रविवार को भी नहीं आया मानसून, आईएमडी ने कहा तीन-चार दिन और देरी होगी

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 4 जून यानी रविवार को केरल में उसके प्रवेश करने का पूर्वानुमान जताया था, लेकिन अब उसने कहा है कि इसमें तीन-चार दिन की और देरी होगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में सामान्य तौर पर 1 जून को शुरू होता है। आईएमडी ने मई के मध्य में कहा था कि यह 4 जून को केरल में प्रवेश करेगा।

देश में मानसून की बारिश शुरू होने में अभी तीन-चार दिनों का और समय लग सकता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 4 जून यानी रविवार को केरल में उसके प्रवेश करने का पूर्वानुमान जताया था, लेकिन अब उसने कहा है कि इसमें तीन-चार दिन की और देरी होगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में सामान्य तौर पर 1 जून को शुरू होता है। मौसम विभाग ने मई के मध्य में कहा था कि यह 4 जून को केरल में प्रवेश करेगा।

रविवार को एक बयान में आईएमडी ने कहा, “दक्षिण अरब सागर पर पश्चिमी हवाओं के बढ़ने से परिस्थितियां अनुकूल हो रही हैं। इन हवाओं की गहराई भी लगातार बढ़ रही है। आज यानी 4 जून को इनकी गहराई औसत समुद्र तल से 2.1 किलोमीटर हो गई।”

आईएमडी के अनुसार, “दक्षिण पूर्व अरब सागर पर बादल भी घने हो रहे हैं। हमारा अनुमान है कि इन अनुकूल परिस्थितियों के चलते अगले 3 से 4 दिनों में केरल में मानसून की बारिश शुरू होने की संभावना बढ़ेगी। इसकी लगातार निगरानी की जा रही है और सोमवार को इसके बारे में और अपडेट दिया जाएगा।”

मौसम विज्ञान विभाग पहले कह चुका है कि अल नीनो की परिस्थितियां होने के बावजूद इस वर्ष मानसून की बारिश सामान्य रहने की उम्मीद है। हालांकि उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से लेकर सामान्य से कम बारिश के आसार हैं। पूर्व, उत्तर-पूर्व, मध्य तथा दक्षिणी प्रायद्वीप इलाके में औसत का 94 से 106 प्रतिशत यानी सामान्य बारिश होने की संभावना है। यह औसत 87 सेंटीमीटर है। मौसम विभाग के अनुसार औसत की तुलना में 96 से 104 फीसदी तक बारिश को सामान्य माना जाता है। 90% से 95% तक बारिश होने पर सामान्य से कम और 90% से भी नीचे रहने पर कम माना जाता है। 105% से 110% तक की बारिश को सामान्य से अधिक माना जाता है। देश में कृषि में के लिए बारिश के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि कुल खाद्य उत्पादन का लगभग 40% बारिश पर निर्भर करता है।

इससे पहले अमेरिकी नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फिरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने 13 अप्रैल को अल-नीनो की संभावना के ताजा अनुमान जारी किए थे। उसने कहा था कि मई से जुलाई के बीच अल-नीनो की संभावना बढ़कर 62 फीसदी हो गई है। वहीं जून-जुलाई-अगस्त में अल-नीनो की संभावना 75 फीसदी और जुलाई-सितंबर में 80 फीसदी हो गई है। अल-नीनो का भारत में मानसून की बारिश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। 

एनओएए ने पुराने अनुमान में जुलाई-सितंबर के दौरान अल-नीनो की संभावना 55 फीसदी रहने की बात कही थी। इसी आधार पर आईएमडी ने कहा था कि अल-नीनो की संभावना मानसून सीजन के दूसरे हिस्से में है, इसलिए इस साल भारत में मानसून सामान्य रहेगा।

प्रशांत महासागर के पूर्वी और केंद्रीय हिस्से में जब समुद्री सतह का तापमान (सी सरफेस टेंपरेचर) सामान्य से अधिक होने लगता है तो उस स्थिति को अल-नीनो कहते हैं। इस स्थिति में समुद्र के पानी के गरम होने के चलते प्रशांत महासागर के इस हिस्से में बादल बनने लगते हैं और उसके चलते दक्षिणी अमेरिका के पेरू व अमेरिका के खाड़ी वाले क्षेत्रों में बारिश अधिक होती है। इसके उलट प्रशांत महासागर के पश्चिमी हिस्से जिसमें ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया आता है, वहां बारिश की संभावना कमजोर हो जाती है क्योंकि वहां बादल बनने (क्लाउड फार्मेशन) की संभावना कम हो जाती है और उससे भारत में मानसून में होने वाली बारिश पर प्रतिकूल असर पड़ता है।