किसान टोल फ्री नंबर पर दें नकली खाद-बीज की सूचना, बेईमानों को छोडूंगा नहीं: शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस समारोह में कहा कि वैज्ञानिक शोध की दिशा अब किसानों की जरूरत के हिसाब से तय की जाएगी। इसके लिए वन टीम, वन टास्क होगा। रिसर्च डिमांड ड्रिवन होगी।

किसान टोल फ्री नंबर पर दें नकली खाद-बीज की सूचना, बेईमानों को छोडूंगा नहीं: शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से आह्वान किया है कि जहां कहीं भी नकली खाद-बीज की आशंका है, तुरंत टोल फ्री नंबर (18001801551) पर खबर करो, बेईमानों को मैं छोडूंगा नहीं। अगर किसी ने घटिया या नकली बीज, खाद और कीटनाशक बेचा तो उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी किसान को गैर-उपयोगी उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। किसी भी कीमत पर किसान के साथ लूट नहीं होने देंगे। 

शिवराज सिंह चौहान बुधवार को नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 97वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। कृषि क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए देश के कृषि वैज्ञानिकों और आईसीएआर की टीम को बधाई देते हुए उन्होंने भावी चुनौतियों से निपटने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अब वैज्ञानिक शोध की दिशा किसानों की जरूरत के हिसाब से तय की जाएगी। इसके लिए वन टीम, वन टास्क होगा। रिसर्च डिमांड ड्रिवन होगी। 

कृषि क्षेत्र में देश की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कभी खाद्यान्न उत्पादन में हमारी निर्भरता दूसरे देशों पर होती थी। हम पीएल - 480 गेहूं खाते थे। लेकिन आज देश के अन्न के भंडार भरे हैं। रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। हरित क्रांति के दौरान वर्ष 1966 से 1979 तक खाद्यान्न उत्पादन प्रति वर्ष 2.7 मिलियन टन बढ़ा था। जबकि पिछले 11 सालों में खाद्यान्न उत्पादन ढाई से तीन गुना तक बढ़ा है। इसी तरह फल-सब्जी, दूध उत्पादन, पशुपालन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी बड़ी कामयाबी मिली। जलवायु परिवर्तन, घटती कृषि भूमि और शहरीकरण जैसी चुनौतियों के बावजूद हमारा कृषि उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। इसके लिए देश के वैज्ञानिकों और किसान बधाई के पात्र हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि उपलब्धियां के साथ ही हमारे सामने कई चुनौतियां भी हैं। एक तरफ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, तो दूसरी तरफ धरती के स्वास्थ्य को भी बचाकर रखना है। ऐसे में रसायन और उर्वरक कम से कम इस्तेमाल कर, उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए इस पर हमें गंभीरता से काम करना होगा। 

दलहन-तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि मंत्री ने वैज्ञानिकों से गंभीर प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कपास की इतनी किस्में जारी की गईं, लेकिन उत्पादन घट गया। गन्ने में रेड रॉट रोग लग गया। इसलिए जहां फसल प्रभावित हो रही हैं, वहां रिसर्च की जरूरत है। किसानों को ऐसी मशीन चाहिए जिससे असली या नकली खाद का तुरंत पता चल सके। किसानों की मांग है कि छोटी मशीनें बनाई जाएं। टमाटर की शेल्फ लाइफ बढ़ाई जाए। ये जायज मांग हैं। इस पर शोध होना चाहिए।

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के जरिए शोध के लिए ऐसे 500 विषय सामने आए हैं, जिन पर काम किया जाएगा। फसलवार और राज्यवार बैठकें कर समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। सोयाबीन और कपास के बाद अब गन्ने व मक्के पर भी बैठक आयोजित की जाएंगी।

बायोस्टिम्यूलेन्ट को लेकर कृषि मंत्री ने कहा कि देश में 30 हजार बायोस्टिम्यूलेन्ट मनमाने ढंग से बेचे जा रहे थे। न कोई SOP, न कोई प्रमाण। फिर व्यवस्था बनी कि इसको ICAR की किसी संस्था से प्रमाणित करवाना पड़ेगा। अब घटकर 650 बायोस्टिम्यूलेन्ट उत्पाद रह गये हैं। उन्होंने कहा कि कंपनियां बंद हो जाएं तो हो जाएं, पर किसान को बर्बाद नहीं होने देंगे। वही उत्पाद बिकेंगे जो किसानों के लिए उपयोगी हों। दुकान पर किसान को DAP के साथ जबरदस्ती दूसरी चीजों को भी खरीदने पर मजबूर किया जाता है। उन्होंने इस संबंध में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। 

कार्यक्रम के दौरान आईसीएआर की तकनीक के कमर्शियल इस्तेमाल के लिए कई कंपनियों के साथ एमओयू किए गये। इस बारे में कृषि मंत्री ने कहा MoU करते समय ध्यान रखें कि किसानों को किस दाम पर बीज बेचा जा रहा है। MRP क्या हो, उसे तय करने का कोई साइंटिफिक तरीका होना चाहिए। जन औषधि केंद्रों की तर्ज पर सस्ते उर्वरकों के लिए भी दुकान खोलने पर विचार किया जा सकता है।

इस अवसर पर आईसीएआर के महानिदेशक एवं सचिव (डेयर) डॉ. एम.एल. जाट ने आईसीएआर की 10 उपलब्धियों, 10 पहलों और प्रतिबद्धताओं की जानकारी देते विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में कृषि क्षेत्र की भूमिका पर जोर दिया। इसके लिए आईसीएआर के विभिन्न संस्थान विजन टू एक्शन प्लान तैयार करेंगे। उन्होंने आईसीएआर द्वारा स्पीड ब्रीडिंग, 40 फसलों में जीनोम एडिटिंग, फसलों की 600 से अधिक प्रजातियों, 45 से अधिक नए उत्पाद व तकनीकों, 125 नए पेटेंट, 120 नए डिजाइन और 307 कॉपीराइट सहित विभिन्न उपलब्धियों और पहलों की जानकारी दी। विकसित कृषि और किसानों की समृद्धि पर जोर देते हुए डॉ. जाट ने कहा कि आईसीएआर की वैश्विक भूमिका को आगे बढ़ाते हुए “आईसीएआर ग्लोबल” की शुरुआत की जाएगी।

समारोह में विभिन्न कृषि  वैज्ञानिकों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही उत्पाद लांच किए एवं प्रकाशनों का विमोचन किया। कार्यक्रम को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने भी संबोधित किया। 

 

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