कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए “टीम कॉटन” का गठन होगा, 2030 तक कॉटन इंपोर्ट बंद करने का लक्ष्य
कपास की उत्पादकता बढ़ाने, लागत घटाने, अच्छे क्वालिटी के कपास की पैदावार समेत विभिन्न चुनौतियों व संभावनाओं पर आज कोयंबटूर बैठक में विस्तार से विचार-विमर्श हुआ।

तमिलनाडु के कोयम्बटूर में आज कपास का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने को लेकर अहम बैठक का आयोजन किया गया। बैठक से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खेतों में जाकर कपास उत्पादक किसानों से बातचीत की और उनकी समस्याओं के बारे में भी जाना।
कोयम्बटूर स्थित आईसीएआर के शगुरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट में आयोजित बैठक में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह, हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे, विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर, आईसीएआर के महानिदेशक और सचिव डेयर डॉ. एम. एल. जाट, विभिन्न कृषि वैज्ञानिक और किसान उपस्थित रहे। जिन्होंने कपास के विकास के लिए मिलकर रोडमैप बनाने के लिए गहन विचार-विमर्श किया।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब समय है कि हम कपास उत्पादन में आत्मनिर्भर बनें। हमारा संकल्प है कि 2030 से पहले ही हम कपास का आयात बंद करेंगे और निर्यात के रास्ते खोलेंगे। उद्योग जगत को जिस प्रकार के लॉन्ग स्टेपल, गुणवत्तापूर्ण कॉटन की जरूरत है, उसी गुणवत्ता के कॉटन का उत्पादन हो सके। इसके लिए टीम कॉटन का गठन किया जाएगा, जिसमें कपड़ा व कृषि मंत्रालय, राज्यों के प्रतिनिधि, कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर और प्रगतिशील किसान शामिल होंगे। साथ ही साथ कॉटन इंडस्ट्री से जुड़े लोग मिलकर इस दिशा में काम करेंगे। यह टीम मिशन मोड में काम करेगी।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कपास उत्पादन में कुछ समस्याएं आ रही हैं। बीटी कॉटन किस्म में वायरस अटैक के कारण कई तरह की दिक्कतें पैदा हो गई हैं। उत्पादन बढ़ने की बजाय घट रहा है। देश में कपास उत्पादन बढ़ाने को लेकर हरसंभव कदम उठाने होंगे। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर लक्ष्यबद्ध होकर आगे बढ़ना होगा। वायरस प्रतिरोधी उन्नत बीज बनाने होंगे और निश्चित समय सीमा में किसानों तक इन उन्नत किस्म के बीज की पहुंच भी सुनिश्चित करनी होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान में कपड़ा उद्योग जगत द्वारा विदेशों से कपास आयात के लिए आयात शुल्क खत्म करने की मांग की जाती है। जबकि किसानों का कहना है कि अगर बाहर से कपास सस्ता आएगा तो देश में हमारे कपास की कीमत कम हो जाएगी। इसलिए हमें किसान और उद्योग जगत दोनों का ध्यान रखना है। उन्होंंने कहा कि हाईडेंसिटी कॉटन के अच्छे परिणाम मिले हैं, उसकी ओर ज्यादा तेजी से बढ़ेंगे। आईसीएआर वही रिसर्च करेगी, जो किसानों की जरूरत है। इंडस्ट्री को जिस तरह के कॉटन की जरूरत है, उसके लिए रिसर्च किया जाएगा।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विभिन्न राज्यों से आए किसानों की समस्याओं और सुझावों के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। भारत में कपास बाहर से क्यों मंगवाना पड़े! देश की जरूरत के अनुसार अच्छी गुणवत्ता वाला कपास पैदा करने की चुनौती और लक्ष्य हमारे सामने है, जिसके लिए एकजुट होकर प्रयास करेंगे।
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ को आगे बढ़ाते हुए फसलवार और राज्यवार बैठकें करने की घोषणा की गई थी। इस क्रम में सबसे पहले मध्य प्रदेश के इंदौर में सोयाबीन को लेकर बैठक हुई। इसके बाद आज कोयम्बटूर में कपास उत्पाद की चुनौतियां और उत्पादकता बढ़ाने के लिए भावी रणनीतियों को लेकर विचार-विमर्श किया गया। इस बैठक के लिए तमिलनाडु सरकार के कृषि मंत्री को भी आमंत्रित किया था, लेकिन वह शामिल नहीं हुए।