दुनिया भर में दूध उत्पादन 2025 में 99.27 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है। यह पिछले साल की तुलना में एक प्रतिशत अधिक रहेगा। दूध उत्पादन में लगातार दूसरे वर्ष मामूली वृद्धि होगी। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने अपनी द्विवार्षिक वैश्विक खाद्य रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
रिपोर्ट में एशिया को इस वृद्धि का प्रमुख स्रोत बताया गया है, जहां भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में पशुधन की संख्या में बढ़ोतरी और उत्पादकता में क्रमिक सुधार से उत्पादन में वृद्धि होगी। यह वृद्धि चीन में संभावित गिरावट की भरपाई करेगी, जहां गिरते फार्मगेट मूल्य और उच्च लागत दबाव के चलते उत्पादन पर असर पड़ रहा है।
अमेरिका महाद्वीप में भी दुग्ध उत्पादन में सुधार की उम्मीद है। विशेषकर ब्राजील और मैक्सिको में अच्छी वृद्धि तथा अर्जेंटीना और अमेरिका में सुधार के कारण। दूसरी ओर, यूरोप और ओशिनिया में उत्पादन स्तर स्थिर रहने की संभावना है। अफ्रीका में उच्च लागत और संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में व्यवधान के कारण हल्की गिरावट का अनुमान है।
दूध के वैश्विक व्यापार में गिरावट के आसार
दूध व्यापार की बात करें तो 2025 में वैश्विक दुग्ध व्यापार (दूध समतुल्य) में 0.8% गिरावट की संभावना है। चीन में आयात बढ़ने की उम्मीद है, जो खाद्य उद्योग की मांग और उत्पादन में कमी के चलते हो सकता है। लेकिन यह अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरेबियन और निकट पूर्व में आयात में संभावित गिरावट की भरपाई नहीं कर पाएगा, जहां घरेलू उत्पादन में सुधार देखा जा रहा है।
निर्यात के मोर्चे पर, यूरोपीय संघ, सऊदी अरब और अमेरिका से निर्यात में कमी की आशंका है, जिसे न्यूजीलैंड और उरुग्वे से बढ़ते शिपमेंट से आंशिक रूप से संतुलित किया जा सकता है। FAO ने यह भी चेतावनी दी है कि वैश्विक व्यापार नीतियों में अनिश्चितता बनी हुई है, जो आने वाले महीनों में बाजार और व्यापार पर असर डाल सकती है।
दुनिया के आधे दूध की खपत भारत और चीन में
अंतरराष्ट्रीय डेयरी फेडरेशन (IDF) ने मार्च 2025 में जारी अपनी वर्ल्ड डेयरी सिचुएशन 2024 रिपोर्ट में कहा था कि एशियाई बाजार ने वैश्विक दुग्ध उद्योग में खुद को एक मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित कर लिया है, जिसमें चीन और भारत सबसे आगे हैं। ये दोनों देश मिलकर विश्व के कुल दूध उपभोग का लगभग 50% हिस्सा साझा करते हैं, जो वैश्विक दुग्ध व्यापार की दिशा को काफी प्रभावित करता है।
रिपोर्ट में वार्षिक दुग्ध उत्पादन में 2.1% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था, जिससे कुल उत्पादन 964 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना जताई गई थी। यह वृद्धि मुख्य रूप से चीन और भारत में होगी, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर गाय के दूध के शीर्ष पांच उत्पादकों में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। यह प्रगति इन देशों में मजबूत घरेलू मांग की वजह से संभव हुई है।
इसी बीच, 2025 की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय दुग्ध कीमतों में वृद्धि जारी रही। मक्खन की रिकॉर्ड कीमतों और पनीर की दरों में मजबूती के चलते FAO दुग्ध मूल्य सूचकांक मई में 153.5 अंक रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21.5% अधिक है। हालांकि जून 2022 में दर्ज ऐतिहासिक उच्चतम स्तर से 3% नीचे है। मक्खन और पनीर की कीमतों में वृद्धि का कारण मजबूत मांग और EU व ओशिनिया में सीमित आपूर्ति रहा। होल मिल्क पाउडर की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई, विशेषकर निकट पूर्व और उत्तर अफ्रीका में स्थिर मांग के कारण। इसके विपरीत, स्किम्ड मिल्क पाउडर की कीमतों पर हल्का दबाव देखा गया, जो यूरोप में ज्यादा आपूर्ति और एशिया में मांग में धीमी वृद्धि के चलते हुआ।