जेवर एयरपोर्ट के पास एग्री एक्सपोर्ट हब को यूपी कैबिनेट की मंजूरी, एक्वाकल्चर परियोजना को भी हरी झंडी

यूपीएग्रीज परियोजना के अन्तर्गत एक्वाकल्चर परियोजना के लिए संयुक्त अरब अमीरात की बहुराष्ट्रीय कंपनी 'एक्वाब्रिज' को तथा जेवर अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट एग्री एक्सपोर्ट हब की स्थापना के लिए कर्नाटक के इनोवा फूड पार्क, कोलार को नीतिगत प्रोत्साहन दिया जाएगा।

जेवर एयरपोर्ट के पास एग्री एक्सपोर्ट हब को यूपी कैबिनेट की मंजूरी, एक्वाकल्चर परियोजना को भी हरी झंडी

उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपीएग्रीज (उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल इंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग परियोजना) के अंतर्गत दो प्रमुख योजनाओं के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इनमें पूर्वांचल और बुंदेलखंड के 28 जनपदों में एक्वाकल्चर परियोजना तथा जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट एग्री एक्सपोर्ट हब की स्थापना शामिल है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया। 

यूपीएग्रीज परियोजना विश्व बैंक और राज्य सरकार की साझेदारी (70:30) में 2024-25 से 2029-30 तक 6 वर्षों के लिए चलाई जा रही है। परियोजना के पहले वर्ष की समीक्षा के बाद, विश्व बैंक की सिफारिशों के आधार पर इन परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।

यूपी सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, यूपीएग्रीज परियोजना के अन्तर्गत एक्वाकल्चर परियोजना के लिए संयुक्त अरब अमीरात की बहुराष्ट्रीय कंपनी 'एक्वाब्रिज' को तथा जेवर अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट एग्री एक्सपोर्ट हब की स्थापना के लिए कर्नाटक के इनोवा फूड पार्क, कोलार को नीतिगत प्रोत्साहन दिया जाएगा।

एक्वाकल्चर परियोजना की स्थापना के लिए संयुक्त अरब अमीरात की बहुराष्ट्रीय कम्पनी ‘एक्वाब्रिज’ को सहायता प्रदान की जाएगी। इसके तहत 75 प्रतिशत फ्रण्ट एण्ड लैंड सब्सिडी, औद्योगिक क्षेत्र में 60 एकड़ भूमि, स्टाम्प शुल्क से 100 प्रतिशत छूट, 25 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी, दो वर्षों तक विद्युत शुल्क में छूट तथा 75 प्रतिशत परिवहन सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

इसी प्रकार, जेवर हवाई अड्डे के निकट एग्री एक्सपोर्ट हब की स्थापना के लिए इनोवा फूड पार्क, कोलार को 75 प्रतिशत फ्रण्ट एण्ड लैण्ड सब्सिडी, यीडा में 50 एकड़ भूमि, स्टाम्प शुल्क से 100 प्रतिशत छूट, 50 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी तथा दो वर्षों के लिए विद्युत शुल्क में छूट शामिल है। ये सुविधाएं समन्वय विभाग के बजट से दी जाएंगी।

एक्वाकल्चर परियोजना से मछलीपालन के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। 4,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के अन्तर्गत विश्व स्तरीय ट्रेनिंग सेन्टर और मत्स्य उत्पाद निर्यात के लिए एक बाय-बैक व्यवस्था स्थापित होगी। वहीं, एग्री एक्सपोर्ट हब के माध्यम से कृषि एवं बागवानी उत्पादों का मिडल ईस्ट, यूरोप और रूस जैसे बाजारों में निर्यात आसान होगा।

सरकार का मानना है कि इन परियोजनाओं से किसानों और मत्स्य उत्पादकों की आय में वृद्धि और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

 

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