सरकार रबी सीजन में तीन लाख टन प्याज खरीदेगी, पिछले वर्ष से 50 हजार टन है ज्यादा

प्याज की कीमतों में भारी गिरावट को देखते हुए केंद्र सरकार किसानों को राहत देने का प्रयास कर रही है ताकि उन्हें उनकी फसल की उचित कीमत मिल सके। इसे ध्यान में रखते हुए ही इस रबी सीजन में सरकारी खरीद की मात्रा बढ़ाने की घोषणा की गई है। महाराष्ट्र सरकार ने भी किसानों को 300 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा देने की घोषणा की है।

प्याज किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने रबी सीजन की प्याज की सरकारी खरीद 50 हजार टन बढ़ाने की घोषणा की है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियां रबी सीजन में ​​तीन लाख टन प्याज खरीदेगी। पिछले रबी सीजन में 2.5 लाख टन प्याज की सरकारी खरीद हुई थी।

पीयूष गोयल ने कहा, "किसानों को उचित मूल्य मिले इसे सुनिश्चित करने के लिए मैंने पहले ही रबी सीजन के प्याज की खरीद पिछले साल के 2.5 लाख टन से बढ़ाकर इस साल 3 लाख टन करने का आदेश दिया है।" उन्होंने यह भी कहा कि नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन (एनसीसीएफ) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफेड) को भी खरीफ की पिछैती प्याज खरीदने का निर्देश दिया गया है लेकिन अभी बाजारों में उपज नहीं मिल रही है।

पिछले महीने प्याज की कीमतों में भारी गिरावट के बाद से महाराष्ट्र के किसान विरोध कर रहे हैं। विरोध के दौरान नासिक जिले की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव सहित कई बड़ी प्याज मंडियों को किसानों ने बंद करा दिया। उचित कीमत नहीं मिलने से नाराज किसानों ने प्याज फेंक भी दिया था। किसानों का कहना है कि उन्हें मंडियों में बहुत कम कीमत मिल रही है जो लागत से भी कम है। इसकी वजह से उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। किसान सरकार से हस्तक्षेप और उचित कीमत दिलाने की मांग कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में कीमतों में गिरावट के बीच महाराष्ट्र सरकार प्याज किसानों को 300 रुपये प्रति क्विंटल का मुआवजा देने पर राजी हुई थी।

किसानों का कहना है कि पिछले दो सीजन में लंबे समय तक मानसून रहने के कारण खरीफ की पिछैती प्याज ने कीमतों को ऊंचा बनाए रखा जिससे किसानों को फायदा हुआ। इसे देखते हुए इस बार भी किसानों ने कम अवधि वाली वैरायटी लगाई थी लेकिन निर्यात प्रभावित होने से कीमतों में गिरावट शुरू हो गई क्योंकि बांग्लादेश जैसे प्रमुख आयातकों ने अपना प्याज उगाना शुरू कर दिया है। वहीं पाकिस्तान अब ईरान से ज्यादा प्याज मंगाने लगा है।

अप्रैल-जून के दौरान निकाली गई रबी की प्याज का देश के प्याज उत्पादन में 65 फीसदी हिस्सा है जो अक्टूबर-नवंबर में खरीफ की प्याज तक उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करती है। आमतौर पर रबी के प्याज की ही सरकारी खरीद होती है क्योंकि इसका लंबे समय तक भंडारण किया जा सकता है। इसमें नमी नहीं होती है, जबकि खरीफ की प्याज में नमी होने की वजह से उसका भंडारण एक-दो महीने से ज्यादा नहीं किया जा सकता है। इसलिए उसकी सरकारी खरीद नहीं होती है। मगर इस बार प्याज की गिरती कीमतों को थामने के लिए केंद्र सरकार ने नेफेड को खरीफ की प्याज खरीदने का निर्देश दिया लेकिन इससे कीमतों पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा।  

फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में कुल प्याज उत्पादन 3.17 करोड़ टन रहने का अनुमान है जिसमें से सरकार ने 2.5 लाख टन की खरीद की थी। फसल वर्ष 2020-21 में उत्पादन 2,664 करोड़ टन रहा था।