उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के बावजूद काम नहीं कर पाएंगी ग्राम पंचायतें
पंचायत सदस्यों के 55587 पदों में से 27248 के लिए नहीं हुआ नामांकन, कार्यकारिणी में काम काज के लिए चाहिए होता है दो तिहाई सदस्यों का कोरम

उत्तराखंड में इन दिनों त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हलचल है। लेकिन चुनाव सम्पन्न होने के बावजूद बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतें काम नहीं कर पाएंगी। इसकी वजह यह है कि ग्राम पंचायत सदस्य के 27,339 पद रिक्त रह गए हैं। इस कारण कई ग्राम पंचायतों में कोरम का संकट खड़ा होना तय है।
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए 24 और 28 जुलाई को मतदान होगा, जबकि मतगणना 31 जुलाई को होगी। इसके लिए नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद कुल 66,418 पदों के सापेक्ष करीब 63 हजार दावेदार मैदान में बचे हैं। यानी, कुल जितने पदों पर चुनाव होने हैं, उससे कम नामांकन हुए हैं।
उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक, यह संकट मुख्य तौर पर ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के लिए नामांकन नहीं हो पाने के कारण खड़ा हुआ है। राज्य में कुल 55,587 पंचायत सदस्यों के मुकाबले महज 28,248 ही नामांकन हुए हैं। इस तरह कई पंचायतों में ग्राम प्रधान के निर्वाचन के बावजूद, सैकड़ों की संख्या में ग्राम पंचायतों में पंचायत सदस्यों का कोरम पूरा नहीं हो पाने से, ग्राम प्रधान काम नहीं कर पाएंगे।
पंचायती राज एक्ट के अनुसार, ग्राम पंचायत की कार्यवाही और अन्य वित्तीय फैसलों के लिए पंचायत कार्यकारिणी में दो तिहाई सदस्यों का कोरम होना जरूरी है।
अब उपचुनाव पर टिकी नजर
मुख्य चुनाव में पद नहीं भरने पर अब राज्य निर्वाचन आयोग के सामने उपचुनाव कराने की मजबूरी है। यदि उपचुनाव में भी आरक्षित पदों पर पंचायत सदस्य के पद नहीं भरे जाते हैं तो, पंचायतीराज विभाग यहां आरक्षण बदलने का निर्णय ले सकता है। फिर भी यही पद नहीं भरे गए तो अपरिहार्य स्थिति में शासन मनोनयन के जरिए भी पंचायत सदस्यों के पद भर सकता है।
पिछली बार कोविड के 19 के कारण उपचुनाव नहीं हो पाए थे, इस कारण कई जगह पंचायत सदस्यों का मनोनयन करना पड़ा था। उत्तराखंड में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 7950 है। जिसमें से इस बार 7499 के लिए चुनाव होगा। जिसके लिए कुल 47 लाख 77 हजार मतदाता, मतदान करेंगे।