यह लोगों की स्किल को बेहतर कर सकते हैं। इससे और अधिक संख्या में एमएसएमई की स्थापना की जमीन तैयार होगी तथा इससे इन राज्यों में निवेश भी बढ़ेगा।

ग्रामीण इंडस्ट्रियल हब जमीन, बिजली, पानी, शेड, प्रशिक्षण, वाई-फाई, बैंकिंग लिकेज जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवा कर क्षेत्रीय और स्थानीय विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। इसमें स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा मिलेगा। यह हब लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए गए हैं। यहां बड़ी संख्या में ग्रामीण कामकाजी लोगों को अपने घर के करीब काम मिल सकता है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गांवों को प्रोडक्शन हब तथा शहरों को विकसित बिजनेस सेंटर के रूप में विकसित करने के सरकार के प्रयासों पर बल दिया है। उन्होंने 300 ग्रामीण इंडस्ट्रियल पार्क और गांव में लघु उद्योग स्थापित करने की योजना भी बताई। उन्होंने टाटा की तरह अन्य कंपनियों से भी इन ग्रामीण केंद्रों को विकसित करने में मदद का आह्वान किया और कहा कि वह इन केंद्रों में आधुनिक उद्योग और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी लेकर आएं। इन इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाने से यह ग्रामीण हब छोटी कंपनियों को अपना कामकाज शुरू करने के लिए आकर्षित कर सकते हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे परिवहन की व्यवस्था सुधरेगी, डिलीवरी की सेवा बेहतर होगी और ग्रामीण जिलों में उद्योग का इकोसिस्टम खड़ा होगा।

ग्रामीण वर्कफोर्स को स्किल सिखाना तथा सशक्त बनाना

ग्रामीण वर्कफोर्स के लिए स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम पूरे गांव को नए उत्पादन केंद्रों के रूप में बदल सकते हैं। यह आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इसके साथ ऐसी नीति की जरूरत है जो इन क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा दे, रोजगार के अवसर मुहैया कराए, लोगों की आमदनी बढ़ाए तथा उनकी जीवन शैली में सुधार करे।

गांव को प्रोडक्शन हब के रूप में तैयार करने और ग्रामीण इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित करना इलाकों की वर्कफोर्स को सशक्त बनाने तथा उनकी स्किल बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मुहैया करवाकर यह वहां के लोगों को नौकरी की तलाश में अपना घर छोड़कर बड़े शहरों तथा महानगरों की ओर जाने से रोक सकता है।

ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट की यह पहल ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आधुनिक उद्योगों में प्रवेश के योग्य बना सकती है, उन्हें रोजगार के लायक बेहतर बना सकती है तथा उनकी आमदनी में भी वृद्धि कर सकती है। दीर्घकाल में इस तरह की पहल गरीबी में कमी लाएगी, ग्रामीण इलाकों की क्रय क्षमता बढ़ाएगी तथा आर्थिक विकास को गति देगी।

छत्तीसगढ़ में तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ आलोक शुक्ला ने आईटीआई के आधुनिकीकरण में टाटा जैसी कंपनियों के सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। इस तरह की साझेदारी युवाओं की शिक्षा तथा क्षमता को उद्योगों की उभरती जरूरतों से जोड़ने के सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है। अगर युवा नई प्रौद्योगिकी के साथ तैयार होकर आते हैं तो इससे स्किल्ड वर्कफोर्स की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम किया जा सकता है। साथ ही इससे नौकरियों के ज्यादा अवसर निकलेंगे तथा युवा राज्य में अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे राज्य को उद्योगों के लिए निवेश की बेहतर जगह के रूप में भी स्थापित किया जा सकता है। उद्योग यहां अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के साथ अपने फैक्ट्री आउटलेट भी स्थापित कर सकते हैं।

निष्कर्ष

इस तरह की और साझेदारी होने से ग्रामीण क्षेत्रों में ऑन द जॉब ट्रेनिंग के अधिक अवसर खुलेंगे। जैसा कि केंद्रीय बजट 2023 में कहा गया है, विभिन्न राज्यों में स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर स्थापित किए जाएंगे। एकीकृत स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म के तहत स्किलिंग के लिए डिजिटल इकोसिस्टम का विस्तार किया जाएगा। इससे मांग आधारित औपचारिक स्किलिंग में मदद मिलेगी, युवाओं को टेक्नोलॉजी का ज्ञान होगा तथा देश के विभिन्न राज्यों और ग्रामीण जिलों में नई नौकरियों के दरवाजे खुलेंगे।

भारत में प्रचुर संख्या में प्रतिभाएं हैं। इन्हें टेक्निकल तथा नॉन टेक्निकल क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए और अधिक मदद की जरूरत है ताकि उन्हें ऐसे औद्योगिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी मिल सके। अकादमिक संस्थान और इंडस्ट्री एसोसिएशन इन कार्यक्रमों के बारे में ग्रामीण जिलों में जागरूकता फैला सकते हैं और स्किल डेवलपमेंट तथा रोजगार के बीच के अंतर को कम कर सकते हैं।

(प्रियाश्री एंडले स्किल और एजुकेशनल डेवलपमेंट कंसल्टेंट हैं)