पीएम फसल बीमा योजना राज्य सरकार के अधीन लाने की मांग, किसानों ने कहा उनकी समस्या राज्य सरकारें बेहतर समझती हैं

किसान नेताओं का कहना है कि फसल बीमा को राज्य सरकार के अधीन रखा जाना चाहिए। उनका कहना है कि राज्य सरकारें स्थानीय मुद्दों को केंद्र सरकार से बेहतर समझती हैं। इसके अलावा अभी जो किसान मक्का, केला या दूसरी फसलें उगाते हैं उन्हें इस योजना के तहत कवरेज नहीं मिल पाती है

फसल बीमा योजना को लेकर केंद्र सरकार और कई राज्यों के बीच विवाद के बीच तमिलनाडु के किसानों ने कहा है कि योजना को राज्य सरकार के अधीन किया जाना चाहिए। राज्य में खरीफ की धान की फसल के लिए बीमा कराने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है। किसानों का कहना है कि मुआवजा दिए जाते वक़्त कई तरह के स्थानीय मुद्दों पर विचार नहीं किया जाता है, इसलिए इसे राज्य सरकार के अधीन रखा जाना चाहिए।

अभी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का इंश्योरेंस किया जाता है। यह एक अंब्रेला स्कीम है जिसे राज्य सरकारों के माध्यम से लागू किया जाता है। किसानों की शिकायत है कि मौजूदा व्यवस्था में स्थानीय परिस्थितियों पर विचार नहीं किया जाता है। अभी जो व्यवस्था है उसके मुताबिक अगर पूरे गांव में धान की फसल किसी प्राकृतिक आपदा या कीटों के हमले का शिकार होती है तभी वहां के किसानों को मुआवजा मिल सकता है। दूसरी फसलों के मामले में भी बड़े इलाके में फसल प्रभावित होने पर ही बीमा दिए जाने का प्रावधान है। इसलिए स्थानीय किसान नेताओं का कहना है कि फसल बीमा को राज्य सरकार के अधीन रखा जाना चाहिए। उनका कहना है कि राज्य सरकारें स्थानीय मुद्दों को केंद्र सरकार से बेहतर समझती हैं। इसके अलावा अभी जो किसान मक्का, केला या दूसरी फसलें उगाते हैं उन्हें इस योजना के तहत कवरेज नहीं मिल पाती है।

योजना पर उठे विवादों के कारण कई राज्य इससे अलग हो गए थे। हालांकि बाद में कई राज्यों ने इसमें वापसी भी की है। पिछले दिनों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों ने भी इस योजना के तहत आने का फैसला किया। तेलंगाना सरकार की मांग थी कि इस योजना में किसानों का यूनिवर्सल कवरेज किया जाए। माना जा रहा है कि केंद्र की तरफ से इस मांग को मानने जाने के बाद ही तेलंगाना सरकार योजना के तहत आने को राजी हुई है। हालांकि तेलंगाना में यह योजना 2023 के रबी सीजन से ही लागू होगी। उससे पहले अधिक प्रीमियम का हवाला देते हुए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और गुजरात राज्य इससे अलग हो चुके थे।

योजना के तहत किसानों को भुगतान में भी शिकायतें आ रही हैं। जैसे, 2021 में उड़ीसा के किसानों को खरीफ फसल के दौरान प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ था। ऐसे किसानों की संख्या करीब 14.27 लाख है। नई खरीफ फसल का समय आ जाने के बावजूद राज्य के किसानों को अभी तक पिछले साल का मुआवजा नहीं मिला है।