सहकारी चीनी मिलों के एसडीएफ लोन की रिस्ट्रक्चरिंग में 619.43 करोड़ रुपये की ब्याज राहत

सहकारी चीनी मिलों के शुगर डेवपमेंट फंड (एसडीएफ) के बकाया कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग में मिलों को 619.43 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ब्याज बकाया से छूट मिल गई है। केंद्र सरकार द्वारा एसडीएफ लोन की गाइडलाइन में 28 फरवरी, 2024 को जो बदलाव किया है उससे देश भर की 33 सहकारी मिलों को फायदा मिला है। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के मुताबिक 28 फरवरी को संशोधित गाइडलाइन से यह राहत मिली है। देश भर की 33 चीनी मिलों पर बकाया 1378 करोड़ रुपये के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग की गई है

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सहकारी चीनी मिलों के शुगर डेवपमेंट फंड (एसडीएफ) के बकाया कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग में मिलों को 619.43 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ब्याज बकाया से छूट मिल गई है। केंद्र सरकार द्वारा एसडीएफ लोन की गाइडलाइन में 28 फरवरी, 2024 को जो बदलाव किया है उससे देश भर की 33 सहकारी मिलों को फायदा मिला है। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 28 फरवरी को संशोधित गाइडलाइन से यह राहत मिली है। इन 33 चीनी मिलों पर बकाया 1378 करोड़ रुपये के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग की गई है। 

बकाया कर्ज में महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 861.23 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर 202.48 करोड़ रुपये, तमिलनाडु की चीनी मिलों पर 113.15 करोड़ रुपये, कर्नाटक की चीनी मिलों पर 103.20 करोड़ रुरये और गुजरात की सहकारी चीनी मिलों पर 39.37 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था। बाकी कर्ज आंध्र प्रदेश और ओड़िशा की सहकारी चीनी मिलों पर था। कुल बकाया कर्ज 566.83 करोड़ रुपये प्रिंसिपल के रूप में और 191.79 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में बकाया थे। वहीं 619.43 करोड़ रुपये की राशि अतिरिक्त ब्याज के रूप में बकाया थी। रिस्ट्रक्चरिंग के तहत अतिरिक्त ब्याज (एडिशनल इंटरेस्ट) की 619.43 करोड़ रुपये की राशि को माफ कर दिया गया है। वहीं बकाया प्रिंसिंपल अमाउंट और ब्याज की राशि के भुगतान को सात साल की अवधि के लिए रि-शेड्यूल कर दिया गया है। पहले दो साल तक किसी किस्त का भुगतान नहीं करना होगा। रिपेमेंट तीसरे साल से शुरू होगा। 

इसके साथ ही सरकार ने शुगर डेवलपमेंट फंड (एसडीएफ) के बकाया लोन के वन-टाइम पेमेंट की योजना भी लागू की है। इस योजना के तहत छह माह के भीतर कर्ज का भुगतान किया जा सकेगा। इन दोनों योजनाओं को लागू करने के लिए खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों की एक कमेटी गठित की गई है। 

एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा है कि यह दोनों योजनाएं देश की सहकारी चीनी मिलों के लिए एक बड़ी राहत साबित होंगी। फेडरेशन का प्रयास होगा कि चीनी मिलें वन-टाइम रिपेमेंट स्कीम का फायदा उठा सकें। इसके साथ ही हमारी कोशिश होगी कि जीएसटी का कुछ पैसा एसडीएफ में लाया जा सके।