राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 जारी, सहकारी क्षेत्र के जीडीपी में तीन गुना योगदान का लक्ष्य
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा, "एक समय में लोग कहते थे कि सहकारिता का फ्यूचर नहीं है। आज मैं कहता हूँ, सहकारिता का ही फ्यूचर है।"

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का शुभारंभ किया। इस नीति के तहत ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने के लिए वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान को तीन गुना बढ़ाने, 50 करोड़ लोगों को सहकारिता से जोड़ने, और देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी समिति की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2002 में पहली बार भारत सरकार ने सहकारिता नीति पेश की थी। उस समय भी उनकी पार्टी की सरकार थी। आज, वर्ष 2025 में जब भारत सरकार ने दूसरी बार सहकारिता नीति प्रस्तुत की है, तब भी हमारी ही सरकार है। यह नई नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
अमित शाह ने कहा, “जो लोग पहले कहते थे कि सहकारिता का कोई भविष्य नहीं है, आज वही मानते हैं कि सहकारिता का ही भविष्य है।” उन्होंने कहा कि देश के 140 करोड़ लोगों को साथ लेकर आर्थिक विकास की क्षमता सिर्फ सहकारी क्षेत्र में है। इसलिए, नीति निर्माण के समय यह सुनिश्चित किया गया कि इसका केंद्र बिंदु गांव, कृषि, ग्रामीण महिलाएं, दलित और आदिवासी समुदाय हों। इस नीति का विजन है — सहकारिता के माध्यम से समृद्ध भारत का निर्माण, और मिशन है — प्रत्येक गांव में कम से कम एक पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक-समर्थ, जिम्मेदार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र सहकारी इकाई की स्थापना।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पर्यटन, टैक्सी, बीमा और हरित ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों में सहकारी मॉडल को अपनाने की विस्तृत योजना तैयार की गई है। विशेष रूप से टैक्सी और बीमा क्षेत्रों में बहुत जल्द प्रभावशाली शुरुआत की जाएगी ताकि एक मजबूत सहकारी इकोसिस्टम तैयार हो सके। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना किया जाए। साथ ही, वर्तमान में सहकारी क्षेत्र से बाहर के 50 करोड़ नागरिकों को इसमें सक्रिय सदस्य बनाया जाए। सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत वृद्धि, और हर पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी समिति की स्थापना भी इस नीति के लक्ष्यों में शामिल है।
अमित शाह ने बताया कि राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से प्रत्येक तहसील में 5 मॉडल सहकारी गांव स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “हमने हर राज्य के लिए संतुलित सहकारी विकास का रोडमैप तैयार किया है।” नई सहकारिता नीति दूरदर्शी, व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी है, जो आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहकारिता की निर्णायक भूमिका सुनिश्चित करेगी। श्वेत क्रांति 2.0 के माध्यम से महिलाओं की सहभागिता को इससे जोड़ा जाएगा।
उन्होंने कहा कि 45,000 नई PACS (प्राथमिक कृषि ऋण समितियों) के गठन का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है, और उनका कंप्यूटरीकरण भी किया जा चुका है। साथ ही, त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के माध्यम से सहकारी क्षेत्र को प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध कराया जाएगा ताकि यह क्षेत्र युवाओं के लिए आकर्षक करियर विकल्प बन सके। शाह ने यह भी बताया कि इस साल के अंत तक 'सहकार टैक्सी' योजना भी शुरू की जाएगी, जिसमें प्रत्यक्ष मुनाफा ड्राइवर के खाते में जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह नीति न केवल ग्रामीण, महिला, दलित और आदिवासी वर्गों को सशक्त बनाएगी, बल्कि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में सहकारिता की अहम भूमिका निभाएगी। यह नीति आने वाले 25 वर्षों तक सहकारिता क्षेत्र को प्रासंगिक, प्रभावशाली और गतिशील बनाए रखने में मदद करेगी।
नई सहकारिता नीति पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में गठित 40 सदस्यीय समिति द्वारा तैयार की गई है, जिसने 17 बैठकें आयोजित कर 750 से अधिक सुझावों और आरबीआई व नाबार्ड के परामर्श के आधार पर इसे अंतिम रूप दिया।
कार्यक्रम में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, मुरलीधर मोहोल, सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी और पूर्व मंत्री सुरेश प्रभु सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।