कॉटन पर आयात शुल्क हटते ही कीमतों में 1100 रुपये की गिरावट

ट्रंप टैरिफ की मार से जूझ रहा भारत का टेक्सटाइल उद्योग काफी समय से कॉटन पर आयात शुल्क हटाने की मांग कर रहा था। भारत सरकार का यह कदम अमेरिका के साथ व्यापार तनाव कम करने की दिशा में भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे अमेरिका के साथ बातचीत के नए रास्ते खुल सकते हैं।

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केंद्र सरकार द्वारा कॉटन पर 11 फीसदी आयात शुल्क समाप्त करने के तुरंत बाद ही कीमतों में गिरावट का दौर शुरू हो गया। दो दिन के भीतर ही कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कॉटन के दामों में 1,100 रुपये प्रति कैंडी की कटौती कर दी।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, 19 अगस्त से कॉटन पर आयात शुल्क समाप्त हो गया है। इसी दिन सीसीआई ने कॉटन के दाम 600 रुपये घटाए, और अगले दिन इसमें 500 रुपये की और कटौती की गई। नई कीमतों के तहत 28 एमएम कॉटन का दाम 55,100 रुपये, 29 एमएम का दाम 55,400 रुपये और 30 एमएम का दाम 55,700 रुपये प्रति कैंडी महाराष्ट्र के लिए तय किया गया है।

ट्रंप टैरिफ की मार से जूझ रहा भारत का टेक्सटाइल उद्योग कॉटन पर आयात शुल्क हटाने की मांग कर रहा था, क्योंकि अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ से इस क्षेत्र को नुकसान पहुंचने की आशंका है। भारत सरकार का यह कदम अमेरिका के साथ व्यापार तनाव कम करने की दिशा में भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे अमेरिका के साथ बातचीत के नए रास्ते खुल सकते हैं।

कॉटन पर आयात शुल्क खत्म कराने के लिए टेक्सटाइल उद्योग कई माह से प्रयासरत था। इसके लिए अप्रैल के अंतिम सप्ताह में टेक्सटाइल मंत्रालय के साथ उद्योग प्रतिनिधियों की बैठकें हुईं, लेकिन उस समय कोई निर्णय नहीं हो पाया। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, अगस्त के दूसरे सप्ताह तक भी अधिकारी शुल्क समाप्त करने को लेकर सहमत नहीं थे।

हालांकि, अमेरिका के साथ अटकी द्विपक्षीय व्यापार वार्ता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद बने हालात को उद्योग ने आयात शुल्क समाप्त करवाने के लिए अवसर के रूप में इस्तेमाल किया।

अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा कपास निर्यातक है और भारतीय बाजार तक व्यापक पहुंच बनाने के लिए दबाव बना रहा है। अमेरिका बड़े पैमाने पर भारत को कॉटन निर्यात करना चाहता है। ऐसे में सरकार का यह निर्णय दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता में आई कड़वाहट को कम करने का संकेत भी माना जा रहा है।

उधर, देश में कपास की खेती का रकबा और उत्पादन लगातार घट रहा है। भारत में कॉटन उत्पादन अपने उच्चतम स्तर 390 लाख गांठ से करीब 90 लाख गांठ घटकर 300 लाख गांठ पर आ चुका है और एक बड़े निर्यातक के रूप में स्थापित होने के बाद अब भारत कॉटन का बड़ा आयातक बन गया है।

भारत सरकार के आयात शुल्क समाप्त करने के फैसले पर रूरल वॉयस ने अपनी पहली रिपोर्ट में ही आशंका जताई थी कि इसका नतीजा कीमतों में गिरावट के रूप में सामने आएगा। इसका असर नई फसल की कीमतों पर भी पड़ सकता है। साथ ही, उन घरेलू स्टॉकिस्टों को भी नुकसान होगा जिन्होंने सीसीआई से कॉटन इसलिए खरीदी थी कि वे लीन सीजन में मुनाफा कमा सकें।

उद्योग सूत्रों का कहना है कि आगामी सीजन में कॉटन के दाम कम ही रहेंगे। 30 सितंबर 2025 तक करीब छह लाख गांठ आयात होने का अनुमान है। दूसरी ओर, चालू खरीफ सीजन में कपास का क्षेत्रफल 3.24 लाख हेक्टेयर घटा है, जो पिछले साल के मुकाबले 2.91 फीसदी कम है। पिछले साल भी कॉटन का क्षेत्रफल कम हुआ था।

कॉटन आयात पर शुल्क समाप्त कर केंद्र सरकार उद्योग जगत की मुश्किलों और अमेरिका के साथ व्यापार मोर्चे पर दिक्कतों को दूर करने में भले सफल हो जाए, लेकिन यह गहराते कपास संकट की आहट है।