रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड अवॉर्ड्स 2025 का आयोजन आज, थोड़ी ही देर में शुरू होगा कार्यक्रम

कृषि और ग्रामीण भारत को समर्पित मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस अपने पांच वर्ष पूरे करने जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित ‘रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड अवॉर्ड्स 2025’ थोड़ी ही देर में शुरू होने जा रहा है। इस कॉन्क्लेव की थीम ‘आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर किसान’ है, जो किसान सशक्तीकरण, तकनीकी इनोवेशन और कृषि क्षेत्र की मजबूती पर केंद्रित है।

रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड अवॉर्ड्स 2025 का आयोजन आज, थोड़ी ही देर में शुरू होगा कार्यक्रम

कृषि और ग्रामीण भारत को समर्पित मीडिया प्लेटफॉर्म रूरल वॉयस अपने पांच वर्ष पूरे करने जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित ‘रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड अवॉर्ड्स 2025’ थोड़ी ही देर में शुरू होने जा रहा है। इस कॉन्क्लेव की थीम ‘आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर किसान’ है, जो किसान सशक्तीकरण, तकनीकी इनोवेशन और कृषि क्षेत्र की मजबूती पर केंद्रित है।

इस कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि केंद्र सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी हैं। रूरल वॉयस की अवॉर्ड जूरी ने जिन व्यक्तियों को इस वर्ष के पुरस्कार के लिए चुना है, गडकरी उन्हें सम्मानित भी करेंगे। कॉन्क्लेव में किसान, नीति-निर्माता, कॉरपोरेट जगत, कृषि अनुसंधान और विज्ञान से जुड़े कई प्रमुख व्यक्तित्व शामिल हो रहे हैं।

कॉन्क्लेव में मौजूद रहने वाले प्रमुख शख्सीयतों में नीति आयोग के सदस्य और जाने-माने कृषि अर्थशास्त्री प्रो. रमेश चंद, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के डायरेक्टर जनरल डॉ. एम.एल. जाट, तास (TAAS) चेयरमैन और पूर्व DARE सचिव तथा आईसीएआर के पूर्व डायरेक्टर जनरल डॉ आर.एस. परोदा, पूर्व कृषि एवं खाद्य सचिव टी. नंदकुमार, कृभको के वाइस चेयरमैन और आईसीए एशिया-पैसिफिक के प्रेसिडेंट डॉ. चंद्रपाल सिंह, इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर के.जे. पटेल और माहिको प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन डॉ. राजेंद्र बरवाले शामिल हैं।

दिनभर चलने वाले इस कॉन्क्लेव में तीन थीमैटिक सत्र होंगे। पहला सत्र “समृद्ध किसान: नवाचार और तकनीक की भूमिका” आधुनिक तकनीक, डिजिटल समाधान और वैज्ञानिक प्रगति से किसान आय में वृद्धि पर केंद्रित होगा। दूसरे सत्र “अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आत्मनिर्भरता” वैमें श्विक बाजारों, कृषि निर्यात और भारत की रणनीतिक तैयारी पर चर्चा होगी। तीसरा और अंतिम सत्र “सक्षम नीतियां और प्रभावी क्रियान्वयन” शासन, योजनाओं और संस्थागत ढांचे की भूमिका को रेखांकित करेगा।

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