चीनी मिलों को राहत, एथेनॉल के लिए 3.25 लाख टन सरप्लस चीनी के इस्तेमाल की अनुमति

केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को राहत देते हुए एथेनॉल उत्पादन के लगभग 7 लाख टन बी-हैवी मोलासेज (शीरा) के उपयोग की अनुमति दी है।

केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को राहत देते हुए एथेनॉल उत्पादन के लगभग 7 लाख टन बी-हैवी मोलासेस (शीरे) के उपयोग की अनुमति दे दी है। देश में चीनी उत्पादन में सुधार और शुगर इंडस्ट्री की मांग को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। 

नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (एनएफसीएसएफ) की विज्ञप्ति के अनुसार, लगभग 3.25 लाख टन सरप्लस चीनी को एथेनॉल उत्पादन में डायवर्ट किया जाएगा, जिससे 2300 करोड़ रुपये की लागत से 38 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होगा। इस निर्णय से चीनी स्टॉक को कम करने में मदद मिलेगी और इससे स्थानीय चीनी के बिक्री रेट में सुधार आएगा। 

एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा है कि इस निर्णय से चीनी मिलों में बी हैवी मोलासेस के शेष स्टॉक में फंसे लगभग 700 करोड़ रुपये जारी होंगे। और 38 करोड़ लीटर एथेनॉल की बिक्री से लगभग 2300 करोड़ रुपये डिस्टलरियों वाली चीनी मिलों को उपलब्ध होंगे ताकि किसानों को समय पर पूरा भुगतान किया जा सके।

खाद्य मंत्रालय की सलाह पर, पेट्रोलियम मंत्रालय ने डिस्टलरियों को 31 मार्च, 2024 तक उनके पास मौजूद बी-हैवी मोलासेस के स्टॉक के आधार पर अतिरिक्त एथेनॉल आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। देश में चीनी उत्पादन की स्थिति में सुधार और शुगर इंडस्ट्री की मांग को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।  

देश में चीनी उत्पादन में कमी की आशंका और आम चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने 7 दिसंबर को गन्ने के रस तथा बी-हैवी मोलासेज से एथेनॉल उत्पादन पर रोक लगा दी थी। इस फैसले से पूरा चीनी उद्योग सदमे में आ गया और केंद्र सरकार के एथेनॉल कार्यक्रम पर भी सवाल उठने लगा था। इसके अलावा, चीनी मिलों का एथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया निवेश खतरे में पड़ गया था। इसके बाद सरकार ने एथेलॉन उत्पादन के लिए 17 लाख टन चीनी के डायवर्जन की सीमा तय कर दी थी। जबकि पिछले साल 45 लाख टन चीनी का डायवर्जन एथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया था।

अब पेराई सत्र समाप्ति की ओर है तथा चीनी उत्पादन की स्थिति में सुधार आया है। दिसंबर, जनवरी और फरवरी में हुई बारिश से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में खड़े गन्ने को मदद मिली है। इससे चीनी उत्पादन शुरुआती अनुमान से 20 से 25 लाख टन बढ़ गया है। 

इसलिए अब केंद्र सरकार ने एथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी मिलों के पास पड़े बी-हैवी मोलासेस के उपयोग की अनुमति दी है। यह एथेनॉल उत्पादन के लिए इस साल निर्धारित 17 लाख टन चीनी के अतिरिक्त है। फिलहाल चीनी मिलों के पास करीब 7 लाख टन का बी-हैवी शीरा स्टॉक मौजूद है।

चीनी उद्योग पिछले दो महीनों से केंद्र सरकार से सरप्लस चीनी और बाकी बचे लगभग 7 लाख टन बी-हैवी मोलासेस से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति मांग कर रहा था। इस बारे में एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्द्धन पाटिल ने 24 फरवरी को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह को एक मांग-पत्र भी सौंपा था। 

चालू पेराई सत्र 2023-24 में देश में चीनी उत्पादन 315-320 लाख टन के बीच होने का अनुमान है। एथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाली 17 लाख टन चीनी इससे अलावा है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक, 15 अप्रैल तक देश भर में चीनी का कुल उत्पादन 310.93 लाख टन रहा है जबकि पिछले साल उक्त तिथि तक देश में कुल चीनी उत्पादन 312.38 लाख टन रहा था।