ट्रम्प टैरिफ के बीच मैक्सिको का अमेरिका से दूध पाउडर आयात में कटौती का फैसला, क्या भारत इस कमी को पूरा करेगा?
अमेरिका और मैक्सिको के बीच टैरिफ युद्ध के माहौल में मैक्सिको ने अमेरिका से दूध पाउडर के आयात में कटौती करने और घरेलू संयंत्र स्थापित कर आत्मनिर्भरता बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम अमेरिका-मैक्सिको डेयरी व्यापार को प्रभावित कर सकता है और भारत के लिए निर्यात के नए अवसर खोल सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ युद्ध के बीच मैक्सिको ने अमेरिका से दूध पाउडर के आयात में तेजी से कटौती करने और देश में दूध पाउडर उत्पादन संयंत्र स्थापित करने की योजना की घोषणा की है। यह नीति मैक्सिको की कृषि-खाद्य रणनीति में एक रणनीतिक बदलाव का संकेत देती है, जिसका उद्देश्य खाद्य संप्रभुता को मजबूत करना, स्थानीय डेयरी किसानों को समर्थन देना और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करना है। इन लक्ष्यों को हासिल करने में समय लग सकता है, इसलिए दूध के सबसे बड़े उत्पादक भारत के सामने मैक्सिको को निर्यात का मौका बन सकता है।
मैक्सिको की यह पहल कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय (SADER) द्वारा संचालित एक महत्वाकांक्षी सरकारी रणनीति का हिस्सा है। इसके तहत 1990 के दशक में निजीकरण किए गए संयंत्रों सहित, घरेलू डेयरी प्लांटों को फिर से खोलना और आधुनिक बनाया जाएगा ताकि महत्वपूर्ण प्रसंस्करण इन्फ्रास्ट्रक्चर को पुनर्स्थापित किया जा सके। किसानों को दूध का प्रीमियम मूल्य सुनिश्चित करने के साथ उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर दूध उपलब्ध कराया जाएगा।
मैक्सिको ने 2025 से 2030 के बीच राष्ट्रीय दूध उत्पादन को 13.3 अरब लीटर से बढ़ाकर 15 अरब लीटर वार्षिक करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 4.1 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा, जिससे वर्तमान दूध पाउडर आयात का 30% तक प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य है। चूंकि 97% मैक्सिकन डेयरी उत्पादक छोटे किसान हैं, इसलिए सब्सिडी, तकनीकी सहायता और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के माध्यम से छोटे और मध्यम उत्पादकों की मदद भी की जाएगी।
मैक्सिको की यह नीति परिवर्तन वैश्विक व्यापार में तनाव के बीच आई है। उसके इस घोषणा के बाद ही अमेरिका ने मैक्सिको और यूरोपीय संघ से आयात पर 30% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। अमेरिका अभी मैक्सिको का सबसे बड़ा डेयरी उत्पाद आपूर्तिकर्ता है। मैक्सिकों का यह कदम उत्तर अमेरिकी डेयरी व्यापार को नया आकार देने और भारत जैसे वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं के लिए अवसर पैदा कर सकता है।
हालांकि कई चुनौतियाां बनी हुई हैं। जैसे पर्याप्त निवेश, उन्नत प्रसंस्करण तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे दूध की निरंतर उपलब्धता। अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में मैक्सिकन उत्पादकों को अधिक लागत का भी सामना करना पड़ता है।
आर्थिक पहलुओं से परे, इस पहल के भू-राजनीतिक प्रभाव भी हैं। अमेरिकी डेयरी आयात पर निर्भरता कम करके, मैक्सिको अपने व्यापार संबंधों का विविधीकरण और बाहरी नीतिगत अनिश्चितताओं के विरुद्ध लचीलापन विकसित करने का संकेत देता है।
भारत के लिए अवसर?
भारत प्रति वर्ष 240 अरब लीटर दूध उत्पादन के साथ दुनिया का अग्रणी दूध उत्पादक देश है। वैश्विक उत्पादन में इसकी लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी है। 2024 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड और अमेरिका जैसे पांच प्रमुख डेयरी निर्यातकों ने कुल 28.89 करोड़ टन गाय के दूध का उत्पादन किया। अगले 3-5 वर्षों में, भारत अकेले इन पांच देशों के बराबर दूध उत्पादन कर सकता है।
दुग्ध विशेषज्ञ विपिन कक्कड़ के अनुसार, “सामान्य वर्ष में भारतीय डेयरी उद्योग लगभग 6 लाख टन स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) का उत्पादन करता है। इसमें से लगभग 3.5 लाख टन की खपत लीन सीजन में देश में ही होती है, विभिन्न खाद्य पदार्थों में 1.5 लाख टन का इस्तेमाल होता है और लगभग 1 लाख टन रोलिंग स्टॉक के रूप में बचता है। पिछले 2-3 वर्षों में कच्चे दूध की आकर्षक कीमतों, मवेशी संख्या में वृद्धि, बेहतर आहार और लीन सीजन छोटा होने के कारण 3 लाख टन से अधिक SMP का अधिशेष स्टॉक था।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि भारत से SMP और मक्खन का निर्यात आसानी से किया जा सकता है। हमारे लिए अच्छी बात यह रही कि हमने पिछले साल (2024 में) अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी कीमतों पर मक्खन/दूध वसा का शानदार निर्यात किया (55,000 टन), जिससे डेयरी प्रसंस्करण संयंत्रों का स्टॉक कम हुआ, कार्यशील पूंजी की आवश्यकता घटी और देश के लिए विदेशी मुद्रा भी अर्जित हुई।”