ट्रंप प्रशासन की तरफ से अमेरिकी किसानों के लिए बड़ी राहत, फसल और डेयरी क्षेत्र के लिए पैकेज की घोषणा
अमेरिकी सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए बड़ा पैकेज घोषित किया है, जिसमें फसल किसानों के लिए 12 अरब डॉलर और डेयरी किसानों के लिए 5 करोड़ डॉलर की सहायता शामिल है। यह कदम व्यापारिक व्यवधान, बढ़ती लागत और बाजार अस्थिरता से जूझ रहे किसानों को अल्पकालिक स्थिरता प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
भारत में कृषि सब्सिडी पर ऐतराज जताने वाले अमेरिका ने अपने कृषि क्षेत्र को स्थिरता देने के उद्देश्य से एक व्यापक राहत पैकेज की घोषणा की है। यह सहायता ऐसे समय में दी जा रही है, जब किसान व्यापार में बाधाओं, ऊंची इनपुट लागत और बाजार में उतार-चढ़ाव से जूझ रहे हैं। इस पैकेज के तहत फसल उत्पादन करने वाले किसानों के लिए बड़े स्तर पर वित्तीय मदद के साथ-साथ डेयरी किसानों के लिए अलग से राहत की व्यवस्था की गई है।
अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के तहत किसानों को कुल 12 अरब डॉलर की एकमुश्त ‘ब्रिज पेमेंट’ सहायता दी जाएगी, जिसका उद्देश्य अस्थायी व्यापारिक व्यवधानों और बढ़ती उत्पादन लागत से हुए नुकसान की भरपाई करना है। पात्र किसानों को यह भुगतान फरवरी के अंत तक मिलने की उम्मीद है।
इस पैकेज का बड़ा हिस्सा, करीब 11 अरब डॉलर, ‘फार्मर ब्रिज असिस्टेंस प्रोग्राम’ के तहत दिया जाएगा। इसके अंतर्गत मक्का, सोयाबीन, गेहूं, चावल, कपास, ज्वार, जौ, तिलहन और दलहन जैसी प्रमुख फसलों के उत्पादक शामिल होंगे। शेष एक अरब डॉलर उन किसानों के लिए रखे गए हैं, जो इस कार्यक्रम के दायरे में नहीं आते, जिनमें चीनी जैसी विशेष फसलों के उत्पादक भी शामिल हैं। इनके लिए भुगतान का विवरण बाजार स्थितियों के आकलन के बाद तय किया जाएगा।
यह सहायता महंगाई, ऊंची इनपुट लागत और विदेशी प्रतिस्पर्धा के कारण निर्यात में आई दिक्कतों के बीच दी जा रही है। भुगतान की गणना रकबे, उत्पादन लागत, पैदावार और कीमतों के अनुमान के आधार पर एक समान फार्मूले से की जाएगी, ताकि 2025 फसल वर्ष में हुए आय नुकसान की आंशिक भरपाई हो सके।
इसके अलावा, USDA ने डेयरी किसानों के लिए 5 करोड़ डॉलर के अलग राहत पैकेज की भी घोषणा की है। इसका उद्देश्य दूध की कीमतों में उतार-चढ़ाव और चारे व श्रम लागत में बढ़ोतरी से जूझ रहे डेयरी उत्पादकों को राहत देना है। इस राशि का बड़ा हिस्सा ‘डेयरी मार्जिन कवरेज’ कार्यक्रम के तहत दिया जाएगा, जो दूध कीमत और चारा लागत के बीच घटते मार्जिन से किसानों की रक्षा करता है। यह पहल अमेरिकी कृषि क्षेत्र को अल्पकालिक राहत देने और उत्पादन चक्र को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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