कृषि खाद्य व्यवस्था पर जीवनयापन के लिए निर्भर है दुनिया की आधी आबादीः एफएओ

अपनी आजीविका के लिए कृषि खाद्य व्यवस्था पर निर्भर 3.83 अरब लोगों में से 2.36 अरब लोग एशिया में और 94 करोड़ लोग अफ्रीका में रहते हैं। 1.23 अरब लोगों को यह व्यवस्था सीधे तौर पर रोजगार देती है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

दुनिया की करीब आधी आबादी जीवनयापन के लिए कृषि खाद्य व्यवस्था पर निर्भर है। अपनी आजीविका के लिए कृषि खाद्य व्यवस्था पर निर्भर 3.83 अरब लोगों में से 2.36 अरब लोग एशिया में और 94 करोड़ लोग अफ्रीका में रहते हैं। 1.23 अरब लोगों को यह व्यवस्था सीधे तौर पर रोजगार देती है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। एफएओ ने इस अध्ययन की रिपोर्ट सोमवार को जारी की है।  

कृषि खाद्य व्यवस्था में खाद्य और गैर-खाद्य उत्पादों का प्राथमिक उत्पादन, गैर-कृषि खाद्यों का उत्पादन, उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला और अंतिम उपभोक्ता शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर ये व्यवस्था सालाना लगभग 11 अरब टन खाद्य उत्पादन करती है और कई देशों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। रोम स्थित एफएओ के नए शोध के मुताबिक, 2019 में दुनिया की कृषि खाद्य व्यवस्था में लगभग 1.23 अरब लोग कार्यरत थे। इस आंकड़े से तीन गुना से अधिक या दुनिया की आबादी का लगभग आधा एग्रीफूड सिस्टम पर निर्भर हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1.23 अरब लोगों में से 85.7 करोड़ लोग प्राथमिक कृषि उत्पादन से जुड़े थे, जबकि 37.5 करोड़ लोग कृषि खाद्य प्रणाली के दूसरे क्षेत्र (गैर-उत्पादन क्षेत्र) में कार्यरत थे। यह अपनी तरह का पहला व्यवस्थित और दस्तावेजी वैश्विक अनुमान है जो कई स्रोतों से प्राप्त हुए हैं। इस क्षेत्र में अंशकालिक या मौसमी रोजगार के व्यापक उपयोग को भी इसमें शामिल किया गया है। ये आंकड़े कृषि क्षेत्रों के अलावा कृषि खाद्य प्रणालियों का भी उल्लेख करते हैं। साथ ही दुनिया की लगातार बढ़ती आबादी जो अभी 8 अरब है, का पेट भरने के लिए गैर-कृषि गतिविधियों के बढ़ते महत्व को दर्शाता हैं।

एफएओ के समावेशी ग्रामीण परिवर्तन और लैंगिक समानता विभाग के निदेशक और इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक बेन डेविस ने कहा “कृषि खाद्य प्रणालियां एकीकृत तरीके से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नीतिगत और व्यावहारिक एजेंडे की जरूरत है। इसे बनाए रखने के लिए डाटा को कृषि रोजगार जैसे साइलो-आधारित धारणाओं से आगे बढ़ना चाहिए और उपभोक्ताओं के लिए प्रसंस्करण एवं परिवहन से लेकर वह सब कुछ जो हम खाते हैं, उसे खाद्य उत्पादन की पूरी प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए।" एफएओ के इस अध्ययन को "एस्टीमेटिंग ग्लोबल एंड कंट्री लेवल एम्प्लॉयमेंट इन एग्रीफूड सिस्टम्स" नाम से संगठन के सांख्यिकी विभाग द्वारा वर्किंग पेपर के रूप में प्रकाशित किया गया था।

एफएओ की यह नई कवायद अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के डाटा के आधार पर इकोनोमेट्रिक मॉडलिंग का उपयोग करके एक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाती है। वर्किंग पेपर में बताया गया है कि एफएओ की ग्रामीण आजीविका सूचना प्रणाली (आरयूएलआईएस) डाटाबेस से पारिवारिक सर्वे के साथ यह मान्य है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों में कहा गया है कि कृषि खाद्य व्यवस्था में कार्यरत लोगों की सबसे बड़ी संख्या एशिया में है। यहां के 79.3 करोड़ लोग इसमें कार्यरत हैं। इसके बाद अफ्रीका में लगभग 29 करोड़ लोगों को इसमें रोजगार मिला हुआ है। कम आय वाले देशों में आर्थिक रूप से सक्रिय अधिकांश आबादी, खासकर अफ्रीका में कम से कम एक लोग कृषि खाद्य प्रणालियों में नौकरी करते हैं या इससे जुड़ी गतिविधियों में शामिल हैं। अफ्रीका का 62 फीसदी रोजगार कृषि खाद्य प्रणालियों से जुड़े व्यापार और परिवहन गतिविधियों में है। जबकि एशिया में यह 40 फीसदी और अमेरिका में 23 फीसदी है। कुल रोजगार में कृषि खाद्य प्रणाली रोजगार का हिस्सा जो सीधे कृषि क्षेत्रों में नहीं है, यूरोप में 8 फीसदी से लेकर अफ्रीका में 14 फीसदी तक है। कुल कृषि खाद्य प्रणाली में 15 से 35 वर्ष की उम्र के लोगों की हिस्सेदारी करीब आधी है। खाद्य प्रसंस्करण और सेवाओं में उनकी हिस्सेदारी आमतौर पर अधिक है।

कोविड-19 महामारी के पहले वर्ष में कृषि खाद्य प्रणालियों में कार्यरत लोगों की संख्या में 6.8 फीसदी की कमी आई। कोविड-19 का प्रभाव लैटिन अमेरिका में सबसे अधिक था जहां रोजगार में 18.8 फीसदी की गिरावट आई। 13 अप्रैल को एफएओ एग्रीफूड सिस्टम्स में महिलाओं की स्थिति पर एक अलग रिपोर्ट प्रकाशित करेगा जिसमें एग्रीफूड सिस्टम्स में महिलाओं के रोजगार का डाटा दिया जाएगा।