सेहत या सियासत? 21 जून की वे घटनाएं जिनसे जुड़े हैं धनखड़ के इस्तीफे के तार

कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा कि जितना दिख रहा है, मामला उससे कहीं अधिक है। इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं। हालांकि, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि यह निजी निर्णय है और इसका राजनीतिकरण करना अनुचित है।

सेहत या सियासत? 21 जून की वे घटनाएं जिनसे जुड़े हैं धनखड़ के इस्तीफे के तार

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कल रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। इस खबर ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है।

हालांकि, यह बात सही है कि जगदीप धनखड़ का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। लेकिन कल दिन भर उनकी सक्रियता को देखते हुए, उनका अचानक इस्तीफा गले नहीं उतर रहा है। उनके इस कदम के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि जितना दिख रहा है, मामला उससे कहीं अधिक है। इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं। हालांकि, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने इसे निजी निर्णय करार देते हुए कहा कि इसका राजनीतिकरण करना अनुचित है। 

आइये, सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं कि आखिर 21 जुलाई के दिन ऐसा क्या हुआ कि रात होते-होते उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देने का फैसला कर लिया।    

सुबह 11 बजे मॉनसून सत्र का उद्घाटन

राज्यसभा के सभापति के तौर पर जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र का शुभांरभ किया और नए सदस्यों को शपथ दिलाई।

खड़गे और नड्डा की बहस   

ऑपरेशन सिंदूर पर जब नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर तीखे प्रहार किए तो सभापति ने उन्हें बोलने का मौका दिया। साथ ही विपक्ष को ऑपरेशन सिंदूर पर पूरी बहस का भरोसा दिलाया।

इस दौरान जेपी नड्डा और खड़गे के बीच बहस हुई तो नड्डा ने कहा कि “कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा, मैं जो बोलूंगा वो ही रिकॉर्ड में जाएगा। आपको ये पता होना चाहिए।” नड्डा के इस बयान पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई। क्योंकि ऐसा कहने का अधिकार सभापति का होता है। यह बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। 

दोपहर 12.30 बजे: कार्य मंत्रणा समिति की बैठक

जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की। इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत ज़्यादातर सदस्य मौजूद थे। थोड़ी देर की चर्चा के बाद तय हुआ कि समिति की अगली बैठक शाम 4:30 बजे फिर से होगी। 

दोपहर बाद 3:53 बजे: उपराष्ट्रपति कार्यालय की ओर से 23 जुलाई को उनके जयपुर में कार्यक्रम की सूचना जारी की गई। यानी शाम चार बजे तक इस्तीफे की कोई बात नहीं थी।

शाम 4.05 बजे: जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव 

विपक्ष ने जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया। सभापति जगदीश धनखड़ ने महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस प्राप्त होने की घोषणा करते हुए कहा कि यह 50 से अधिक सदस्यों के हस्ताक्षर की शर्त पूरी करता है। इस संबंध में उन्होंने राज्यसभा के महासचिव को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये। 

जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी 145 सांसदों ने एक ज्ञापन सौंपा था। ऐसे महाभियोग के लिए कम से कम 50 राज्यसभा सांसदों या 100 लोकसभा सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं। 

शाम 4.30 बजे: कार्य मंत्रणा समिति की फिर बैठक

धनखड़ की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति के सदस्य दोबारा बैठक के लिए इकट्ठा हुए। सभी नड्डा और रिजिजू का इंतजार करते रहे, लेकिन वे नहीं आए। समिति की अगली बैठक आज दोपहर 1 बजे के लिए टाल दी। कहा जा रहा है कि धनखड़ मीटिंग में नेता सदन जेपी नड्डा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू की गैरमौजूदगी से नाखुश थे। कुछ सांसदों ने भी नड्डा और रिजिजू के न आने पर सवाल उठाए।

जयराम रमेश ने अंदेशा जताया है कि 21 जुलाई को दोपहर 1 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई, जिसकी वजह से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने शाम की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने आज दोपहर 1 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई थी और न्यायपालिका से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घोषणा करने वाले थे। 

शाम 5.30 बजे: विपक्षी सांसद धनखड़ से मिलने पहुंचे। लगभग 6 बजे खबर आई कि महाभियोग प्रस्ताव पर 50 नहीं 49 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। एक सांसद ने दो बार हस्ताक्षर किए हैं। यह बात काफी हैरान करने वाली थी। क्योंकि पहले भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है जिसकी पड़ताल जारी है। पिछले साल सदन में 500 के नोट मिलने के मामले की जांच को लेकर भी धनखड़ ने नाराजगी जाहिर की थी।  

शाम 7-8 बजे:  जगदीप धनखड़ ने शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक की। इसके लगभग डेढ़ घंटे बाद उपराष्ट्रपति का इस्तीफा हो गया। 

 

 

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