टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट ने भारत के छोटे किसानों के विकास के लिए एफपीओ हब लॉन्च किया

भारत के 12.5 करोड छोटी जोत वाले किसानों को आर्थिक रुप से मजबूत बनाने और कृषि क्षेत्र के विकास के अवसरों का लाभ उठाने के लिए टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट (टीसीआई) ने उत्कृष्टता सेंटर के अंदर किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के लिए कृषि और पोषण के लिए एक हब लॉच किया है

भारत के 12.5 करोड़ छोटे जोत वाले किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और कृषि क्षेत्र के विकास  के अवसरों  का लाभ उठाने के लिए टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट (टीसीआई) नई दिल्ली ने अपने उत्कृष्टता सेंटर के अन्दर किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के लिए कृषि और पोषण के लिए एक हब लॉच किया है ।

टीसीआई की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यह हब अपने आप में भारतीय एफपीओ का पहला डाटा बेस हब है । इस हब की फंडिंग वॉलमार्ट फाउंडेशन द्वारा  हुई है।  यह हब  भारतीय एफपीओ के बारे मे  सीखने का केन्द्र है जहां  शिक्षा, सूचना  और उन्नति के लिए जानकारी दी जाएगी ।

जब छोटे किसान बाजार से त्रृण ,कृषि आदानो जैसे  खाद बीज  की खरीदारी करते है तो उनको ज्यादा नुकसान होता है । मगर एफपीओ से जुड़कर किसान सामूहिक रूप से इस काम को करते है तो खेती की लागत को कम करने के साथ बाजार  का सही आंकलन कर सकते है जिससे अधिक कृषि  उत्पादकता , उत्पादन का उचित बाजार मुल्य , खाद्य सुरक्षा औऱ जीवन स्तर के सुधार में मदद मिल सकती है । साल 2000 के दशक में किसानों द्वारा  एफपीओ के गठन की शुरूआत की गयी थी और  एफपीओ को बढ़ावा देने के लिए बहुत रुचि दिखाई जा रही है मगर इसके लिए जो  मददगार  कार्पोरेट और सरकारे  शामिल हो रही है उनके सामने कई महत्वपूर्ण बाधाएं है जैसे सीमीत वित्तीय अवसर  और आत्मनिर्भर बनाने के लिए जरूरी समय जो  बहुत कम है। भारत सरकार साल 2014 से  एफपीओ को बढ़ावा देने के लिए  नए सिरे से प्रयास शुरू किया था । टीसीआई के निदेशक प्रभु पिंगली  जो डायसन स्कूल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर है, उन्होंने कहा कि  छोटे जोत वाले किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाने और विभिन्न पौष्टिक खाद्य पदार्थों  जिनकी भारत में मांग बढ़ रही है उनकी आपूर्ति के लिए बढ़ोतरी लाने के लिए किसान उत्पादक संगठन की भूमिका बहुत अहम है ।

उन्होंने आगे यह भी कहा कि  टीसीआई का उद्देश्य  एफपीओ हब के माध्यम से डेटा-आधारित ज्ञान का इस प्रकार बेस  प्रदान करना है कि एफपीओ को स्थायी, मजबूत और प्रभावी बनाया जा सके।

इस हब  की सबसे बडी खासियत यह है कि टीसीआई भारतीय एफपीओ के लिए एक ऐसा  डेटा बेस है  जो छोटे जोत वाले किसानों के एकत्रीकरण मॉडल पर रिसर्च की सुविधा प्रदान करने और  हजारों एफपीओ की जानकारी एक साथ लाने वाला प्लेटफार्म  है । आज के समय में टीसीआई का डेटाबेस भारतीय एफपीओ के लिए  एक मात्र सेंट्रलाइज्ड सोर्स है।  रिसर्चर इसके इंटरेक्टिव वेब-आधारित डैशबोर्ड के माध्यम से, एफपीओ पर मौजूद डेटा को उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि उत्पादित फसलें, स्थापना वर्ष और प्रायोजक एजेंसियां । यह  डेटा हब रिसर्चर को छोटे किसानों की आय को बढ़ाने  और उनके  कल्याण के लिए  एक स्थायी मॉडल तैयार करने में मदद करेगा।

पिंगली ने कहा कि इस हब के माध्यम से भारत के 4,400 से अधिक एफपीओ का डेटा एक साथ  लाने से मजबूत, प्रभावी एफपीओ मॉडल विकसित करने  के उद्देश्य  से की जाने वाली रिसर्च को मजबूती मिलेगी ।

लॉन्च किए गए इस एफपीओ हब को वॉलमार्ट फाउंडेशन द्वारा दस लाख डॉलर का सहायता अनुदान प्राप्त हुआ है। इसका इस्तेमाल  विश्लेषणात्मक अध्ययन  और डेटा-बेस एप्रोच के लिए करके इस  हब के माध्यम से प्रभावी कृषि-एकत्रीकरण मॉडल को समझा जा सकता है और ऐसे मॉडल का विकास और प्रचार किया जा सकता है ।  यह प्लेटफार्म एक प्रचार  मंच के रूप में काम  करेगा जिसके माध्यम से इसके हितधारक सूचना, तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्राप्त कर सके ।

वॉलमार्ट फाउंडेशन  के उपाध्यक्ष जूली गेहरकी ने कहा कि भारत में वॉलमार्ट फाउंडेशन छोटे किसानों की आजीविका में सुधार लाने में  हर संभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। टीसीआई को अनुदान राशि के जरिए  हम सार्थक रूप से किसान उत्पादक संगठनों के  अनुसंधान को आगे बढ़ा रहे हैं जो बाजार आंकलन ,मजबूत  व्यापार  और कृषि पद्तियों  को मजबूत करने के लिए बुनियादी ढांचे के रूप में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि टीसीआई के जरिए  कृषि-मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए हब  अब सीधे तौर पर किसानों को सपोर्ट करने वाले अनेक संस्थानों और एक्सपर्ट  को  किसानों से जोड़ेगा ।