कृषि-रसायन कंपनी क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन लिमिटेड (सीसीपीएल) ने नए शोध आधारित दो हर्बिसाइड और इनसेक्टिसाइड लॉन्च किए हैं। ये हैं राइसएक्ट और जिवोरा। राइसएक्ट धान की खेती के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया हर्बिसाइड है। जिवोरा अगली पीढ़ी का इनसेक्टिसाइड है, जिसे कपास की फसल में रस चूसने वाले कीटों की समस्या से निपटने के लिए विकसित किया गया है। कंपनी की यह नई पेशकश ऐसे समय पर आई है, जब भारत का फसल सुरक्षा बाजार साल 2025 के लगभग 2.59 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 3.21 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह वृद्धि 4.35 प्रतिशत की सालाना दर (सीएजीआर) से होगी।
इन दो नए उत्पादों के लॉन्च के साथ, क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन को उम्मीद है कि उसका हर्बिसाइड पोर्टफोलियो लगभग 8 प्रतिशत और इनसेक्टिसाइड पोर्टफोलियो लगभग 7 प्रतिशत तक बढ़ेगा। कंपनी महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिल नाडु, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख बाजारों में राइसएक्ट और जिवोरा की पेशकश करेगी।
राइसएक्ट एक असरदार ‘अर्ली पोस्ट-इमर्जेंस हर्बिसाइड’ है, जो दो प्रभावशाली सक्रिय तत्वों - “ट्रियाफेमोन” (20%) और “इथोक्सीसल्फरॉन” (10%) - का संयोजन है। यह एक दोहरे एक्शन के साथ काम करता है। यह उत्पाद रोपाई एवं सीधी बीजाई वाले धान दोनों मे समान रूप से असरदार है, और यह सकरी पत्ती, चौड़ी पत्ती एवं नरकुल प्रजाति के खरपतवारों के खिलाफ प्रभावी नियंत्रण प्रदान करता हैजो धान की उपज और मुनाफे पर काफी असर डालते हैं।
ट्रियाफेमोन खरपतवार की जड़ों और पत्तियों दोनों के जरिए काम करता है और उसमें मौजूद एक अहम एंजाइम की क्रिया को रोकता है, वहीं इथोक्सीसल्फरॉन पत्तियों के जरिए अवशोषित होता है और पौधे के पूरे तंत्र में जाकर खरपतवार के विकास को बाधित करता है। दोनों मिलकर प्रभावी तरीके से एसीटोलेक्टेट सिंथेस (एएलएस) एंजाइम को अवरुद्ध करते हैं, खरपतवार की ग्रोथ को रोक देते है और बेहतरीन नियंत्रण प्रदान करते है।
यह उत्पाद 'अर्ली पोस्ट-इमर्जेंस' यानी खरपतवार निकलने के शुरुआती चरण में छिड़काव के लिए बनाया गया है। इसका उपयोग उस समय करना आदर्श होता है जब खरपतवार 1–3 पत्ती चरण में हों और छिड़काव की समय सीमा 8 से 12 दिन रोपाई/बुआई के अंतराल में हो। 90 ग्राम प्रति एकड़ की अनुशंसित मात्रा के साथ राइसएक्ट धान की खेती में पूरे मौसम खरपतवार प्रबंधन का एक सटीक समाधान देता है।
राइसएक्ट महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख बाजारों में 2.5 से 3 लाख प्रगतिशील धान किसानों से सीधे जुड़ाव बनाएगा और इससे क्रिस्टल की बाजार हिस्सेदारी में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
जिवोरा दो प्रभावशाली सक्रिय तत्वों का एक अद्वितीय मिश्रण है। यह विशेषत: सफेद मक्खी, जेसिड और एफिड जैसे कीटों के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करता है। तेज असर और लंबे समय तक रहने वाला नियंत्रण इसकी खासियत है।
क्रिस्टल के अत्याधुनिक अनुसंधान और फार्मर फर्स्ट सोच की बदौलत विकसित किया गया जिवोरा, देश के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्रों में किए गए फील्ड ट्रायल और बाजार सर्वेक्षणों पर आधारित है। अपने नवीन फॉर्मूलेशन और प्रमाणित असर के साथ, यह उत्पाद कपास उगाने वाले हजारों किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार है। जिवोरा अपने पहले साल में कपास की लगभग 5 लाख एकड़ खेती को कवर करेगा और 4.5 लाख से 5 लाख किसानों से सीधे जुड़कर उन्हें बेहतर कीट नियंत्रण समाधान उपलब्ध कराएगा।
राइसएक्ट और जिवोरा दोनों ही क्रिस्टल के अधिकृत वितरण नेटवर्क पर उपलब्ध होंगे।: हर किसान तक उत्पाद पहुंचाने के लिए इनके पैक साइज इस प्रकार होंगे :
• जिवोरा:50 ग्राम, 100 ग्राम, 250 ग्राम, 500 ग्राम और 1 किलो
• राइसएक्ट: 45 ग्राम, 60 ग्राम और 90 ग्राम
क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन के प्रबंध निदेशक अंकुर अग्रवाल ने कहा, “क्रिस्टल भारत में कृषि के परिदृश्य को बदलने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हम अपने अत्याधुनिक शोध के आधार पर राइसएक्ट लेकर आए हैं - एक ऐसा उन्नत समाधान जो नवाचार और बेहतर परिणामों का मेल है। इसकी मदद से किसान अपनी फसलों की बेहतर सुरक्षा कर नुकसान कम कर सकते हैं और लाभ को अधिकतम कर सकते हैं। जिवोरा के जरिए हम भारत के कपास के किसानों से वादा कर रहे हैं -स्वस्थ फसल और बेहतर मुनाफा। यह दोहरे तरीके से काम करता है और फाइटो-टॉनिक प्रभाव के साथ पौधे की सेहत को मजबूत बनाता है, साथ ही कीटों को भी खत्म करता है।”
क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन में सेल्स और मार्केटिंग के वाइस प्रेसिडेंट सोहित सत्यIवली ने कहा, “क्रिस्टल के उत्पाद इस बात को दर्शाते हैं कि हमारा फोकस स्मार्ट फार्मिंग और किसान-केन्द्रित नवाचारों पर है। राइसएक्ट एक रणनीतिक उत्पाद है, जो लंबे समय तक असरदार नियंत्रण देता है। वहीं जिवोरा हमारी ऐसी कोशिश है, जो कपास की फसल में कीटों की कई अवस्थाओं पर एक साथ असर करता है और किसानों को एक भरोसेमंद समाधान देता है। हमारा उद्देश्य हमेशा यही रहा है कि किसानों को अधिकतम फसल सुरक्षा और मुनाफा दिलाने में सहयोग करते रहें।”