खुले बाजार में गेहूं व चावल की बिक्री का निर्णय, प्राइवेट मिलों के जरिए भारत आटा, चावल बंद

वर्ष 2025-26 के दौरान खुले बाजार में बिक्री के लिए गेहूं का रिजर्व प्राइस 2,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि इथेनॉल उत्पादन के लिए 52 लाख टन चावल का आवंटन किया जाएगा। वहीं, सरकार ने प्राइवेट मिलों के जरिए भारत ब्रांड आटा व चावल की बिक्री बंद कर दी है।

खुले बाजार में गेहूं व चावल की बिक्री का निर्णय, प्राइवेट मिलों के जरिए भारत आटा, चावल बंद

केंद्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत सरकारी भंडार से गेहूं, चावल और मोटे अनाज बेचने का निर्णय लिया है। वर्ष 2025-26 के दौरान खुले बाजार में बिक्री के लिए गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल है। गेहूं के रिजर्व प्राइस में परिवहन खर्च शामिल नहीं है। पिछले साल खुले बाजार में गेहूं 2300-2325 रुपये प्रति क्विंटल के रिजर्व प्राइस पर बेचा गया था।

खाद्य मंत्रालय की ओर से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को भेजे गए पत्र के अनुसार, ओएमएसएस के तहत प्राइवेट ट्रेडर्स के अलावा नेफेड, एनसीसीएफ, केंद्रीय भंडार जैसी सहकारी संस्थाओं और सामुदायिक रसोइयों को भी गेहूं बेचा जाएगा। नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार इस गेहूं का उपयोग अपने स्टोर या मोबाइल वैन के माध्यम से “भारत” ब्रांड आटा बेचने के लिए करेंगे।

खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, खुले बाजार में बिक्री के लिए गेहूं की मात्रा और समय का निर्धारण एफसीआई द्वारा उपलब्ध स्टॉक, बफर नॉर्म्स और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय से परामर्श के बाद किया जाएगा। अनुमान है कि सरकार ओएमएसएस के तहत लगभग 40-50 लाख टन गेहूं बेच सकती है। संभवतः यह बिक्री अगस्त से शुरू होगी जो चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। 

इस वर्ष देश में रिकॉर्ड 11.75 करोड़ टन गेहूं उत्पादन के चलते सरकार के पास पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। 1 जुलाई के लिए निर्धारित 275.8 लाख टन के बफर नॉर्म्स के मुकाबले, वर्तमान में एफसीआई के पास लगभग 352 लाख टन गेहूं का स्टॉक है। रबी विपणन सीजन 2025-26 के दौरान सरकारी एजेंसियों ने लगभग 300 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले चार वर्षों में सर्वाधिक है।

इथेनॉल के लिए 52 लाख टन चावल आवंटित

इथेनॉल उत्पादन के लिए वर्ष 2025-26 में ओएमएसएस के तहत 52 लाख टन चावल बेचा जाएगा, जो पिछले वर्ष के समान है। इथेनॉल डिस्टलरियों को चावल की बिक्री 31 अक्टूबर तक 2,250 रुपये प्रति क्विंटल और 1 नवंबर से 2,320 रुपये प्रति क्विंटल के रिजर्व प्राइस पर होगी। जबकि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,389 रुपये प्रति क्विंटल है। इस तरह इथेनॉल कंपनियों को धान के एमएसपी से भी कम रेट पर चावल दिलाने का इंतजाम किया जा रहा है। इथेनॉल उत्पादन के लिए यथासंभव पुराने अथवा टूटे हुए चावल का उपयोग किया जाएगा।

केंद्रीय सहकारी संस्थाओं जैसे नेफेड, एनसीसीएफ, केंद्रीय भंडार को भारत ब्रांड चावल की बिक्री के लिए 1 नवंबर से 2480 रुपये प्रति क्विंटर का रिजर्व प्राइस तय किया गया है। राज्य सरकारों, राज्यों के निगमों और सामुदायिक रसोइयों के लिए चावल का रिजर्व प्राइस 2320 रुपये प्रति क्विंटल रहेगा। एक नवंबर से इसकी मात्रा 36 से घटाकर 32 लाख टन की गई है।

10 टूटे चावल के लिए 3090 रुपये तथा 25 फीसदी टूटे चावल के लिए 2829 रुपये प्रति क्विंटल का रिजर्व प्राइस रखा गया है। इस बार सरकार ने राइस मिलिंग स्कीम के टूटे चावल की बिक्री को भी ओएमएसएस में शामिल किया है। इसका रिजर्व प्राइस 1 नवंबर से 2320 रुपये प्रति क्विंटल रहेगा।   

प्राइवेट मिलर्स नहीं बेच पाएंगे भारत आटा व चावल

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि प्राइवेट मिलर्स को 'भारत' ब्रांड आटा एवं चावल बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। केवल नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसी केंद्रीय सहकारी संस्थाएं ही भारत ब्रांड आटा और चावल बेच सकेंगी। हालांकि, 1 जुलाई से सरकार ने इन सहकारी संस्थाओं को मूल्य स्थिरता कोष से दी जाने वाली 200 रुपये प्रति क्विंटल की सहायता राशि बंद कर दी है।

खुले बाजार में गेहूं व चावल की बिक्री से सरकार को त्योहारी सीजन के दौरान कीमतों को काबू में रखने और पर्याप्त अनाज भंडार के प्रबंधन में मदद मिलेगी।

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