देश के चीनी उत्पादन में 18.38% की गिरावट, रिकवरी घटकर 9.30% रह गई
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ लिमिटेड (NFCSF) ने चीनी सीजन 2024-25 के लिए राज्यवार पेराई रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, 30 जुलाई 2025 तक कुल चीनी उत्पादन 258.20 लाख टन रहा, जो पिछले साल के 316.35 लाख टन के मुकाबले 18.38% कम है।

इस साल देश के चीनी उत्पादन में 18 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। गन्ने से चीनी की रिकवरी भी घटकर 9.30 फीसदी रह गई है जो पिछले साल 10.10 फीसदी थी। यह समूचे चीनी उद्योग के लिए संकट की आहट है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ लिमिटेड (NFCSF) ने चीनी सीजन 2024-25 के लिए राज्यवार पेराई रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, 30 जुलाई 2025 तक कुल चीनी उत्पादन 258.20 लाख टन रहा, जो पिछले साल के 316.35 लाख टन चीनी उत्पादन के मुकाबले 18.38% कम है।
हालांकि, कर्नाटक और तमिलनाडु में जून से सितंबर तक चलने वाले विशेष पेराई सीजन में गतिविधियां तेज हुई हैं। इस बार जुलाई के अंत तक कर्नाटक में 7 और तमिलनाडु में 9 मिलें चालू थीं, जबकि पिछले साल ये आंकड़े क्रमशः 1 और 11 थे। NFCSF को उम्मीद है कि सीजन का समापन लगभग 261 लाख टन चीनी उत्पादन के साथ होगा जो पिछले साल 319 लाख था।
NFCSF के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने बताया कि सहकारिता क्षेत्र में बदलाव की दिशा में राष्ट्रीय सहकारिता नीति–2025 एक बड़ा कदम है। नीति में 83 क्रियान्वयन योग्य सुधार शामिल हैं, जिनमें से कई पहले ही शुरू हो चुके हैं।
अगले सीजन का आउटलुक
NFCSF ने 2025-26 चीनी सीजन को लेकर उम्मीद जताई है कि अनुकूल मानसून, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ना क्षेत्रफल में वृद्धि और सरकार द्वारा उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) में समयबद्ध वृद्धि से कुल चीनी उत्पादन 350 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है।
फेडरेशन के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा फेडरेशन ने केंद्र सरकार से इथेनॉल के खरीद मूल्य में संशोधन, चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को बढ़ाने और अधिशेष स्टॉक प्रबंधन के लिए चीनी निर्यात की अनुमति देने का अनुरोध किया है। इससे न केवल चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और देश सहकारिता व इथेनॉल क्षेत्र में अपनी प्रगति को बनाए रख पाएगा।
इथेनॉल मिश्रण में बड़ी उपलब्धि
भारत ने 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 5 साल पहले ही हासिल कर लिया है। NFCSF ने इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया है। वर्ष 2014 में इथेनॉल मिश्रण केवल 1.5% था, वहीं अब यह 20% तक पहुंच गया है।
चालू इथेनॉल वर्ष में 1126 करोड़ लीटर आवंटन के मुकाबले 700 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की जा चुकी है, जिसमें 38% हिस्सा गन्ना आधारित स्रोतों और 62% हिस्सा अनाज आधारित फीड स्टोक से आया है। यह बदलाव कच्चे माल में विविधता का संकेत है, लेकिन इथेनॉल उत्पादन की दीर्घकालिक स्थिरता कैसे सुनिश्चित की जाएगी, यह सवाल भी खड़ा होता है।
मल्टी-फीड डिस्टिलरियों को मंजूरी
महाराष्ट्र सरकार ने 23 जुलाई 2025 को राज्यभर में मल्टी-फीड डिस्टिलरियों की स्थापना और संचालन को मंजूरी दी है। यह निर्णय राष्ट्रीय जैव ऊर्जा नीति और भारत के इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 30% इथेनॉल मिश्रण है।
नई डिस्टिलरियों से सहकारी चीनी मिलों को विभिन्न फीडस्टोक्स का उपयोग कर इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने की सुविधा मिलेगी। साथ ही वे केंद्र सरकार की इथेनॉल ब्याज सब्सिडी योजना का लाभ भी उठा सकेंगी।
चीनी उत्पादन में यूपी अव्वल, लेकिन रिकवरी घटी
पेराई सीजन 2024-25 के दौरान देश में सर्वाधिक 92.75 लाख टन चीनी उत्पादन के साथ उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। हालांकि, यूपी में चीनी उत्पादन पिछले साल 103.65 लाख टन रहा था। लेकिन चीनी उत्पादन में गिरावट महाराष्ट्र में और भी अधिक है। महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन पिछले साल के 110.20 लाख टन से घटकर 80.95 लाख टन रह गया है। इसी तरह कर्नाटक में चीनी उत्पादन पिछले साले के 53 लाख टन से घटकर 42 लाख टन रहने का अनुमान है।
यूपी में शुगर रिकवरी पिछले साल 10.60 फीसदी थी जो इस साल 9.70 फीसदी रह गई है। इसी तरह महाराष्ट्र में शुगर रिकवरी से 10.30 फीसदी से घटकर 9.50 फीसदी पर आ गई है। कर्नाटक में शुगर रिकवरी 8.05 फीसदी है जो पिछले साल 9.30 फीसदी थी।
त्योहारों में बढ़ सकती है मांग
फेडरेशन के अनुसार, चीनी की एक्स-मिल कीमतें निर्यात कोटा घोषित होने के बाद 3,900 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थीं, लेकिन मई 2025 के मध्य से इसमें गिरावट देखने को मिली है। आने वाले त्योहारों के सीजन में मांग बढ़ने की संभावना है, जिससे कीमतें स्थिर हो सकती हैं। यह स्थिरता चीनी मिलों के लिए जरूरी रखरखाव कार्य और आगामी सीजन की तैयारी के लिहाज से अहम होगी।