कर्नाटक में गन्ना किसानों का आंदोलन: चीनी मिलें ठप, हाईवे जाम, 3,500 रुपये प्रति टन दाम की मांग

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने गन्ना किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तत्काल मुलाकात का समय मांगा है।

उत्तरी कर्नाटक में गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर किसान पिछले 8 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। 3,500 रुपये प्रति टन मूल्य की मांग करते हुए किसानों ने हाईवे जाम कर दिए हैं और लगभग 26 चीनी मिलों का संचालन ठप हो गया है। बेलगावी, बागलकोट, विजयपुरा, हुबली-धारवाड़, कलबुरगी सहित कई जिलों में फैले इस आंदोलन ने राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस आंदोलन को कर्नाटक राज्य रैयथ संघ, कर्नाटक गन्ना उत्पादक संघ और कई अन्य संगठनों का समर्थन है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने गन्ना किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तत्काल मुलाकात का समय मांगा है। मुख्यमंत्री का कहना है कि गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) तय करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। यह समस्या केंद्र सरकार द्वारा एफआरपी न बढ़ाने, चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में वृद्धि न होने, निर्यात प्रतिबंध और एथेनॉल की सीमित खरीद से जुड़ी है। राज्य सरकार ने कटाई और परिवहन शुल्क से अलग 11.25% रिकवरी पर 3,200 रुपये प्रति टन और 10.25% रिकवरी पर 3,100 रुपये प्रति टन का भुगतान सुझाया है, लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों और मिल मालिकों के बीच लगातार संवाद की कोशिश कर रही है, लेकिन आंदोलन लगातार तेज हो रहा है और किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

मंत्री के काफिले पर फेंकी चप्पल

बेलगावी जिले में गुस्साए किसानों ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार के मंत्री शिवानंद पाटिल के वाहन पर चप्पलें फेंक दीं। यह घटना उस समय हुई जब मंत्री पाटिल बेलगावी में किसानों से बातचीत के बाद लौट रहे थे। मंत्री से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला तो नाराज किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी। पाटिल ने कहा कि गन्ने की कीमत तय करने की असल जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। संबंधित विभाग के मंत्री कर्नाटक से हैं लेकिन केंद्र ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

किसानों के आंदोलन में छात्र और अन्य सामाजिक संगठन भी शामिल हो गए हैं, जिससे आंदोलन को मजबूती मिल रही है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया शुक्रवार को राज्यभर के चीनी मिल मालिकों के साथ बैठक करेंगे, जिसमें किसानों को राहत देने के लिए कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।

क्या है मुद्दा?

केंद्र सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए गन्ने का FRP 10.25% रिकवरी पर 355 रुपये प्रति क्विंटल (3,550 रुपये प्रति टन) निर्धारित किया है, जिसमें कटाई और परिवहन शुल्क भी शामिल है। इससे कम रिकवरी पर कीमत में कटौती हो जाती है। कटाई और परिवहन लागत घटाने के बाद कर्नाटक में किसानों को 9-9.5% रिकवरी पर केवल 2,600-3,000 रुपये प्रति टन का ही भुगतान मिल पाता है। जबकि किसान कटाई और परिवहन कटौती के बाद 3,500 रुपये प्रति टन के भुगतान और समय पर भुगतान की मांग कर रहे हैं।

भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर किसान-विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर शुक्रवार की बैठक से कोई ठोस निर्णय नहीं निकला, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

यूपी, महाराष्ट्र से अलग कर्नाटक की स्थिति

यूपी और महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक देश का तीसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है, जहां पिछले वर्ष के 6.4 लाख हेक्टेयर की तुलना में गन्ने का रकबा लगभग 6% बढ़कर 6.8 लाख हेक्टेयर हो गया है। उत्तर प्रदेश में सरकार ने गन्ने का रेट (SAP) 400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि महाराष्ट्र में 355 रुपये प्रति क्विंटल की दर से FRP का भुगतान किया जाता है। महाराष्ट्र में कटाई और ढुलाई का खर्च चीनी मिलें वहन करती हैं और सहकारी चीनी मिलों में किसानों को मुनाफे में हिस्सेदारी भी मिलती है। कर्नाटक में किसानों को गन्ना मूल्य यूपी और महाराष्ट्र की तुलना में कम मिलता है।