चीनी उत्पादन में 15% वृद्धि की संभावना, चीनी मिलों का राजस्व 6-8% तक बढ़ने का अनुमान: इक्रा

रेटिंग एजेंसी ICRA की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया कि डिस्टिलरी क्षेत्र की लाभप्रदता बनाए रखने के लिए एथेनॉल की कीमतों में संशोधन आवश्यक है।

चीनी उत्पादन में 15% वृद्धि की संभावना, चीनी मिलों का राजस्व 6-8% तक बढ़ने का अनुमान: इक्रा

देश में इस साल अच्छे मानसून के चलते चीनी उत्पादन में 15 फीसदी बढ़ोतरी हो सकती है। रेटिंग एजेंसी ICRA की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025-26 में देश की प्रमुख एकीकृत चीनी मिलों का राजस्व 6-8% तक बढ़ने का अनुमान है। एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि डिस्टिलरी क्षेत्र की लाभप्रदता बनाए रखने के लिए एथेनॉल की कीमतों में संशोधन आवश्यक है।

रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य से अधिक मानसून के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती का रकबा बढ़ेगा। इसके बावजूद, यदि इथेनॉल की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो चीनी मिलों के लिए परिचालन लाभ वित्त वर्ष 2026 में मामूली होगा। चीनी क्षेत्र के लिए ICRA का दृष्टिकोण स्थिर है, जो राजस्व में प्रत्याशित सुधार, स्थिर लाभप्रदता और आरामदायक ऋण कवरेज के साथ-साथ इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (EBP) सहित सरकार के नीतिगत समर्थन पर आधारित है।

ICRA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) गिरीश कुमार कदम का कहना है कि सामान्य से बेहतर मानसून और प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में गन्ने के रकबे और उपज में अपेक्षित सुधार के बीच सकल चीनी उत्पादन SY2025 के 296 लाख टन से बढ़कर SY2026 में 340 लाख टन होने का अनुमान है। इथेनॉल उत्पादन के लिए 40 लाख टन के अनुमानित डायवर्जन के बाद, शुद्ध चीनी उत्पादन SY2026 में 300 लाख टन रहेगा, जो SY2025 में 262 लाख टन था।

रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि 30 सितंबर, 2025 तक चीनी का क्लोजिंग स्टॉक लगभग 52 लाख टन होगा, जो 30 सितंबर, 2024 को 80 लाख टन के चीनी स्टॉक से कम है। यह देश में 2 महीने की चीनी खपत के बराबर है। अगर घरेलू खपत और निर्यात कोटा 2025 के समान रहता है, तो 30 सितंबर, 2026 तक क्लोजिंग स्टॉक बढ़कर 63 लाख टन (लगभग 2.5 महीने की खपत) रहने की उम्मीद है।

इथेनॉल मिश्रण पर टिप्पणी करते हुए, गिरीश कुमार कदम ने कहा कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। सरकार अब इसे 20% से अधिक करने पर विचार कर रही है, जो डिस्टिलरी क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, जूस और बी-हेवी मोलासेस आधारित एथेनॉल की कीमतों में पिछले दो वर्षों से कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि इस दौरान गन्ने के एफआरपी (उचित एवं लाभकारी मूल्य) में लगभग 11.5% की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसलिए, डिस्टिलरीज और चीनी उद्योग की लाभप्रदता को बनाए रखने के लिए इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी आवश्यक है।

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