खांडसारी इकाइयों पर लागू होगा शुगर कंट्रोल ऑर्डर, देना पड़ेगा गन्ने का एफआरपी

अब प्रतिदिन 500 टन पेराई क्षमता (टीसीडी) वाली खांडसारी इकाइयों को भी चीनी मिलों की तरह नियम-कायदों का पालन करना होगा और किसानों को गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करना पड़ेगा।

केंद्र सरकार ने छह दशक पुराने शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर, 1966 में संशोधन कर खांडसारी चीनी और खांडसारी इकाइयों को नियमन के दायरे में लाने का फैसला किया है। अब प्रतिदिन 500 टन पेराई क्षमता (टीसीडी) वाली खांडसारी इकाइयों को भी चीनी मिलों की तरह नियम-कायदों का पालन करना होगा और किसानों को गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) देना पड़ेगा। इस तरह सरकार ने खांडसारी चीनी उद्योग पर रेगुलेशन का शिकंजा कसने की तरफ कदम बढ़ा दिया है।  

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने गुरुवार को कहा कि भारत सरकार ने शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर, 1966 की व्यापक समीक्षा के बाद शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर, 2025 तैयार किया है। 500 टीसीडी से अधिक पेराई क्षमता वाली खांडसारी इकाइयों को शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर, 2025 में शामिल किया गया है। इससे खांडसारी इकाइयों द्वारा किसानों को एफआरपी का भुगतान सुनिश्चित होगा और चीनी उत्पादन का सटीक अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। नए शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर की अधिसूचना जल्द ही जारी हो जाएगी।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, शुगर कंट्रोल ऑर्डर में संशोधन का उद्देश्य उद्योग में बदलाव और तकनीकी प्रगति के अनुरूप चीनी क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांचे को सरल और सुव्यवस्थित करना है।

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, देश में कुल 373 खांडसारी इकाइयां (लगभग 95000 टीसीडी की कुल क्षमता के साथ) काम कर रही हैं। इनमें से 66 खांडसारी इकाइयां (लगभग 55200 टीसीडी की कुल क्षमता के साथ) 500 टीसीडी से अधिक क्षमता की हैं। ऐसी इकाइयों द्वारा पर्याप्त मात्रा में खांडसारी चीनी का उत्पादन किया जा रहा है। इन्हें अब शुगर कंट्रोल ऑर्डर के तहत रेगुलेट किया जाएगा। 

अब 500 टीसीडी से अधिक क्षमता वाली खांडसारी इकाइयों को चीनी उत्पादन का डेटा सरकार के साथ डिजिटली साझा करना होगा। खाद्य मंत्रालय के अनुसार, प्रणालियों के एकीकरण से कार्यकुशलता बढ़ेगी और रियल टाइम डेटा उपलब्ध होगा। 450 से अधिक चीनी मिलें पहले ही खाद्य विभाग के पोर्टल के साथ एकीकृत हो चुकी हैं। इसके अलावा, चीनी मिलों द्वारा चीनी की बिक्री से संबंधित जीएसटीएन डेटा भी पोर्टल के साथ एकीकृत है।

चीनी मूल्य के नियमन से संबंधित शुगर प्राइस (कंट्रोल) ऑर्डर, 2018 के प्रावधानों को भी सरकार ने शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर, 2025 में समाहित कर दिया है। अब अलग से कोई शुगर प्राइस (कंट्रोल) ऑर्डर नहीं होगा।

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केंद्र सरकार काफी दिनों से खांडसारी इकाइयों पर नियमन का शिकंजा कसने की तैयारी कर रही थी, इस बारे में रूरल वॉयस ने पिछले साल सितंबर में यह खबर प्रकाशित की थी। 

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रॉ शुगर पर भी लागू होगा आदेश

सरकार ने शुगर कंट्रोल ऑर्डर में संशोधन कर रॉ शुगर को भी इसमें शामिल किया है। खाद्य मंत्रालय का कहना है कि कच्ची चीनी को नियंत्रण आदेश में शामिल कर हम अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा कर सकेंगे। रॉ शुगर को देश भर में चीनी के कुल स्टॉक में शामिल किया जाएगा, जिससे वास्तविक स्टॉक के आंकड़े उपलब्ध हो सकेंगे। वर्तमान में रॉ शुगर को खांडसारी/ऑर्गेनिक नाम से बेचा जा रहा है। नियमन के दायरे में आने से रॉ शुगर को भ्रामक नामों से बेचने पर रोक लगेगी।

विभिन्न सह-उत्पाद शामिल

गन्ने से चीनी उत्पादन को प्रभावित करने वाले विभिन्न सह-उत्पाद जैसे खोई, शीरा, प्रेस मड केक या इथेनॉल (शीरा, गन्ना रस, शुगर सिरप या चीनी से उत्पादित) सहित अन्य वैकल्पिक उत्पाद नए आदेश में शामिल होंगे। सरकार का दावा है कि इससे घरेलू खपत के लिए चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और चीनी डायवर्जन को रेगुलेट करने में मदद मिलेगी।

चीनी की विभिन्न परिभाषाएं शामिल 

संशोधित आदेश में विभिन्न प्रकार की चीनी के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) की परिभाषाओं को शामिल किया गया है। इनमें चीनीसफेद चीनीपरिष्कृत चीनीखांडसारी चीनीगुड़ या जैगरीबूरा, क्यूब शुगर, शामिल हैं। इससे चीनी उत्पादों की परिभाषा में एकरूपता सुनिश्चित होगी। हालांकि, इससे गुड़, बूरा आदि बनाने वाली तमाम छोटी इकाइयां भी नियमन के दायरे में आ सकती हैं।