इथेनॉल आयात पर पाबंदियां जारी रखने की मांग, ISMA ने सरकार को लिखा पत्र
भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इथेनॉल आयात पर वर्तमान प्रतिबंधों को जारी रखने का अनुरोध किया है।

अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत इथेनॉल आयात पर लगी पाबंदियां हटाने की अटकलों से शुगर और इथेनॉल उद्योग की चिंताएं बढ़ गई हैं।
भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इथेनॉल आयात पर वर्तमान प्रतिबंधों को जारी रखने का अनुरोध किया है। ISMA का कहना है कि इन प्रतिबंधों की बदौलत भारत का इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ा है और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित हो पाया है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में नीतिगत स्थिरता और निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए भी इन पाबंदियों को बनाए रखना आवश्यक है।
ISMA ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए चिंता जताई है कि भारत सरकार अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के दौरान इथेनॉल आयात पर लगे प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रही है। संगठन ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह ऐसा कोई भी कदम न उठाए जिससे घरेलू इथेनॉल उद्योग को नुकसान पहुंचे या किसानों के हित प्रभावित हों।
पत्र में ISMA ने उल्लेख किया कि राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति (2018) के तहत ईंधन के लिए इथेनॉल आयात को "प्रतिबंधित श्रेणी" में रखना एक दूरदर्शी और निर्णायक कदम था, जिसने देश में आत्मनिर्भर इथेनॉल उद्योग की नींव मजबूत की। इससे गन्ना किसानों की आय में बढ़ोतरी, समय पर भुगतान और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता में कमी जैसे अहम राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल किया गया है।
वर्ष 2018 से अब तक भारत की इथेनॉल उत्पादन क्षमता में 140 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है और इसमें ₹40,000 करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है। नतीजतन, इथेनॉल मिश्रण दर 18.86 प्रतिशत तक पहुंच गई है और देश समय से पहले 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में अग्रसर है।
ISMA ने सरकार से अपील की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए "अन्नदाता से ऊर्जादाता" के मूलमंत्र से मिली उपलब्धियों को बचाया जाए और उन्हें आगे बढ़ाया जाए। इसके लिए जरूरी है कि घरेलू इथेनॉल उद्योग के हितों का बचाव हो ताकि नीतिगत स्थिरता बनी रहे और इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिल सके।
सरकार को आगाह करते हुए ISMA ने कहा है कि यदि इथेनॉल आयात पर प्रतिबंध हटाए गए, तो इससे घरेलू क्षमता निर्माण, निवेश और रोजगार के अवसर प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, गन्ना किसानों के भुगतान में भी समस्याएं आ सकती हैं, क्योंकि घरेलू इथेनॉल इकाइयों की उत्पादन क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाएगा। यह कदम राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और हरित ईंधन में आत्मनिर्भरता के प्रयासों को कमजोर करेगा।