प्राकृतिक खेती मिशन के तहत 10 लाख से अधिक किसानों का नामांकन, मिलेगा प्रति एकड़ 4000 रुपये का प्रोत्साहन

राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत जुलाई, 2025 तक 10 लाख से अधिक किसानों का नामांकन किया गया है और 1,100 मॉडल फार्म विकसित किए गए हैं।

प्राकृतिक खेती मिशन के तहत 10 लाख से अधिक किसानों का नामांकन, मिलेगा प्रति एकड़ 4000 रुपये का प्रोत्साहन

रासायनिक-मुक्त और इको-सिस्टम आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किए गए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) के तहत जुलाई 2025 तक 10 लाख से अधिक किसानों का नामांकन किया जा चुका है। केंद्र प्रायोजित इस योजना की शुरुआत 25 नवंबर 2024 में की गई थी, जिसका मकसद मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, किसानों की इनपुट लागत में कमी के साथ पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है। 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मिशन के तहत 2,481 करोड़ रुपये के कुल खर्च से 15,000 समूहों के माध्यम से 7.5 लाख हेक्टेयर में खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य है। एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य है। 70 हजार से अधिक प्रशिक्षित कृषि सखियां इनपुट वितरण और किसानों के मार्गदर्शन का कार्य कर रही हैं। मिशन के तहत अब तक 1,100 मॉडल फार्म विकसित हो चुके हैं और 806 प्रशिक्षण संस्थान सक्रिय हैं। 

राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को 2,481 करोड़ रुपये के प्रस्तावित खर्च के साथ शुरू किया गया है जिसमें केंद्र का हिस्सा 1,584 करोड़ रुपये और राज्यों की हिस्सा 897 करोड़ रुपये रहेगा। यह भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) का संशोधित रूप है, जिसे 2020-21 से 2022-23 तक परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत लागू किया गया था। 

प्रशिक्षण, प्रोत्साहन और प्रमाणन

प्राकृतिक खेती के तरीके अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए दो साल के लिए प्रति एकड़ प्रति वर्ष 4,000 रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है। अब तक 3,900 से अधिक वैज्ञानिकों, मास्टर ट्रेनर्स और अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, साथ ही 28,000 सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) की पहचान की गई है। आईसीएआर ने केवीके के माध्यम से 3.6 लाख से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षित दिया है। 

योजना के तहत 15,000 प्राकृतिक खेती समूहों का गठन किया जाएगा, जहां प्रत्येक क्लस्टर लगभग 50 हेक्टेयर का होगा और लगभग 125 किसान शामिल होंगे। किसानों के प्रशिक्षण के लिए 1,100 प्राकृतिक खेती मॉडल फार्म विकसित किए गए हैं। मिशन की प्रगति की रीयल-टाइम निगरानी के लिए https://naturalfarming.dac.gov.in पोर्टल विकसित किया गया है। भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस)-भारत के तहत प्राकृतिक खेती का प्रमाणन भी किया जा रहा है। 

क्या है प्राकृतिक खेती?

प्राकृतिक खेती का मकसद स्थान-विशिष्ट कृषि-पारिस्थितिक पद्धतियों को बढ़ावा देना है जिससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है और प्राकृतिक इको-सिस्टम मजबूत होते हैं। इसके तहत बहु-फसल प्रणालियों, बायोमास मल्चिंग आदि के माध्यम से मृदा में कार्बनिक पदार्थों के उत्पादन को प्रोत्साहित कर मृदा स्वास्थ्य और नमी की मात्रा में सुधार पर भी जोर दिया जाता है। प्राकृतिक खेती लाभकारी कीटों, पक्षियों और सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति को बढ़ावा देकर जैव-विविधता को भी बढ़ाती है।  

कई राज्य पहले से ही प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं और सफल मॉडल विकसित कर चुके हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और केरल अग्रणी राज्यों में से हैं। प्राकृतिक खेती फसल प्रणाली पद्धतियों के पैकेज (पीओपी) को विकसित करने और वैधता प्रदान करने के लिए 20 संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से अनुसंधान शुरू किया गया है। गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र को राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र (एनसीओएफ) के रूप में पुनर्गठित किया गया है जो प्रमाणन के लिए मानक तैयार कर रहा है।

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