हरियाणा में 1 लाख एकड़ में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य, फसल खरीद के लिए गुरुग्राम में मंडी स्थापित
हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक लाख एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा है। अब तक 10 हजार एकड़ में किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है और ये दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
हरियाणा सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक लाख एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य तय किया है। फिलहाल करीब 10,000 एकड़ में किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है और यह रकबा लगातार बढ़ रहा है।
प्राकृतिक खेती से किसानों द्वारा पैदा की फसल को खरीदने के लिए प्रदेश सरकार ने गुरुग्राम में अनाज मंडी तैयार की है। इस मंडी में फसलों की गुणवत्ता जांचने के लिए एक प्रयोगशाला भी बनाई गई है। गुणवत्ता परीक्षण के बाद गठित समिति द्वारा फसल का मूल्य तय कर उसकी खरीद की जाएगी।
श्याम सिंह राणा रविवार को उप उष्णकटिबंधीय फल केंद्र, लाडवा में आयोजित 7वें फल उत्सव मेले में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने बागवानी क्षेत्र के 10 प्रगतिशील किसानों को ₹5100 नकद, ट्रॉफी और प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। इसके अलावा उन्होंने मेले में लगे स्टॉलों का निरीक्षण किया और आम की किस्मों के बारे में विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त की।
कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने और पारंपरिक खेती में बदलाव लाने के उद्देश्य से प्रदेश में ऐसे 17 केंद्र खोले जाने हैं, जिनमें से 11 तैयार हो चुके हैं। शीघ्र ही अंबाला में लीची और यमुनानगर में स्ट्रॉबेरी के लिए उपकेंद्र स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने किसानों से गेहूं और धान के अलावा बागवानी, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, डेयरी और अन्य फसलों को भी अपनाने का आह्वान किया।
वर्ष 2016 में लाडवा में इंडो-इज़राइल तकनीक के तहत उप उष्णकटिबंधीय फल केंद्र की स्थापना की गई थी। इसकी शुरुआत 10,000 पौधों से हुई थी, जबकि अब हर वर्ष एक लाख पौधों की पौध तैयार की जा रही है। इस केंद्र में आम, लीची, नाशपाती, आड़ू और चीकू सहित छह फसलों पर अनुसंधान कार्य भी चल रहा है।
राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार किसानों के लिए योजनाएं बना रही है। योजना बनने के बाद किसानों की तरफ से जो समस्या, दिक्कत सामने आती है, उसी हिसाब से योजनाओं में परिवर्तन कर किसानों को लाभ दिया जाता है। सरकार द्वारा किसानों की फसल का मार्केट में एमएसपी से कम भाव मिलने पर भावांतर भरपाई योजना के तहत क्षतिपूर्ति की जाती है और किसानों के घाटे को सरकार वहन करती है।

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