महाराष्ट्र के गन्ना किसानों को चाहिए एथेनॉल की कमाई में हिस्सा और एफआरपी में बढ़ोतरी

महाराष्ट्र के गन्ना किसानों ने चीनी के डायवर्जन से तैयार एथेनॉल की कमाई में हिस्सेदारी की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने गन्ने के फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) को 10.25 फीसदी के चीनी रिकवरी के आधार स्तर पर बढ़ाकर 3250 रुपये प्रति टन करने के लिए कहा है। इस कीमत में गन्ना कटाई और ढुलाई (एचएंडटी) खर्च को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। गन्ने के तौल में गड़बड़ी से किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सभी चीनी मिलों और खरीद केंद्रों को इंटरनेट के जरिये सेंट्रल सिस्टम से नियंत्रित करने की जरूरत है। स्वाभीमानी शेतकरी संघटना के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस के साथ एक बातचीत में यह बातें कहीं

महाराष्ट्र के गन्ना किसानों ने चीनी के डायवर्जन से तैयार एथेनॉल की कमाई में हिस्सेदारी की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने गन्ने के फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) को 10.25 फीसदी के चीनी रिकवरी के आधार स्तर पर बढ़ाकर 3250 रुपये प्रति टन करने के लिए कहा है।  इस कीमत में गन्ना कटाई और ढुलाई (एचएंडटी) खर्च को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने चालू शुगर सीजन (2022-23) के लिए गन्ने का एफआरपी 305 रुपये प्रति क्विटंल तय किया है। गन्ने के तौल में गड़बड़ी से किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सभी चीनी मिलों और खरीद केंद्रों को इंटरनेट के जरिये सेंट्रल सिस्टम से नियंत्रित करने की जरूरत है। स्वाभीमानी शेतकरी संघटना के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस के साथ एक बातचीत में यह बातें कहीं। स्वाभीमानी शेतकरी संगठन ने 7 नवंबर को पुणे में चीनी आयुक्त के कार्यालय पर इन मांगो को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन किया जिसमें हजारों गन्ना किसानों ने हिस्सा लिया।

राजू शेट्टी ने कहा कि हमने इस संबंध में चीनी आयुक्त को अपनी मांगे सौंप दी हैं। उन्होंने कहा कि एफआरपी तय करने का फार्मूला बदलना चाहिए क्योंकि पहले चीनी का डायर्जन कर कर एथनॉल नहीं बनता था। मिलें किसानों को एक फीसदी चीनी रिकवरी के बदले में 297 रुपये प्रति टन देते हैं। जबकि एक फीसदी चीनी कम करने पर बनने वाले एथनॉल से चीनी मिलों को करीब 1200 रुपये की कमाई होती। लेकिन किसानों को मिलें केवल 297 रुपये दे रही हैं। हमें इसमें अधिक हिस्सा चाहिए। इसलिए एफआरपी तय करने का फार्मूला बदलने का समय आ गया है। इसके बारे में मैं सीएसीपी के चेयरमैन से भी मिलने वाला हूं।

उन्होंने रूरल वॉयस को बताया कि गन्ना आपूर्ति के समय वेट मीजरमेंट में बहुत बड़ी धोखाधड़ी होती है। हम चाहते हैं कि गन्ना तौल को डिजिटलाइज किया जाए। पेट्रोलियम कंपनियों ने एक सॉफ्टवेयर के जरिये हजारों पेट्रोल पंप को सेंट्रलाइज कर रखा है। अगर यह वहां संभव है तो महारष्ट्र की 200 चीनी मिलों में गन्ना के वेट मीजरमेंट को भी इसी तर्ज पर सेंट्रलाइज करना संभव है। इसका नियंत्रण चीनी आयुक्त कार्यालय के पास होना चाहिए। ऐसे में अगर इससे कोई भी मिल छेड़छाड़ करेगा तो पता लग जाएगा।

शेट्टी करते हैं कि राज्य सरकार द्वारा एफआरपी का भुगतान दो किस्तों करने वाला फैसला हमें मंजूर नहीं है। एफआरपी केंद्र सरकार का कानून है और इसकी प्रक्रिया में राज्य सरकार कोई बदलाव नहीं कर सकती है। इसके खिलाफ हम बॉम्बे हाई कोर्ट में गये हैं। उन्होंने कहा कि पूरे एफआरपी का एक साथ भुगतान करने के लिए करीब 40 चीनी मिलें तैयार हो गयी हैं। इसलिए हमें उम्मीद है कि बाकी चीनी मिलें भी एफआरपी का पूरा भुगतान एक साथ करने के लिए तैयार हो जाएंगी।

महाराष्ट्र सरकार ने फैसला लिया है कि गन्ना किसानों को गन्ने के 10.25 फीसदी की चीनी रिकवरी के आधार पर एफआरपी के रूप में पहली किस्त में 3050 रुपये प्रति टन में से कटाई और ढुलाई का खर्च काट कर भुगतान होगा। उसके बाद सीजन समाप्त होने पर एफआरपी की बकाया राशि का भुगतान होगा। राजू शेट्टी ने बताया कि इसी का विरोध स्वाभीमानी शेतकरी संघटना ने किया है। सरकार के फैसले के खिलाफ अगली संघटना की याचिका पर अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।

पिछले चीनी सीजन (2021-22) में महाराष्ट्र के बार फिर पांच साल के बाद उत्तर प्रदेश को पछाड़ते हुए देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य बन गया था। 30 सितंबर को समाप्त हुए चीनी सीजन (अक्तूबर 2021 से सितंबर 2022) में वहीं महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन 137.30 लाख टन रहा जिसके चालू चीनी सीजन (2022-23)  में 150 लाख टन को पार कर जाने की उम्मीद है। वहीं पिछले सीजन में उत्तर प्रदेश का चीनी उत्पादन 102.50 लाख टन रह गया है और चालू सीजन में इसके 90 से 100 लाख टन के बीच रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।