सरकार व सहकार मिलकर करेंगे देश के विकास का प्रयासः पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार व सहकार मिलकर देश के विकास में अहम भूमिका निभाएंगे। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन का शनिवार को उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार विकसित तथा आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है जिसमें सबका प्रयास भी चाहिये। सहकारिताएं भी सभी के प्रयास से चलती हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने एनसीयूआई द्वारा विकसित ई-कॉमर्स वेबसाइट के ई-पोर्टल एवं सहकारी विस्तार और सलाहकार सेवा पोर्टल का भी शुभारंभ किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रतीक चिन्ह भेंट करते एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघाणी (बाएं से दूसरे) और कृभको के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव (दाएं से दूसरे)। साथ हैं केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह और केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार व सहकार मिलकर देश के विकास में अहम भूमिका निभाएंगे। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन का शनिवार को उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार विकसित तथा आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है जिसमें सबका प्रयास भी चाहिये। सहकारिताएं भी सभी के प्रयास से चलती हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने एनसीयूआई द्वारा विकसित ई-कॉमर्स वेबसाइट के ई-पोर्टल एवं सहकारी विस्तार और सलाहकार सेवा पोर्टल का भी शुभारंभ किया।

इस महासम्मेलन का विषय “अमृत काल - जीवंत भारत के लिए सहकार से समृद्धि” है। 1 और 2 जुलाई के इस महासम्मेलन में देश के 3500 से ज्यादा सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा मलेशिया, श्रीलंका, फिलीपींस, बंगलादेश सहित 25 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को दूध व चीनी के उत्पादन में विश्व का अग्रणी देश बनाने में सहकारिताओं का बड़ा योगदान रहा है। डेयरी उद्योग में देश की महिलाओं का 60 फीसदी का योगदान है। देश के कई हिस्सों में सहकारी समितियां किसानों की बड़ी सहायता कर रही हैं। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार हमारी सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया और कई कदम उठाए गए। जैसे- गन्ना मिलों व गन्ना किसानों के भुगतान पर टैक्स लगता था उसे खत्म किया जो 1000 करोड़ रुपये था। किसानों के बकाया भुगतान के लिए 20,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया एवं उन्हें एथेनॉल बनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया। चीनी मिलों से 70,000 करोड़ रुपये का एथेनॉल खरीदा गया है।

प्रधानमंत्री ने दाल व तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए सहकारी संगठनों का आह्वान किया ताकि आयात पर निर्भरता को कम किया जा सके। इससे भारत का 2.5 लाख करोड़ रुपये बचेगा जो किसानों के पास जाएगा। उन्होंने सहकारिताओं में पारदर्शिता लाने के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमने प्राथमिक सहकारी समितियों का कम्प्यूटरीकरण करने का लक्ष्य रखा था जो लगभग 80 फीसदी पूरा हो गया है। उन्होंने पीएम मत्स्य संपदा योजना पर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जल क्षेत्र रखने वाले गांवों में किसानों के लिए अधिक लाभ का स्रोत बन गया है। इसमें 25,000 मत्स्य सहकारी समितियां कार्य कर रही है। उन्हें प्रसंस्करण,  भंडारण के कारण बढ़ावा मिला है। इससे देश में मछली पालन दोगुना हो गया है। उन्होंने कहा कि अब शहद उत्पादन से भी किसानों को लाभ मिल रहा है।

जैविक अनाज उत्पादन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सहकारी संगठन को रसायन मुक्त उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने के लिए आगे आना चाहिये। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि  सहकारी समितियां प्रत्येक जिले में 5 गांव गोद लेकर जैविक खेती कराये ताकि जमीन का स्वास्थ्य ठीक रहे। उन्होंने मोटे अनाज “श्री अन्न” की पैदावार बढ़ाने व भोजन में इसका हिस्सा बढ़ाने का भी आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना की चर्चा करते हुए कहा कि भारत जितना अनाज पैदा करता है उसका 50 फीसदी से भी कम भंडारण हो पाता है। अगले 5 वर्षों में 700 लाख टन भंडारण बढ़ाने की योजना है। उन्होंने  गांवों को सहकारी मॉडल पर विकसित करने का सुझाव दिया और गोबर धन योजना के माध्यम से बिजली व जैविक खाद बनाने पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने  बताया कि व्यापार करने में आसानी लाने के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियों (एमएससीएस) पर कानून में संशोधन का विधेयक 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में लाया जाएगा। 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के लिए मसौदा मॉडल उप-कानूनों पर अपनी रजामंदी दे दी है। इसका अर्थ है कि सितंबर से देश के बड़े हिस्से में एक समान उप-कानून होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार एक नया सहकारी कानून बनाना चाहती है जो अगले 25 वर्षों में इस क्षेत्र का विस्तार करने में मदद करेगा। इसके अलावा एक सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने की भी योजना है जिसके लिए अंतर-मंत्रालयी चर्चा शुरू की गई है।

उन्होंने कहा कि 6 जुलाई, 2021 को सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सहकारिता के क्षेत्र में कई बदलाव संभव हुए हैं और भविष्य में भी बदलाव होते रहेंगे। अब सहकारी समितियों पर कॉरपोरेट के बराबर टैक्स लगेगा। राज्य  सरकारों के साथ मिलकर प्राथमिक सहकारी समितियों के उपनियम को बदला गया है। अब वे लगभग 40 प्रकार के व्यापार, पैट्रोल, डीजल, गैस वितरण का लाइसेंस, कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के कार्य, बीमा, आधारकार्ड, डेयरी, मछली, मेडिकल स्टोर जैसे सभी कार्य करके लाभ कमा सकेंगी तथा जनता को एक जगह सभी सुविधाएं मिलेगी। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ का धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार ने जो 45 कदम उठाए हैं उसमें सभी कार्यों में सहकारी संघ का बखूबी साथ मिला है।