पंजाब विधानसभा ने ‘जी राम जी’ विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया, मनरेगा बहाली की मांग
केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा की जगह विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (VB-G RAM G) कानून लाने को लेकर पंजाब में विरोध बढ़ गया है।
पंजाब विधानसभा ने केंद्र सरकार के वीबी-जी राम जी कानून के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव में नए कानून को मनरेगा को खत्म करने की सोची-समझी साजिश और गरीब व दलित मजदूरों की रोजी-रोटी छीनने का आरोप लगाया। विधानसभा ने केंद्र सरकार से मनरेगा को उसके असल स्वरूप में तत्काल बहाल करने की मांग करते हुए सभी उपस्थित सदस्यों की सहमति से यह प्रस्ताव पारित किया। इस दौरान भाजपा के दो विधायक सदन में मौजूद नहीं थे।
प्रस्ताव पेश करते हुए कैबिनेट मंत्री तरुनप्रीत सिंह सौंद ने कहा कि जी राम जी कानून गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों, अनुसूचित जाति समुदायों और ग्रामीण मजदूरों पर गंभीर असर डालेगा। नए कानून से दलित मजदूरों की आजीविका छीनी जा रही है। उन्होंने कहा कि मनरेगा को खत्म करना केवल एक योजना का अंत नहीं, बल्कि गरीब और दलित समुदायों के जीवन के अधिकार पर हमला है।
आम आदमी पार्टी की सरकार ने मनरेगा की जगह ‘वीबी-जी राम जी’ कानून लाने के विरोध में विधानसभा का एक दिन का सत्र बुलाया था। गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने पूरे मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी है, जिसे 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के साथ संभावित गठबंधन से जोड़ा जा रहा है। वहीं, आम आदमी पार्टी इस मामले को दलित मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है।
चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नए कानून को गरीब, दलित, किसान, मजदूर और महिलाओं के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह गरीबों के “चूल्हे बुझाने” वाला कदम है। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी “दलितों और गरीब मज़दूरों की आवाज़” बनेगी और प्रधानमंत्री के सामने मनरेगा का मामला उठाएगी। वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि मनरेगा को खत्म करना न सिर्फ गरीबों पर, बल्कि फेडरलिज्म पर भी हमला है।
चर्चा के दौरान सदन में मौजूद अकेले भाजपा विधायक अश्विनी शर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए भ्रम फैला रही है। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा वर्ष में मनरेगा के तहत औसतन केवल 26 दिन का रोजगार दिया गया, जबकि पिछले तीन वर्षों में यह औसत 38 दिन रहा। शर्मा ने सोशल ऑडिट न होने और मनरेगा में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया। प्रस्ताव पास होने पर वह सदन से चले गए।
कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने पलटवार करते हुए कहा कि रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करना केवल दिखावा है, क्योंकि मजदूरों को महीनों तक मजदूरी नहीं मिलती। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने एक महिला मनरेगा मजदूर का पत्र पढ़ते हुए कहा कि नियमों में बदलाव और केंद्रीकरण से गरीब परिवारों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ेगा।
कांग्रेस नेता परगट सिंह ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि केवल निंदा प्रस्ताव पारित करना पर्याप्त नहीं है और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के सामने विरोध दर्ज कराना होगा।
आम आदमी पार्टी के विधायक पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में मनरेगा मजदूरों द्वारा लिखे गए लाखों पत्र लेकर पहुंचे। मनरेगा मजदूर भी आज पंजाब विधान सभा में हाजिर थे। पंजाब सरकार इन पत्रों को देश के प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।

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