कपास पर इंपोर्ट ड्यूटी खत्म, नई फसल से पहले किसानों को बड़ा झटका

वित्त मंत्रालय द्वारा 18 अगस्त की देर शाम जारी अधिसूचना के मुताबिक 19 अगस्त से कपास का आयात बिना इंपोर्ट ड्यूटी के किया जा सकता है। कॉटन पर 10 फीसदी का सीमा शुल्क लगता है और इसके उपर 10 फीसदी का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर सेस मिलाकर प्रभावी ड्यूटी 11 फीसदी बैठती है जो आज से समाप्त हो गई है।

कपास पर इंपोर्ट ड्यूटी खत्म, नई फसल से पहले किसानों को बड़ा झटका

केंद्र सरकार ने कपास की नई फसल बाजार में आने से एक माह पहले इसके आयात पर शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) को समाप्त कर दिया है। वित्त मंत्रालय की तरफ से 18 अगस्त की देर शाम जारी अधिसूचना के मुताबिक 19 अगस्त से कपास का आयात बिना इंपोर्ट ड्यूटी के किया जा सकता है। कॉटन पर 10 फीसदी सीमा शुल्क लगता है और इसके ऊपर 10 फीसदी का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर सेस मिलाकर प्रभावी ड्यूटी 11 फीसदी बैठती है, जो आज से समाप्त हो गई है। 

सरकार के इस फैसले से आने वाले मार्केट सीजन में किसानों को कपास की बेहतर कीमत मिलने में मुश्किल खड़ी होने की आशंका बन गई है। वहीं कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी गई कपास की कीमतों में भी इस फैसले के चलते गिरावट आएगी। इस समय बाजार में सीसीआई 56000 से 57000 रुपये प्रति कैंडी (355.6 किलो)  के दाम पर कॉटन बेच रहा है। वहीं आयातित कॉटन की कीमत 50 हजार रुपये से 51 हजार रुपये प्रति कैंडी रहने का अनुमान है। 

सूत्रों के मुताबिक, करीब सप्ताह भर पहले तक टेक्सटाइल मंत्रालय के कुछ अधिकारी आयात शुल्क समाप्त करने के पक्ष मेंं नहीं थे। लेकिन हफ्ते भर में फैसला बदल गया और 18 अगस्त को वित्त मंत्रालय ने आयात शुल्क समाप्त करने की अधिसूचना जारी कर दी। चौंकाने वाली बात यह है कि जो सीसीआई सरकार के लिए एमएसपी पर कपास की खरीद करता है और उसे बाजार में बेचता है, उसने भी कॉटन आयात पर शुल्क समाप्त करने पर सहमति जताई है। 

अधिसूचना के मुताबिक, 19 अगस्त से लेकर 30 सितंबर, 2025 की अवधि के लिए आयात शुल्क समाप्त किया गया है। इस तरह 40 दिन की अवधि आयातकों को दी गई है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि इस छोटी अवधि में केवल वही कॉटन आयात हो सकेगा जो या तो ट्रांजिट में है या फिर उन आयातकों को होगा जिनका माल कस्टम क्लीयरेंस के लिए गोदामों में रखा हुआ है । अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐसे कॉटन की मात्रा करीब छह लाख गांठ (एक लाख टन) है। इस आयात की स्थिति में सरकार को करीब 170 करोड़ रुपये के आयात शुल्क का घाटा होगा। वहीं सीसीआई के पास बकाया स्टॉक को देखते हुए कीमतों में करीब पांच हजार रुपये की गिरावट के चलते उसका घाटा 700 करोड़ रुपये तक हो सकता है, क्योंकि आयातित कॉटन की कीमत करीब 51 हजार रुपये कैंडी रहने का अनुमान है।

वहीं कीमतों में इस गिरावट का असर आने वाले सीजन के दाम पर भी पड़ेगा, क्योंकि बाजार की शुरुआत कम दाम पर होगी। आगामी मार्केटिंग सीजन के लिए सरकार द्वारा तय एमएसपी पर खरीदी गई कॉटन की लागत सीसीआई के लिए करीब 61 हजार रुपये प्रति कैंडी पड़ेगी। वहीं जिन घरेलू ट्रेडर्स के पास माल बकाया है उनको भी कीमत में कमी का नुकसान उठाना पड़ेगा। यह नुकसान करीब 100 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इस स्थिति में कॉटन पर सीमा शुल्क समाप्त करने का फायदा टेक्सटाइल इंडस्ट्री के साथ उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को होने वाला है जो भारत को कॉटन का निर्यात करेंगी। 

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