कपास संकट पर कल कोयंबटूर में बैठक, कृषि मंत्री ने किसानों से मांगे सुझाव
केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि कपास की उत्पादकता और गुणवत्ता कैसे बढ़े—इस विषय पर हम गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यदि इस संबंध में आपके पास कोई सुझाव हों, तो टोल फ्री नंबर 18001801551 पर अवश्य भेजें।

कपास की घटती उत्पादकता और किसानों की बढ़ती चिंताओं के बीच केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कपास उत्पादन को लेकर एक बड़ी पहल की है। “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत फसलवार बैठकों की शुरुआत करते हुए उन्होंने 11 जुलाई को तमिलनाडु के कोयंबटूर में कपास पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाने की घोषणा की है। इसके साथ ही, उन्होंने देशभर के किसानों से सुझाव भी आमंत्रित किए हैं।
अपने वीडियो संदेश में शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “हमारे देश में कपास की उत्पादकता अभी काफी कम है। बीटी कॉटन पर TSV वायरस के प्रभाव के कारण कपास की उत्पादकता में गिरावट आई है। हमारा संकल्प है कि हम उत्पादन बढ़ाएं, लागत घटाएं और किसानों को वायरस-रोधी, जलवायु-अनुकूल बीज उपलब्ध कराएं।”
11 जुलाई को कोयंबटूर में सुबह 10 बजे होने वाली इस बैठक में कपास उत्पादक किसान, ICAR के वरिष्ठ वैज्ञानिक, कपास उत्पादक राज्यों के कृषि मंत्री, राज्य सरकारों के अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालयों तथा कपास उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि शामिल होंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा, “कपास की उत्पादकता और गुणवत्ता कैसे बढ़े—इस विषय पर हम गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यदि इस संबंध में आपके पास कोई सुझाव हों, तो टोल फ्री नंबर 18001801551 पर अवश्य भेजें। मैं आपके सुझावों को अत्यंत गंभीरता से लूंगा और हम मिलकर कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार करेंगे।”
कपास उत्पादन में गिरावट
भारत, चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है, लेकिन उत्पादकता के मामले में वह अब भी पीछे है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्य प्रमुख कपास उत्पादक हैं, लेकिन कीट संक्रमण, मौसम की मार और गुणवत्तायुक्त बीजों की कमी के चलते उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
पिछले एक दशक में भारत का कपास उत्पादन लगातार घटा है। वर्ष 2013-14 में कपास उत्पादन 398 लाख गांठ के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया। वर्ष 2024-25 में कपास उत्पादन घटकर 306.92 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जबकि देश में कपास की मांग लगभग 315 लाख गांठ के आसपास है।
घरेलू मांग पूरी करने के लिए इस वर्ष भारत को कपास का पिछले साल से करीब दोगुना आयात करना पड़ेगा। भारत आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और मिस्र जैसे देशों से कपास का आयात करता है।