प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाएं होंगी समाहित

योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में बढ़ोत्तरी, फसल विविधीकरण और संधारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना, कटाई के बाद पंचायत और प्रखंड स्तर पर भंडारण क्षमता में वृद्धि, सिंचाई सुविधा में सुधार और दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक ऋण उपलब्धता सुगम बनाना है। यह 2025-26 के केंद्रीय बजट में "प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना" के अंतर्गत 100 ज़िले विकसित किये जाने की घोषणा के अनुरूप है

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाएं होंगी समाहित

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को छह वर्षों की अवधि के लिए "प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना" को स्वीकृति दे दी। यह योजना 2025-26 से 100 जिलों में लागू की जाएगी। यह योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित है।

योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना, संधारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना, कटाई के बाद पंचायत और प्रखंड स्तर पर भंडारण क्षमता का विस्तार, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, तथा दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक ऋण की सहज उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह योजना 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित 100 जिलों के विकास की घोषणा के अनुरूप है। इसका क्रियान्वयन 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं, राज्यों की अन्य योजनाओं तथा निजी क्षेत्र की स्थानीय भागीदारी के माध्यम से किया जाएगा।

तीन प्रमुख संकेतकों—कम उत्पादकता, कम फसल सघनता और अल्प ऋण वितरण—के आधार पर 100 जिले चिन्हित किए जाएंगे। प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या शुद्ध फसल क्षेत्र (वह कुल क्षेत्रफल, जहां किसी कृषि वर्ष में वास्तव में फसलें उगाई जाती हैं) और परिचालन जोत के अनुपात पर आधारित होगी। प्रत्येक राज्य से कम-से-कम एक जिले का चयन किया जाएगा।

योजना के प्रभावी नियोजन, क्रियान्वयन और निगरानी के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियों का गठन किया जाएगा। जिला धन-धान्य समिति द्वारा जिला कृषि एवं संबद्ध गतिविधि योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसमें प्रगतिशील किसान भी सदस्य होंगे। इन जिला योजनाओं को फसल विविधीकरण, जल और मृदा स्वास्थ्य संरक्षण, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता, तथा प्राकृतिक व जैविक खेती को बढ़ावा देने जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप तैयार किया जाएगा।

प्रत्येक धन-धान्य जिले में योजना की प्रगति की मासिक आधार पर 117 प्रमुख संकेतकों के अनुसार डैशबोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। नीति आयोग भी इन योजनाओं की समीक्षा एवं मार्गदर्शन करेगा, जबकि प्रत्येक जिले में नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी नियमित रूप से योजना की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

इन सौ जिलों में लक्षित परिणामों में सुधार के साथ देश के प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों की समग्र औसत में भी वृद्धि होगी। योजना से न केवल कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में मूल्यवर्धन (उत्पाद और सेवा दोनों में) और स्थानीय स्तर पर आजीविका के नए अवसर भी सृजित होंगे। इस प्रकार यह योजना घरेलू उत्पादन में वृद्धि और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होगी। सौ चयनित जिलों के प्रदर्शन में उत्तरोत्तर सुधार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन संकेतकों में भी स्वतः वृद्धि सुनिश्चित होगी।

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